सीएसई की ओजोन प्रदूषण रिपोर्ट पर एनजीटी ने लिया स्वतः संज्ञान, पर्यावरण मंत्रालय से मांगा जवाब

सीएसई ने अपनी रिपोर्ट "एयर क्वालिटी ट्रैकर: एन इनविजिबल थ्रेट" में खुलासा किया है कि भारतीय शहरों में ओजोन प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि हुई है
सिर्फ बड़े शहरों की समस्या नहीं रहा वायु प्रदूषण; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
सिर्फ बड़े शहरों की समस्या नहीं रहा वायु प्रदूषण; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
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भारतीय शहरों में ओजोन प्रदूषण के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इसपर 21 मार्च 2025 को सुनवाई की। इस दौरान जमीनी स्तर पर बढ़ते ओजोन प्रदूषण की समीक्षा की गई। गौरतलब है कि डाउन टू अर्थ में छह अगस्त 2024 को प्रकाशित सीएसई की रिपोर्ट “एयर क्वालिटी ट्रैकर: एन इनविजिबल थ्रेट” के आधार पर एनजीटी ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है।

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि ओजोन प्रदूषण विशेषकर उन लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, जो सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ‘ग्राउंड-लेवल ओजोन’ एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है, जो स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। यह सांस संबंधी समस्याओं, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से जूझ रहे मरीजों को विशेष रूप से प्रभावित करती है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 20 जनवरी, 2025 को इस मामले में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में, 178 निगरानी स्टेशनों पर ओजोन के स्तर की जांच की गई। इनसे प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर और मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में महज एक-एक स्टेशनों पर प्रति घंटे मापा गया ओजोन का स्तर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक था।

वहीं आठ घंटों की माप के आधार पर देखें तो 32 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर ओजोन का स्तर वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक था। इनमें दिल्ली-एनसीआर के 15, मुंबई के 10, जयपुर के पांच और पुणे के दो स्टेशन शामिल थे।

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सिर्फ बड़े शहरों की समस्या नहीं रहा वायु प्रदूषण; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई

वहीं 2024 में गर्मियों के दौरान 178 निगरानी स्टेशनों में से दिल्ली-एनसीआर के 8 स्टेशनों और चेन्नई के एक स्टेशन पर ओजोन का स्तर प्रति घंटे की माप के आधार पर तय मानकों से कहीं अधिक रहा।

इसी तरह 2023 में, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई के एक-एक स्टेशनों पर रात के समय (रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच) प्रति घंटे ओजोन का स्तर मानकों से अधिक रहा। रिपोर्ट के मुताबिक इसका मतलब है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में दिल्ली-एनसीआर और मुंबई महानगर क्षेत्र में ओजोन के स्तर में कहीं अधिक वृद्धि दर्ज की गई।

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा, "रिपोर्ट से पता चलता है कि कुछ शहरों में निगरानी स्टेशनों पर ओजोन का स्तर बहुत अधिक था।"

साथ ही अदालत ने सीपीसीबी से इस बात पर भी प्रकाश डालने को कहा गया है कि ओजोन के दर्ज स्तर की तुलना राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से कैसे की गई है। विशेष रूप से, उन्हें यह भी स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने ओजोन का स्तर बहुत अधिक है या नहीं यह तय करने के लिए दो फीसदी की सीमा के बजाय पांच फीसदी की अधिकता सीमा का उपयोग क्यों किया है।

आदेश में यह भी कहा गया है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अब तक अपना जवाब दाखिल नहीं दिया है। उनकी ओर से पेश वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से और चार सप्ताह का समय मांगा है।

इस मामले में अगली सुनवाई 24 जुलाई 2025 को होगी।

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सीएसई रिपोर्ट में क्या कुछ आया था सामने

बता दें कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने अपनी रिपोर्ट “एयर क्वालिटी ट्रैकर: एन इनविजिबल थ्रेट” में कहा है कि 2024 में गर्मियों के दौरान भारत के दस प्रमुख शहरों में जमीनी स्तर पर ओजोन का स्तर काफी बढ़ गया, जिससे इन क्षेत्रों में हवा कहीं ज्यादा जहरीली हो गई थी।

सीएसई ने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि भारतीय शहरों में ओजोन प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट में दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और पुणे के साथ ग्रेटर अहमदाबाद, ग्रेटर हैदराबाद, ग्रेटर जयपुर और ग्रेटर लखनऊ में ओजोन के स्तर का विश्लेषण किया गया है।

रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि जनवरी से जुलाई 2024 के बीच दिल्ली-एनसीआर में 176 दिन ग्राउंड-लेवल ओजोन का स्तर सामान्य से अधिक रहा। इसी तरह मुंबई और पुणे में 138 दिन ऐसी ही स्थिति थी। वहीं जयपुर में 126 दिन, हैदराबाद में 86, कोलकाता में 63, बेंगलुरु में 59, लखनऊ में 49 और अहमदाबाद में 41 दिन ओजोन का स्तर कहीं अधिक था। वहीं चेन्नई में ऐसे दिनों की संख्या सबसे कम नौ दर्ज की गई।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, अहमदाबाद और चेन्नई में गर्मियों के दौरान ग्राउंड-लेवल ओजोन का बढ़ना बेहद आम हो गया है। हालांकि, मुंबई, पुणे, हैदराबाद और बेंगलुरु में गर्मियों (अप्रैल-जुलाई) की तुलना में जनवरी से मार्च के बीच ओजोन में कहीं ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई।

रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया है कि इस साल ओजोन प्रदूषण की बढ़ती समस्या 2020 में लॉकडाउन के दौरान गर्मियों में पैदा हुई समस्या से भी कहीं ज्यादा व्यापक है। इतना ही नहीं हवा में घुलते जहर की यह समस्या लम्बे समय तक बनी रही।

देखा जाए तो देश में वायु प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन चुका है, स्थिति यह है कि बढ़ते प्रदूषण की समस्या अब केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। छोटे शहर भी बढ़ते प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसा ही कुछ ओजोन के मामले में भी देखने को मिला है जब छोटे महानगरों में भी यह समस्या नाटकीय रूप से पैर पसार रही है।

देश में वायु गुणवत्ता की ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।

 सीएसई रिपोर्ट "एयर क्वालिटी ट्रैकर: एन इनविजिबल थ्रेट" पढ़ने के लिए यहां जाएं।

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