प्रदूषण का हॉटस्पॉट बना उत्तरप्रदेश, हापुड़ में बढ़कर 372 पर पहुंचा एक्यूआई

आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात (हापुड़, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, बागपत, मुजफ्फरनगर और मेरठ) शहर शामिल हैं
प्रदूषण और कोहरे के आगोश में सड़क; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्रदूषण और कोहरे के आगोश में सड़क; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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सारांश
  • उत्तर प्रदेश के हापुड़ में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई है, जहां एक्यूआई 372 तक पहुंच गया है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,300 फीसदी अधिक है।

  • दिल्ली में भी प्रदूषण बढ़कर 327 पर पहुंच गया है। चिंता की बात है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,000 फीसदी अधिक है।

  • देश के 247 शहरों में से केवल 9.3 फीसदी में हवा साफ है, जबकि 64.4 फीसदी शहरों में स्थिति चिंताजनक है।

  • दूसरी तरफ देश में रामनाथपुरम की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 21 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हापुड़ की तुलना रामनाथपुरम से करें तो वहां स्थिति 17 गुणा खराब है।

  • फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 217 रिकॉर्ड किया गया है।  

  • आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (339) दूसरे जबकि बहादुरगढ़ (335) तीसरे स्थान पर है।

  • इसी तरह 327 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। धारूहेड़ा-गाजियाबाद में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 326 और 321 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

  • ग्रेटर नोएडा (316) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बागपत (311), मुजफ्फरनगर (304) और मेरठ (302) भी शामिल हैं।

  • आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात (हापुड़, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, बागपत, मुजफ्फरनगर और मेरठ) शहर शामिल हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि 05 दिसंबर 2025 को एक बार फिर देश में हापुड़ की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 372 तक पहुंच गया। गौरतलब है कि 04 दिसंबर को हापुड़ में एक्यूआई 336 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 36 अंकों का उछाल आया है। हालांकि वहां आज भी स्थिति 'बेहद खराब' बनी हुई है।

रुझानों में सामने आया है कि हापुड़ की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

हापुड़ से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,300 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में रामनाथपुरम की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 21 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हापुड़ की तुलना रामनाथपुरम से करें तो वहां स्थिति 17 गुणा खराब है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही 23 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 327 तक पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' बनी हुई है। चिंता की बात है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,000 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।   

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 05 दिसंबर, 2025 को 247 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 9.3 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं 26.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 64.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस है।         

दूसरी तरह संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 8.3 फीसदी का इजाफा हुआ है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में कल से पांच फीसदी की गिरावट आई है। खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में भी कल से बदलाव नहीं हुआ है।

देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 11 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 217 रिकॉर्ड किया गया है।  

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (339) दूसरे जबकि बहादुरगढ़ (335) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 327 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। धारूहेड़ा-गाजियाबाद में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 326 और 321 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

ग्रेटर नोएडा (316) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बागपत (311), मुजफ्फरनगर (304) और मेरठ (302) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात (हापुड़, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, बागपत, मुजफ्फरनगर और मेरठ) और हरियाणा के दो शहर (धारूहेड़ा, बहादुरगढ़) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि हापुड़, नोएडा, बहादुरगढ़, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, गुरुग्राम, भिवाड़ी, सोनीपत, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, जींद, कटक, करनाल, भिवानी, बालासोर, चरखी दादरी, हल्दिया, खुर्जा, चूरू, बद्दी, फतेहाबाद, बिलीपाड़ा, अमरावती (आंध्रप्रदेश), बल्लभगढ़, राजमहेंद्रवरम, फरीदाबाद, काशीपुर, यमुना नगर, टोंक, चंडीगढ़, हावड़ा, जालंधर, पुणे, कुरुक्षेत्र, बारबिल, भोपाल, ग्वालियर, मंडी गोबिंदगढ़, जालोर, कोलकाता, मंडीखेड़ा, तालचेर, बैरकपुर, झालावाड़, नारनौल, सांगली, देहरादून, कोटा, अंबाला आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं श्री गंगानगर, सीकर, बीकानेर, नागौर, भरतपुर, झुंझुनू, सासाराम, आगरा, वृंदावन, सवाई माधोपुर, पटियाला, मालेगांव, उल्हासनगर, बदलापुर, अंकलेश्वर, हिसार, क्योंझर, भिवंडी, खन्ना, मीरा-भायंदर, रतलाम, बांसवाड़ा, देवास, किशनगंज, दौसा, सोलापुर, अहमदाबाद, सिलीगुड़ी, कटनी, चित्तौड़गढ़, धनबाद, अजमेर, टेन्सा, अमरावती (महाराष्ट्र), नांदेड़, रायरंगपुर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।

इन शहरों के विपरीत देश के 9.3 फीसदी यानी महज 23 शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, दमोह, डिंडीगुल, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मंगलौर, मैसूर, नागपट्टिनम, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, रामनाथपुरम, शिवमोगा, सिलचर, सूरत, तंजावुर आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन 65 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें अलवर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, बोइसर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गुवाहाटी, हावेरी, हुबली, इंदौर, जलना, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मदुरै, मैहर, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, नागांव, नयागढ़, पंचकुला, परभनी, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, ऋषिकेश, रूपनगर, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, शिवसागर, सिवान, सुआकाती, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपति, वापी आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 114 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अंबाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बांसवाड़ा, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिहार शरीफ, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, दौसा, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, गया, ग्वालियर, हाजीपुर, हिसार, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जलगांव, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कल्याण, कानपुर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाद, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मंडीखेड़ा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नंदेसरी, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पंचगांव, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सागर, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, सिरसा, सोलापुर, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तिरुमाला, उदयपुर, उल्हासनगर, वातवा, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 35 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अमरावती (आंध्रप्रदेश), बद्दी, बालासोर, बल्लभगढ़, बारबिल, भिवाड़ी, भिवानी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बुलंदशहर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, चूरू, कटक, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, हल्दिया, हावड़ा, जालंधर, जींद, करनाल, काशीपुर, खुर्जा, कुरुक्षेत्र, पुणे, राजमहेंद्रवरम, सीकर, सोनीपत, श्री गंगानगर, टोंक, विशाखापत्तनम, यमुना नगर शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 10 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, बहादुरगढ़, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा शामिल हैं।  

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 247 में से महज 23 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 65 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 04 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 60 दर्ज किया गया था।

114 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज एक बार फिर हापुड़ (372) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 380 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से हापुड़ में प्रदूषण के स्तर में 36 अंकों का उछाल आया है। हालांकि इसके बावजूद हापुड़ में अभी भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बेहद खराब' बना हुआ है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 327 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 14 अंकों की बढ़ोतरी के साथ एक्यूआई बढ़कर 217 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता आज एक बार फिर 'खराब' श्रेणी में है।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 05 दिसंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं नोएडा (339) दूसरे, जबकि बहादुरगढ़ (335) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 200, गाजियाबाद में 321, गुवाहाटी में 93, गुरूग्राम में 298, नोएडा में 339, ग्रेटर नोएडा में 316 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 124 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 150, चेन्नई में 92, चंडीगढ़ में 213, हैदराबाद में 107, जयपुर में 172 और पटना में 148 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 23 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अरियालुर, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, दमोह, डिंडीगुल, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मंगलौर, मैसूर, नागपट्टिनम, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, रामनाथपुरम, शिवमोगा, सिलचर, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी शामिल हैं।

वहीं अहमदनगर, अकोला, अलवर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, बोइसर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गुवाहाटी, हावेरी, हुबली, इंदौर, जलना, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मदुरै, मैहर, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, नागांव, नयागढ़, पंचकुला, परभनी, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, ऋषिकेश, रूपनगर, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, शिवसागर, सिवान, सुआकाती, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपति, वापी, वाराणसी, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर आदि 65 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:

हवा का हाल: नोएडा को पीछे छोड़ हापुड़ बना देश का सबसे प्रदूषित शहर

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