ग्रीन टी शर्ट के लिए अधिक भुगतान के लिए तैयार हैं लोग, पर्यावरण के प्रति बढ़ी सजगता

शोधकर्ताओं ने रंगीन सूती कपड़ों को लेकर उपभोक्ताओं के रुझान संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया
प्राकृतिक रूप से रंगीन कपास एक निश्चित प्रकार के उपभोक्ताओं को आकर्षित करता है क्योंकि यह कपड़ा उद्योग द्वारा अपनाए गए पारंपरिक दृष्टिकोण की तुलना में उनके पर्यावरणीय दृष्टिकोण के साथ अधिक मेल खाता है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, केनवॉकर
प्राकृतिक रूप से रंगीन कपास एक निश्चित प्रकार के उपभोक्ताओं को आकर्षित करता है क्योंकि यह कपड़ा उद्योग द्वारा अपनाए गए पारंपरिक दृष्टिकोण की तुलना में उनके पर्यावरणीय दृष्टिकोण के साथ अधिक मेल खाता है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, केनवॉकर
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भारत में किए गए एक नए अध्ययन में प्राकृतिक रूप से रंगीन सूती कपड़ों के प्रति उपभोक्ताओं के रुझान की पड़ताल की गई। अध्ययन में पाया गया कि पारंपरिक कपास प्रसंस्करण के पर्यावरणीय प्रभाव पर बढ़ती चिंताओं के बीच, उपभोक्ता पर्यावरण के अनुकूल या ग्रीन टी-शर्ट के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं।

भारत में महाराष्ट्र के पुणे स्थित सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस के शोधकर्ताओं ने रंगीन सूती कपड़ों को लेकर उपभोक्ताओं के रुझान संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। जिससे पता चला कि उपभोक्ताओं के काफी बड़े अनुपात ने प्राकृतिक रूप से रंगीन सूती परिधान खरीदने में रुचि दिखाई, उन्होंने पाया कि 28 फीसदी उपभोक्ता ऐसे उत्पादों के लिए 15 फीसदी तक का अधिक भुगतान करने को तैयार थे।

प्राकृतिक रूप से रंगीन कपास एक निश्चित प्रकार के उपभोक्ताओं को आकर्षित करता है क्योंकि यह कपड़ा उद्योग द्वारा अपनाए गए पारंपरिक दृष्टिकोण की तुलना में उनके पर्यावरणीय दृष्टिकोण के साथ अधिक मेल खाता है। पर्यावरण के अनुकूल या ग्रीन उत्पादों के साथ आराम, टिकाऊपन और कीमत की धारणाएं भी जुड़ी हुई हैं।

शोध कपास की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं पर भी प्रकाश डालता है, और सूती कपड़े किस श्रेणी में सबसे अधिक पसंद किया जाता है इस पर भी प्रकाश डाला गया है। इससे उपभोक्ताओं को प्राकृतिक रूप से रंगीन सूती परिधान का चुनाव करने में भी मदद मिलेगी।

कपास उत्पादन में भारत की एक महान ऐतिहासिक विरासत रही है, जिसमें प्राकृतिक रूप से रंगीन कपास की किस्मों की खेती भी शामिल है। पारंपरिक कपास की तुलना में कम उत्पादकता और कम फाइबर गुणवत्ता की चुनौतियों के बावजूद, प्राकृतिक रूप से रंगीन कपास ने कपड़ा बाजारों, खासकर यूरोप में लोकप्रियता हासिल करना शुरू कर दिया है। आपूर्ति करने वालों के सामने समस्या, भारत में सीमित व्यापार संबंधी बुनियादी ढांचा है, जो ग्रीन कपास को व्यापक रूप से अपनाने में बाधक है।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा कि उपभोक्ता स्थिरता के प्रति अपनी मानसिकता बदलने लगे हैं और उनमें से कई अब धरती को बचाने के नाम पर अधिक भुगतान करने को तैयार हैं। शोध टीम का कहना है कि यह कंपनियों के लिए प्राकृतिक रूप से रंगीन सूती परिधानों का चयनात्मक और प्रभावी ढंग से व्यापार करने का एक नया अवसर दर्शाता है।

वर्ल्ड रिव्यू ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप, मैनेजमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, मानसिकता और उपभोक्ता व्यवहार में इस प्रकार के बदलाव को प्रोत्साहित करने के लिए एक स्थायी एजेंडा विकसित करने की उम्मीद रखने वाले नीति निर्माताओं की तत्काल आवश्यकता होगी। यदि वे मानक कपास उत्पादों के पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा दे सकते हैं, तो वे कपड़ा उद्योग में स्थिरता में योगदान दे सकते हैं।

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