चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट और सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य में वर्षों से हो रहा है अतिक्रमण

असम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने हलफनामे में जानकारी दी है कि आरक्षित वन या संरक्षित क्षेत्रों के कुल 73,524.86 हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 50,241 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है
प्रतीकात्मक तस्वीर
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) से बड़े पैमाने पर वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए एक हलफनामा दायर करने को कहा है। मामला असम के सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य में वन भूमि पर कई वर्षों से हो रहे अतिक्रमण से जुड़ा है।

21 अगस्त, 2024 को दिए इस निर्देश में एनजीटी ने कहा है कि हलफनामे में असम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा 15 जुलाई, 2024 को दायर रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

इसके साथ ही एनजीटी की पूर्वी बेंच ने असम के मुख्य सचिव से चार सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा फिर से दाखिल करने को कहा है, बता दें कि पिछले हलफनामे में कई त्रुटियां थी।

तीन लाख लोगों ने किया अतिक्रमण

इस मामले में असम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने अपने हलफनामे में जानकारी दी है कि करीब 300,000 लोगों ने इस क्षेत्र पर अतिक्रमण किया हुआ है।

इन लोगों ने निचले क्षेत्रों में सदाबहार और अर्ध-सदाबहार वन क्षेत्रों को साफ करके स्थाई घर बना लिए हैं। वहां पेड़ों को काट जंगल के बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और कृषि फसलों के साथ-साथ सुपारी, नारियल, रबर और चाय जैसी व्यावसायिक फसलें उगाई जा रही हैं।

हलफनामे में यह भी बताया गया है कि चारद्वार रिजर्व फॉरेस्ट, बालीपारा रिजर्व फॉरेस्ट और सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य में वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत करीब 23,028 दावे दायर किए गए हैं।

हलफनामे में एक चार्ट भी प्रस्तुत किया गया है, जिसमें दर्शाया गया है आरक्षित वन या संरक्षित क्षेत्रों के कुल 73,524.86 हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 50,241 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है।

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