सोनभद्र के आरक्षित वन क्षेत्र में पंचायत अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही अवैध गतिविधियां: रिपोर्ट

वहां अवैध गतिविधियों के लिए पेड़ों की कटाई की गई, जिससे जंगल, वन्यजीव और जलीय जीव-जंतुओं के लिए खतरा पैदा हो गया है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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उत्तर प्रदेश, पिपरी में डोंगिया जलाशय के आसपास के आरक्षित वन क्षेत्र की लगातार निगरानी की जा रही है, ताकि भविष्य में अवैध गतिविधियों को रोका जा सके। यह जानकारी रेणुकूट के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) ने 22 अगस्त 2024 को दाखिल हलफनामे में कही है। गौरतलब है कि यह हलफनामा एनजीटी के 10 मई 2024 के आदेश पर कोर्ट में पेश किया गया है।

मामला डोंगिया जलाशय, पिपरी, सोनभद्र के आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण से जुड़ा है। वहां अवैध गतिविधियों के लिए पेड़ों की कटाई की गई, जिससे जंगल, वन्यजीव और जलीय जीव-जंतुओं के लिए खतरा पैदा हो गया है। रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि नगर पंचायत पिपरी के अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी, आरक्षित वन क्षेत्र में चल रही इन अवैध गतिविधियों और अतिक्रमण में शामिल थे।

हलफनामे में कहा गया है कि इस रिजर्व फॉरेस्ट में हिरण, तेंदुआ, साही, भेड़िये, मोर, लंगूर और बंदर जैसे कई जानवर रहते हैं। वहीं तालाब में मगरमच्छों का बसेरा है, जो इसके बीच में मौजूद एक द्वीप पर धूप सेंकते हैं। डीएफओ ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि वन क्षेत्र में अवैध गतिविधियां और अतिक्रमण नगर पंचायत के अध्यक्ष, कार्यकारी अधिकारी और उनके रिश्तेदारों द्वारा किए गए थे।

न्यायालय को बताया गया कि सोनभद्र में रेणुकूट के प्रभागीय वनाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए आरक्षित वन क्षेत्र की मौजूदा स्थिति और हाल के घटनाक्रम का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट तैयार की है।

कोर्ट को दी गई जानकारी के मुताबिक सड़क के अवैध विस्तार को रोक दिया गया है। यह भी पता चला है कि नगर पंचायत पिपरी-सोनभद्र के अधिशासी अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह, विजय बहादुर सिंह, के साथ मिलकर दिग्विजय सिंह और अनिल कुमार अवैध रूप से पेड़ काटने, लोहे का गेट लगाने और जमीन पर अतिक्रमण करने में शामिल थे। जैसे ही वन विभाग को अतिक्रमण की जानकारी मिली तो उन्होंने इस मामले में सख्त कार्रवाई की है।

क्यों एनजीटी ने संयुक्त समिति से तालाब प्रदूषण के मामले में फिर मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 22 अगस्त, 2024 को चार सदस्यीय संयुक्त समिति से तालाब प्रदूषण के मामले की जांच करने को कहा है। ट्रिब्यूनल ने समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया गया है। मामला हरियाणा के ढालियावास गांव में एक तालाब के प्रदूषण से जुड़ा है। एनजीटी ने समिति से 11 अक्टूबर, 2023 को दिए अपने पिछले आदेश का भी पालन करने को कहा है।

यह नई कार्रवाई हरियाणा तालाब और अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीडब्ल्यूडब्ल्यूएमए) के तकनीकी सलाहकार द्वारा 19 अप्रैल, 2024 को सबमिट एक रिपोर्ट के बाद हुई है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एनजीटी के अक्टूबर 2023 के आदेश पर कोर्ट में दायर की गई है।

बता दें कि इस बारे में अदालत में सबमिट मूल आवेदन में ढालियावास गांव में मौजूद तालाब में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई गई थी। आरोप है कि मानव अपशिष्ट, घरेलू सीवेज, कचरा, और अन्य जैव-अपशिष्ट तालाब में बह रहे हैं जो इसके पानी को दूषित कर रहे हैं।

इस मामले में एनजीटी ने 11 अक्टूबर 2023 को चार सदस्यीय संयुक्त समिति गठित करने का आदेश दिया था। इस समिति से तालाब का निरीक्षण करने, के साथ पानी की गुणवत्ता का विश्लेषण करने, और प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने को कहा गया था। हालांकि, इस समिति ने अभी तक न्यायालय के निर्देशानुसार रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।

एनजीटी ने कहा है कि 19 अप्रैल, 2024 की तथाकथित रिपोर्ट पर समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं हैं और यह पुष्टि नहीं करती कि समिति ने साइट का दौरा किया था या नहीं। साथ ही क्या प्रदूषण स्रोतों की पहचान की थी या तालाब की जल गुणवत्ता का परीक्षण किया था। इस वजह से ट्रिब्यूनल के आदेश का ठीक से पालन नहीं किया गया।

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