महाराष्ट्र की मुला-मुथा रिवरफ्रंट विकास परियोजना: एनजीटी ने जल्द अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया

महाराष्ट्र की मुला-मुथा रिवरफ्रंट विकास परियोजना: एनजीटी ने जल्द अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया

आरोप है कि मुला-मुथा रिवरफ्रंट विकास परियोजना के तहत किए जा रहे निर्माण से नदी की चौड़ाई कम हो रही है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 अगस्त, 2024 को महाराष्ट्र में राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) को मुला-मुथा रिवरफ्रंट विकास परियोजना पर जल्द ही अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

इस बारे में आवेदकों के वकील ने 17 अगस्त, 2024 को दिए हलफनामे में दावा किया है कि इस निर्माण से नदी की चौड़ाई कम हो रही है। नदी के क्रॉस-सेक्शन में इस कमी के कारण नदियों  के बाढ़ के पानी को ले जाने की क्षमता घट रही है, नतीजतन क्षेत्र में भारी बाढ़ की स्थिति बन रही है।

वहीं पुणे नगर निगम (पीएमसी) का कहना है कि साइट पर जो काम चल रहा है वो मार्च 2022 में जारी आदेशों के अनुसार है। उन्होंने अदालत को अवगत कराया है कि इस कार्य को लेकर दो आदेश दिए गए हैं। इनमें से एक सितंबर 2024 तक यानी 30 महीनों के भीतर पूरा होना है, जबकि दूसरे की समय सीमा 36 महीनों की है। हालांकि, अदालत ने कहा कि इन कार्य आदेशों को आधिकारिक तौर पर सबूत के तौर पर पेश नहीं किया गया है।

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सारंग यदवाडकर और अन्य के द्वारा यह आवेदन दायर किया गया था। इस आवेदन में उन्होंने अनुरोध किया है कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) को निर्देश जारी किया जाए कि वह मुला-मुथा रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के संबंध में सात नवंबर, 2023 को बैठक के दौरान राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), महाराष्ट्र द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करे।

आवेदकों ने मुला-मुथा रिवरफ्रंट विकास परियोजना के संबंध में एसईआईएए द्वारा बैठक में निर्धारित शर्तों पर विचार करते हुए परियोजना क्षेत्र में निर्माण कार्य रोकने का निर्देश देने की भी मांग की है।

परलकोटा नदी पर चलता अवैध खनन का गोरखधंदा, जंगलों का भी किया गया विनाश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) की पश्चिमी बेंच ने निर्देश दिया है कि परलकोटा नदी में होते अवैध खनन के मामले को मुख्य पीठ को भेजा जाए। इसके बाद मुख्य  पीठ तय करेगी कि मामले को सेंट्रल बेंच को सौंपा जाए या नहीं। यह मामला सेंट्रल बेंच के अधिकार क्षेत्र में आता है। मामला  रेत माफिया द्वारा परलकोटा नदी पर अवैध रूप से  किए जा रहे लाल मिट्टी के खनन से जुड़ा है।

गौरतलब है कि नौ मई, 2024 को एनजीटी के पिछले आदेश पर गढ़चिरौली के जिला कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट और जिला खनन अधिकारी ने 10 जून, 2024 को एक जवाबी हलफनामा कोर्ट में दायर किया था।

इस क्षेत्र में 29 दिसंबर, 2023 को निरीक्षण किया गया था। इस जांच से पता है चला कि अज्ञात रेत माफियाओं ने परलकोटा नदी के पास लाल मिट्टी का अवैध रूप से खनन किया था। इतना ही नहीं वहां पेड़ों को भी काटा गया है और जंगलों को साफ कर रेत ले जाने के लिए नदी के किनारे एक अस्थाई सड़क का भी निर्माण किया है। पता चला है कि अज्ञात रेत माफियाओं ने दो स्थानों से करीब 65 ब्रास रेत और 60 ब्रास मिट्टी का अवैध खनन किया है।

पांच जनवरी, 2024 को इस क्षेत्र की भामरागढ़ के भूमि अभिलेख उपाधीक्षक ने माप की और पाया कि यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के मौजा हेमलकसा के अधिकार क्षेत्र में आता है। भामरागढ़ पुलिस स्टेशन में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और जांच शुरू हो गई है।

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