कारगर नहीं हैं सर्कुलर फैशन के आर्थिक और पर्यावरणीय दावे: शोध

शोध में चेतावनी दी गई है कि सर्कुलर फैशन अपने मौजूदा स्वरूप में ठोस आर्थिक और पर्यावरणीय समाधानों के बजाय गलत अनुमानों और उद्योग की बयानबाजी पर आधारित है
शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।
शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक ताजा अध्ययन से पता चलता है कि सर्कुलर फैशन (सीएफ) के तहत कचरे को कम करने के लिए कपड़ों को रीसायकल करने, फिर से बेचने और किराए पर देने की प्रथा शायद ठोस पर्यावरणीय समाधान नहीं है, जिसका अक्सर दावा किया जाता है।

क्या है सर्कुलर फैशन?

सर्कुलर फैशन कपड़ों के लिए एक टिकाऊ नजरिया है जिसका उद्देश्य कचरे और प्रदूषण को कम करना है। इसके अंतर्गत एक प्रणाली का पालन किया जाता है जो रीसाइक्लिंग, दोबारा उपयोग के द्वारा कपड़ों के जीवन को बढ़ाना है।

हालांकि यह अवधारणा आशाजनक लगती है, लेकिन एक नए अध्ययन में सर्कुलर फैशन को लागू करने और चर्चा करने के तरीके में बड़ी खामियों को सामने लाया गया है।

भारी दावों के बावजूद कि सर्कुलर फैशन फिर से बेचने, किराये और रीसाइक्लिंग के माध्यम से सालाना 500 अरब डॉलर से अधिक कीमत की गायब हुई चीजों को दोबारा हासिल किया जा सकता है। शोध में 460 अरब डॉलर की गलत गणना का पता लगाया गया है जिससे इन अनुमानों पर संदेह पैदा होता है।

अध्ययन ने ग्रे लिटरेचर-गैर-शैक्षणिक उद्योग प्रकाशनों-जैसे कि एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन की ए न्यू टेक्सटाइल्स इकोनॉमी (2017) से 20 प्रमुख रिपोर्टों का मूल्यांकन किया। इसने पाया कि सर्कुलर फैशन अवधारणाएं गलत तरीके से परिभाषित की गई हैं, अकादमिक आर्थिक सिद्धांत से अलग हैं और अंततः उपभोक्ताओं या श्रमिकों के बजाय प्रमुख फैशन ब्रांडों के हितों की सेवा करती हैं।

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शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।

शोध पत्र में कहा गया है कि फैशन उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। हर स्तर और हर पैमाने पर, हम पानी और भूमि के उपयोग से लेकर रसायनों, जीवाश्म फाइबर, श्रम दुरुपयोग, अति-उत्पादन और अंततः कपड़े के कचरे तक की समस्याओं को देखते हैं।

साथ ही इसमें पानी के अत्यधिक दोहन को भी देखा जा सकता है। पॉलिएस्टर माइक्रोफाइबर सबसे गहरे समुद्र के पानी और हमारे शरीर को भी प्रदूषित करते हैं। शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।

शोध में कहा गया है कि एक प्रमुख सर्कुलर फैशन रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने 460 अरब डॉलर जोड़ दिए हैं, जिन्हें उन्हें घटाना चाहिए था। अति-उत्पादन, जिसे कभी न खत्म होने वाली बिक्री में देखा जा सकता है, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया है।

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शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।

फ्रंटियर्स इन सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुख्य निष्कर्षों में निम्नलिखित कहा गया है

गलत आर्थिक धारणाएं: फिर से बेचे जाने और किराये जैसे सर्कुलर व्यवसाय मॉडल (सीबीएम) नए उत्पाद की बिक्री की तुलना में कम लाभ मार्जिन उत्पन्न करते हैं। यदि सीबीएम सफलतापूर्वक नए उत्पादन को कम करते हैं, तो फैशन राजस्व कम हो जाएगा, जो सर्कुलर फैशन के आर्थिक वादों का खंडन करता है। यदि वे केवल नए उत्पादन को अधिक बनाते हैं, तो पर्यावरणीय लाभ न के बराबर होंगे।

अधिक उत्पादन की अनदेखी: सर्कुलर फैशन साहित्य उपभोक्ता व्यवहार पर गौर करता है, लेकिन फैशन उद्योग द्वारा बिना बिके स्टॉक के नियमित निपटान को नजरअंदाज करता है। यह चूक कचरे के मूल कारणों से निपटने की सर्कुलर फैशन की क्षमता को कमजोर करती है।

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शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।

गुमराह करने वाली नीतिगत सिफारिशें: रिपोर्टें व्यावसायिक शब्दावली और "मूल्य श्रृंखला" की गलत परिभाषाओं पर निर्भर करती हैं, जिसके कारण सतही नीतिगत सुझाव सामने आते हैं, जो प्रणालीगत मुद्दों को हल करने में विफल होते हैं।

श्रम संबंधी चिंताओं की अनदेखी: कम मार्जिन वाले सर्कुलर मॉडल में बदलाव से कपड़ा श्रमिकों के लिए वेतन या काम करने की स्थिति में सुधार होने की संभावना नहीं है। इसके बजाय, इससे सेकेंड हैंड कपड़ों की छंटाई और रीसाइक्लिंग में और भी अधिक अनिश्चित रोजगार पैदा हो सकता है।

शोध में चेतावनी दी गई है कि सर्कुलर फैशन, अपने मौजूदा स्वरूप में, ठोस आर्थिक और पर्यावरणीय समाधानों के बजाय गलत अनुमानों और उद्योग की बयानबाजी पर आधारित है।

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शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।

कॉर्पोरेट हितों को प्राथमिकता देने और यथास्थिति बनाए रखने से, सर्कुलर फैशन मौजूदा समस्याओं को हल करने के बजाय नई समस्याएं पैदा करने का खतरा उठाता है।

शोध में शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और उद्योग के हितधारकों से आग्रह किया गया है कि वे सर्कुलर फैशन की गंभीरता से पुनर्मूल्यांकन करें और वैकल्पिक नजरियों का पता लगाएं जो फायदा पहुंचाने के लिए प्रणालीगत बदलाव को प्राथमिकता देते हैं। भविष्य के स्थिरता प्रयासों को बिना जांचे-परखे आगे बढ़ाने के बजाय मजबूत अनुभव संबंधी शोध पर आधारित होना चाहिए।

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शोध पत्र दिखाता है कि सर्कुलर फैशन समाधान, जिसे सरकारों और उद्योग द्वारा अपनाया गया है, जांच में थोड़ा सा भी खरा नहीं उतरता है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि सर्कुलर फैशन छवि आधारित उपभोग के उन्हीं आदर्शों पर निर्भर करता है जो आज हम देख रहे हैं। जैसा कि यूरोपीय संघ की टिकाऊ कपड़ा रणनीति में सिफारिश की गई है, सोशल मीडिया हैशटैग इन समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते।

शोध में कहा गया है कि दुर्भाग्य से, सर्कुलर फैशन ने नीति-निर्माण का अधिकतर ध्यान शोध के लिए संसाधनों को मशगूल करने पर है। सर्कुलर फैशन के विफल होने के बाद, ऐसा होने के अधिक आसार हैं, हमारे पास पुरानी समस्याएं ज्यों की त्यों रह जाएंगी और कोई नया विचार नहीं होगा। हमें अब नए विचारों के शोध, विकास और परीक्षण में निवेश करने की जरूरत है।

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