
2024 में जल, जंगल, जमीन की रक्षा करते हुए 142 पर्यावरण रक्षकों ने अपनी जान गंवाई।
ग्लोबल विटनेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से 2024 के बीच 2,253 रक्षकों की हत्या या गायब होने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
इनमें से 2015 की हत्या हो चुकी है। कोलम्बिया में सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं।
इससे ज्यादा विडम्बना क्या होगी कि जो लोग मानवता की भलाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं उनकों ही लालच के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय संगठन ग्लोबल विटनेस ने अपनी नई रिपोर्ट 'रूट्स ऑफ रेसिस्टेन्स' में खुलासा किया है कि 2012 से 2024 के बीच 2,253 भूमि और पर्यावरण रक्षकों की हत्या या गायब होने की घटनाएं सामने आई हैं। आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 2015 पर्यावरण रक्षकों की हत्या हो चुकी है, जबकि 92 लापता हैं।
वहीं यदि 2024 से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल जल, जंगल, जमीन को बचाने की जद्दोजहद में 142 पर्यावरण रक्षकों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि चार गुमशुदा हैं। मतलब की 2024 में हर हफ्ते औसतन तीन पर्यावरण रक्षक मारे गए या गायब हुए हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि रक्षकों के खिलाफ हिंसा लगातार जारी है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में यह आंकड़ा 196 था। हालांकि पिछले साल से 2024 में इस संख्या में गिरावट आई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रक्षकों की सुरक्षा में सुधार हुआ है। कई देशों में हत्याओं और गायब होने की घटनाएं सामने ही नहीं आती, ऐसे में वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है।
देखा जाए तो इन हमलों का असर पूरे समुदाय पर पड़ता है, परिवार टूट जाते हैं और मानवाधिकार की दिशा में किए जा रहे प्रयास प्रभावित होते हैं। गौरतलब है कि यह रक्षक अपने जंगल, जमीन और साफ, स्वस्थ, पर्यावरण के अधिकार की रक्षा करते हुए निशाना बनाए गए।
इनमें से कई लोग खनन, पेड़ों के काटे जाने या बड़े पैमाने पर चलाई जा रही कृषि परियोजनाओं जैसी गतिविधियों का विरोध कर रहे थे। वहीं कुछ भूमि असमानता, पर्यावरण के हो रहे विनाश और संगठित अपराध जैसी जटिल समस्याओं को चुनौती दे रहे थे।
दक्षिण अमेरिका में सबसे ज्यादा खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक इन पर्यावरण रक्षकों में किसान, आदिवासी, पत्रकार, वकील, रेंजर्स और अन्य लोग भी शामिल हैं जो भूमि और पर्यावरण की रक्षा के लिए काम कर रहे थे। यह भी सामने आया है कि 2024 में जितने भी रक्षक पर्यावरण को बचाने में मारे गए या गायब हुए हैं, उनमें से एक-तिहाई मामले अकेले कोलम्बिया में दर्ज किए गए हैं।
रुझानों से पता चला है कि कोलम्बिया में 2024 में 48 पर्यावरण रक्षकों की हत्या की गई, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 79 थी। रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग तस्करी और अवैध खनन जैसी गतिविधियां जैव विविधता से परिपूर्ण इन क्षेत्रों को प्रभावित कर रही हैं।
दुनिया में दक्षिण अमेरिका में सबसे ज्यादा हत्याएं और गायब होने के मामले (80 फीसदी से अधिक) दर्ज किए गए, जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि यह क्षेत्र अभी भी पर्यावरण रक्षकों के लिए सुरक्षित नहीं है।
अन्य देशों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 2024 में ग्वाटेमाला में पर्यावरण रक्षकों की हत्या और गायब होने की 20 घटनाएं सामने आई हैं। वहीं मेक्सिको में 19, ब्राजील में 12 और फिलिपींस में 8 मामले सामने आए हैं।
यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि पर्यावरण रक्षकों, उनके परिवारों और समुदायों पर खतरे लगातार बने हुए हैं, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना अभी भी बड़ी चुनौती है।