
देश में आज दमोह की हवा सबसे साफ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 07 मई 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 27 दर्ज किया गया है। दमोह की तरह ही देश के 34 अन्य शहरों में हवा साफ बनी हुई है।
इन शहरों में गांधीनगर, गंगटोक, हुबली, इंदौर, कटिहार, किशनगंज, मदिकेरी, मदुरै, मुंगेर, पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम, रतलाम, सागर, शिवमोगा, सिरोही आदि शामिल हैं। हालांकि चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 17 फीसदी की गिरावट आई है।
वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर मेघालय के बर्नीहाट की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जहां एक्यूआई 180 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि बर्नीहाट की तुलना देश के सबसे साफ हवा वाले शहर दमोह से करें तो वहां स्थिति करीब छह गुणा खराब है। वहीं उत्तर प्रदेश का हापुड शहर प्रदूषण के मामले में दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 174 दर्ज किया गया है। राहत की खबर यह है कि आज देश में एक भी शहर ऐसा नहीं है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 'खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया है।
इसी तरह 160 अंकों के साथ गुरूग्राम तीसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। राजधानी दिल्ली में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जहां 12 अंकों के उछाल के साथ सूचकांक 153 पर पहुंच गया है। प्रदूषण के मामले में आज दिल्ली चौथे स्थान पर है। वहीं धनबाद (153) पांचवें स्थान पर है। बाड़मेर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 150 दर्ज किया गया है।
वहीं बारबिल (149) सातवें, जबकि राजगीर (144) आठवें स्थान पर है। इसी तरह बागपत और राउरकेला भी देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे।
आंकड़ों से पता चला है कि आज जहां बर्नीहाट, श्रीगंगानगर, कटक, मुजफ्फरनगर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के कण पीएम2.5 हावी रहे। वहीं राउरकेला, श्रीगंगानगर, कटक, औरंगाबाद (बिहार), भिवाड़ी, मुजफ्फरनगर आदि में पीएम10 का स्तर अधिक रहा। दूसरी तरफ गुरूग्राम, दिल्ली, बाड़मेर आदि में ओजोन खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां करीब 17 फीसदी शहरों में हवा साफ है, जबकि 65 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है। दूसरी तरफ देश के करीब 19 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
रुझानों से पता चला है कि अलवर सहित देश के 136 शहरों में स्थिति संतोषजनक है। इन शहरों में खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मैहर, मंडीदीप, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पाली, पंचगांव, परभनी, पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, पूर्णिया, रायपुर आदि शामिल हैं।
देश में साफ हवा वाले शहरों की तरह ही संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी करीब आठ फीसदी की गिरावट आई है।
आंकड़ों से पता चला है कि आज देश के छोटे बड़े 39 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में भरतपुर, भिवाड़ी, बीकानेर, बुलन्दशहर, ब्यासनगर, बर्नीहाट, छपरा, चुरू, कटक, दौसा, दिल्ली, धनबाद, दुर्गापुर, गाजियाबाद, गुरूग्राम, हापुड, हावड़ा, इंफाल, जैसलमेर, झुंझुनूं, करौली, क्योंझर, कुंजेमुरा, मंडी गोबिंदगढ़, मेरठ, आदि शहर शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 210 में से 35 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 136 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 06 मई 2025 को यह आंकड़ा 147 दर्ज किया गया था।
39 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में बर्नीहाट (180) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 200 के करीब पहुंच गया। कल गुरूग्राम में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 202 रिकॉर्ड किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही 12 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 153 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं हापुड (174) दूसरे, जबकि गुरूग्राम (160) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 91, गाजियाबाद में 110, गुवाहाटी में 60, गुरूग्राम में 160, नोएडा में 116, ग्रेटर नोएडा में 88 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 64 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 92, चेन्नई में 58, चंडीगढ़ में 83, हैदराबाद में 74, जयपुर में 85 और पटना में 109 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 35 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदाबाद, आइजोल, बागलकोट, बेलापुर, बेलगाम, भिलाई, बक्सर, चामराजनगर, चंद्रपुर, चिकबलपुर, कुड्डालोर, दमोह, गांधीनगर, गंगटोक, हुबली, इंदौर, कटिहार, किशनगंज, मदिकेरी, मदुरै, मुंगेर, पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम, रतलाम, सागर, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, सूरत, ठाणे, तंजावुर, तिरुनेलवेली, वातवा, वृंदावन शामिल हैं।
वहीं आगरा, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महराष्ट्र), अनंतपुर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बूंदी, चंडीगढ़, चेन्नई, छाल, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, दावनगेरे, धारवाड़, धौलपुर, डिंडीगुल, डूंगरपुर, एलूर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जालौर, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, कटनी, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मैहर, मंडीदीप, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पाली, पंचगांव, परभनी, पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, ऋषिकेश, सहरसा, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सतना, शिलांग, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सोलापुर, तालचेर, टेन्सा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरार, विशाखापत्तनम, यादगीर आदि 136 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।