

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। गाजियाबाद में एक्यूआई 437 तक पहुंच गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2800% अधिक है। दिल्ली में भी प्रदूषण का स्तर 391 पर है, जो निर्धारित मानकों से 2500 फीसदी अधिक है।
देश के 68 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,500 फीसदी अधिक है
23 नवंबर, 2025 को 249 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 15 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में हापुड़ (420) दूसरे जबकि नोएडा (418) तीसरे स्थान पर है।
इसी तरह 399 अंकों के साथ ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है। चरखी दादरी-बहादुरगढ़ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 396 और 392 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
दिल्ली (391) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मुजफ्फरनगर (382), मेरठ (364) और बुलंदशहर (353) भी शामिल हैं।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 23 नवंबर 2025 को एक बार फिर देश में गाजियाबाद की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 437 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि 22 नवंबर को गाजियाबाद में एक्यूआई 434 दर्ज किया गया था। मतलब कि वहां कल से प्रदूषण में तीन अंकों का इजाफा हुआ है।
इसके साथ ही गाजियाबाद में अभी भी स्थिति ‘गंभीर’ बनी हुई है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत हैं। रुझानों में सामने आया है कि गाजियाबाद की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
गाजियाबाद से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,800 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में अरियालुर की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 13 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना अरियालुर से करें तो वहां स्थिति 33 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,500 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 23 नवंबर, 2025 को 249 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 15 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 17 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 68 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 19 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 17.6 फीसदी की गिरावट आई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों में कल से करीब दो फीसदी की गिरावट आई है।
खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी छह फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 237 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में हापुड़ (420) दूसरे जबकि नोएडा (418) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 399 अंकों के साथ ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है। चरखी दादरी-बहादुरगढ़ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 396 और 392 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
दिल्ली (391) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मुजफ्फरनगर (382), मेरठ (364) और बुलंदशहर (353) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, चरखी दादरी, दिल्ली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, पानीपत, सोनीपत, बागपत, भिवाड़ी, पीथमपुर, भिवानी, मानेसर, खुर्जा, जींद, भोपाल, कोटा, गुरुग्राम, मंडीदीप, कुरुक्षेत्र, टोंक, हल्दिया, यमुना नगर, करनाल, हावड़ा, बारबिल, कैथल, सिंगरौली, नंदेसरी, ग्वालियर, कोलकाता, भीलवाड़ा, जयपुर, बालासोर, फरीदाबाद, अंकलेश्वर, धारूहेड़ा, सांगली, बीकानेर, बैरकपुर, बूंदी, देवास, पंचकुला, सागर, विरार, बारीपदा, सीकर, ब्यासनगर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं बहादुरगढ़, श्री गंगानगर, सासाराम, हिसार, नागौर, वातवा, आगरा, जालोर, सूरत, कल्याण, रतलाम, पटियाला, जोधपुर, धनबाद, अजमेर, दौसा, वृंदावन, बिलीपाड़ा, बदलापुर, ब्रजराजनगर, चंद्रपुर, बाड़मेर, जालंधर, क्योंझर, खन्ना, अमरावती (महाराष्ट्र), तुमडीह, फतेहाबाद, ठाणे, धुले, मैहर, परभणी, किशनगंज, बेगूसराय, मिलुपारा, नांदेड़, मंगुराहा, सहरसा, पलवल, सिरोही, अलवर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 15 फीसदी यानी महज 37 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में चेन्नई, चिक्कमगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, डिंडीगुल, कडप्पा, करूर, कोल्लम, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, मैसूर, नागांव, नागपट्टिनम, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम, सलेम, शिलांग, शिवमोग्गा, तंजावुर आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 42 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें बेंगलुरु, भिलाई, बिलासपुर, छपरा, चित्तूर, धारवाड़, गंगटोक, गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, जलगांव, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, कटिहार, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मालेगांव, मंडीखेड़ा, नाहरलागुन, नलबाड़ी, नयागढ़, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरसा, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, टेन्सा, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, यादगीर आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 105 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अजमेर, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अंगुल, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, बेगूसराय, बेतिया, भागलपुर, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलीपाड़ा, बोइसर, ब्रजराजनगर, बक्सर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, छाल, चित्तौड़गढ़, चूरू, कटक, दौसा, देहरादून, धनबाद, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुम्मिडीपूंडी, गुवाहाटी, हनुमानगढ़, हिसार, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जालंधर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, करौली, काशीपुर, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, लखनऊ, लुधियाना, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नांदेड़, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, परभणी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रतापगढ़, पुणे, राजगीर, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, सहरसा, सवाई माधोपुर, सिरोही, सूरत, ठाणे, थूथुकुडी, तुमडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 45 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अहमदाबाद, अंबाला, अंकलेश्वर, बालासोर, बल्लभगढ़, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेलापुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, ब्यासनगर, देवास, धारूहेड़ा, डूंगरपुर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हावड़ा, जयपुर, कैथल, करनाल, कटनी, कोलकाता, कोटा, कुरुक्षेत्र, मंडीदीप, नंदेसरी, पंचकुला, प्रयागराज, राजसमंद, सागर, सांगली, सासाराम, सीकर, सिंगरौली, श्री गंगानगर, तालचेर, टोंक, विरार, यमुना नगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 17 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, बहादुरगढ़, भिवाड़ी, भिवानी, भोपाल, बुलंदशहर, चरखी दादरी, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, जींद, खुर्जा, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पानीपत, पीथमपुर, सोनीपत शामिल हैं। वहीं गाजियाबाद (437), हापुड़ (420) और नोएडा (418) में स्थिति गंभीर है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 249 में से महज 37 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 42 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 22 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 51 दर्ज किया गया था।
105 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज एक बार फिर गाजियाबाद (437) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 450 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल गाजियाबाद में सूचकांक 434 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में तीन अंकों का इजाफा हुआ है। गाजियाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 391 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां चार अंकों के इजाफे के साथ एक्यूआई बढ़कर 237 पर पहुंच गया।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 23 नवंबर को ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है, वहीं हापुड़ (420) दूसरे, जबकि नोएडा (418) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 257, गाजियाबाद में 437, गुवाहाटी में 104, गुरूग्राम में 295, नोएडा में 418, ग्रेटर नोएडा में 399 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 176 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 183, चेन्नई में 41, चंडीगढ़ में 154, हैदराबाद में 84, जयपुर में 247 और पटना में 154 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 37 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमरावती (आंध्रप्रदेश), अनंतपुर, अरियालुर, चामराजनगर, चेन्नई, चिक्कमगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, डिंडीगुल, कडप्पा, करूर, कोल्लम, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, मैसूर, नागांव, नागपट्टिनम, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम, सलेम, शिलांग, शिवमोग्गा, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, विजयपुरा, विरुधुनगर शामिल हैं।
वहीं अहमदनगर, अकोला, बागलकोट, बेंगलुरु, भिलाई, बिलासपुर, छपरा, चित्तूर, धारवाड़, गंगटोक, गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, जलगांव, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, कटिहार, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मालेगांव, मंडीखेड़ा, नाहरलागुन, नलबाड़ी, नयागढ़, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरसा, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, टेन्सा, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, यादगीर आदि 42 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का कहर, गाजियाबाद में 434, दिल्ली में 370 एक्यूआई