
भारत में चेरापूंजी जो कभी बारिश का पर्याय था, इस बार मॉनसून में रिकॉर्ड कमी का सामना कर रहा है। चेरापूंजी को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के सोहरा वेदर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है।
दुनिया के सबसे नम इलाकों में गिना जाने वाले यह क्षेत्र इस बार मानसून के दौरान बारिश में भारी गिरावट का शिकार है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल मानसून में 1 जून से 20 अगस्त के बीच यहां करीब 3,500 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से करीब 50 फीसदी कम है।
हैरानी की बात है कि दूसरी ओर, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में इस साल चेरापूंजी से भी ज्यादा बारिश हुई है। 18 अगस्त तक, कर्नाटक के कोडागु जिले के सोमवारपेट तालुक स्थित सुरलाबी स्टेशन ने पूरे भारत में 2025 के दौरान सबसे अधिक बारिश दर्ज की।
सुरलाबी में इस साल अब तक करीब 7,300 मिलीमीटर बारिश हुई है, जिसमें से 5,951 मिलीमीटर मानसून के दौरान ही रिकॉर्ड हुई है। यह जानकारी स्वतंत्र मौसम विश्लेषक रवि कीर्ति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की है।
स्वतंत्र मौसम विश्लेषक आर प्रदीप जॉन (तमिलनाडु वेदरमैन) ने एक्स पर जो आंकड़े साझा किए हैं, उनसे पता चला है कि 1 जून से 31 जुलाई के बीच, सोहरा (चेरापूंजी) में 2,047 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि कर्नाटक के सुरलाबी में इस दौरान 4,931 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो इस अवधि में देश में दूसरी सबसे अधिक है।
वहीं महाराष्ट्र के ताम्हिणी ने मानसून के पहले दो महीनों में देश में सबसे ज्यादा 5,788 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की है। इस दौरान, देश के कम से कम 32 मौसम केंद्रों ने चेरापूंजी से अधिक बारिश दर्ज की।
पश्चिम जयंतिया हिल्स में सामान्य से 75 फीसदी कम बारिश
मौसम पूर्वानुमानकर्ता शुभम ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर जानकारी देते हुए लिखा कि सोहरा स्टेशन पर अब तक की सबसे कम बारिश 1962 में हुई थी, जब मानसून के दौरान 5,401 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी। ऐसे में अगर 20 अगस्त से 30 सितंबर के बीच अगले 40 दिनों में करीब 1,900 मिलीमीटर बारिश नहीं हुई, तो चेरापूंजी के लिए यह अब तक का सबसे सूखा मानसून साबित होगा।
चेरापूंजी में मानसून के दौरान औसतन 8,131.9 मिलीमीटर बारिश होती है। हालांकि चेरापूंजी ही नहीं मेघालय की बाकी जगहों पर भी स्थिति खराब है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, पूरे राज्य में बारिश में 43 फीसदी की कमी दर्ज की गई है, जो पूरे देश में सबसे अधिक है।
हालात यह हैं कि मेघालय के 11 में से छह जिलों में सामान्य से 20 से 59 फीसदी तक कम बारिश हुई है, जबकि दो जिलों में इसमें भारी कमी देखी गई, जहां बारिश सामान्य से 60 से 99 फीसदी तक कम रही है।
इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिला पश्चिम जयंतिया हिल्स है, जहां 26 अगस्त तक बारिश में 75 फीसदी की कमी दर्ज हुई है। चेरापूंजी और मासिनराम, जो दुनिया के सबसे बारिश वाले इलाकों में गिने जाते हैं, ईस्ट खासी हिल्स जिले में आते हैं। इस जिले में मानसून के दौरान सामान्य से 29 फीसदी कम बारिश हुई है।
मेघालय और पूर्वोत्तर भारत के कई अन्य राज्यों में पिछले कुछ दशकों से सूखे का रुझान बढ़ा है, जो इस साल भी साफ दिख रहा है।