

भारत ने इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर बाजार में वैश्विक नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है, जहां 2024 में 57 फीसदी हिस्सेदारी रही। यह उपलब्धि भारत की स्वच्छ और प्रदूषण रहित परिवहन की दिशा में तेजी से बढ़ती पहल का परिणाम है।
सरकारी योजनाओं और निजी निवेश के सहयोग से भारत ने इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
रिपोर्ट बताती है कि भारतीय नीतियों पर आधारित तेज बदलाव ने देश को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार बना दिया है। आंकड़ों से पता चला है कि 2024 में वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री में भारत की हिस्सेदारी छह फीसदी रही।
भारत इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर बाजार में वैश्विक नेता बनकर उभरा है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक 2024 के दौरान दुनिया में जितने भी इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर बिके थे, उनमें से 57 फीसदी अकेले भारत में बेचे गए थे।
इस रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है कि भारत तेजी से स्वच्छ और प्रदूषण रहित परिवहन की दिशा में आगे बढ़ रहा है और दुनिया को शून्य-उत्सर्जन परिवहन प्रणाली की ओर ले जाने में एक अहम भूमिका निभा रहा है।
“कॉप30 प्रोग्रेस अपडेट: ड्राइविंग प्रोग्रेस ऑन द जीरो-एमिशन व्हीकल ट्रांजिशन” नामक यह रिपोर्ट ब्राजील के बेलेम शहर में चल रहे कॉप-30 सम्मेलन में जारी की गई है। रिपोर्ट एक्सेलरेटिंग टू जीरो कोएलिशन द्वारा तैयार की गई है, जिसे इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आइसीसीटी) का सहयोग प्राप्त है।
सरकारी योजनाओं का बड़ा योगदान
रिपोर्ट बताती है कि भारतीय नीतियों पर आधारित तेज बदलाव ने देश को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार बना दिया है। आंकड़ों से पता चला है कि 2024 में वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री में भारत की हिस्सेदारी छह फीसदी रही।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि फेम और पीएम ई-ड्राइव जैसी लक्षित सरकारी योजनाओं ने इलेक्ट्रिक और पारंपरिक वाहनों की कीमतों को करीब लाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इससे न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाया गया, बल्कि साथ ही छोटी दूरी की परिवहन सेवाओं (लास्ट-माइल मोबिलिटी) में भी निजी निवेश बढ़ा है।
यह बदलाव सरकार और निजी कंपनियों की मजबूत भागीदारी से संभव हुआ है। खासकर अंतिम-मील डिलीवरी में, जहां कंपनियां खर्च बचाने के लिए तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपना रही हैं और रेंटल पार्टनर्स के साथ मिलकर पूरा ईवी सिस्टम तैयार कर रही हैं।
भारत में आइसीसीटी के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित भट्ट के मुताबिक, पिछले साल भारत में बिकने वाले सभी मोटर वाहनों में से तीन-चौथाई से ज्यादा दोपहिया वाहन थे। वहीं वाहनों की कुल बिक्री में दोपहिया और तिपहिया वाहन मिलकर करीब 80 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं। ऐसे में भारत का अपने सबसे बड़े वाहन वर्ग को इलेक्ट्रिक बनाने पर ध्यान देना बिल्कुल सही है और इसके नतीजे अब साफ दिखने लगे हैं।
लेकिन अब सरकार इससे एक कदम आगे बढ़ रही है। पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत सरकार मध्यम और भारी ट्रकों को भी इलेक्ट्रिक बनाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू कर रही है। ये ट्रक भले ही कुल वाहनों का महज तीन फीसदी हिस्सा हों, लेकिन परिवहन क्षेत्र से होने वाले करीब 44 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं। उनके अनुसार यह न सिर्फ जरूरी है, बल्कि सही समय पर उठाया गया कदम भी है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि सहायक नीतियों की वजह से दुनिया भर में ईवी चार्जिंग नेटवर्क बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। यूरोप में सरकारों ने तय लक्ष्य दिए हैं, जबकि भारत में खास प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। यह दोनों तरीके कारगर साबित हुए हैं और बड़े पैमाने पर अपनाए जा सकते हैं।
क्या है आगे की योजना
भारत अपनी सड़कों पर सबसे ज्यादा दौड़ने वाले दुपहिया और तीन पहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाने और उन्हें प्रोत्साहन देने पर फोकस कर रहा है। इस वजह से ईवी बाजार अपने-आप तेजी से फल-फूल रहा है। यह एक ऐसा मजबूत चक्र बना रहा है, जिसमें मांग बढ़ने से उत्पादन बढ़ता है और उत्पादन बढ़ने से कीमतें घटती हैं। इससे ईवी अपनाने की रफ्तार और तेज हो जाती है।
इस गति को और आगे बढ़ाते हुए, पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत भारत 25 लाख इलेक्ट्रिक दो-पहिया और 320,000 तिपहिया वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देगा। इसके लिए 31.5 करोड़ डॉलर की सब्सिडी भी उपलब्ध कराई गई है। इससे वाहनों और चार्जिंग स्टेशन जैसी बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
अनुकूल माहौल के चलते निजी कंपनियां भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। उदाहरण के लिए, जोमैटो ने 2030 तक अपनी डिलीवरी फ्लीट को 100 फीसदी इलेक्ट्रिक बनाने की योजना बनाई है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में किराए पर इलेक्ट्रिक बाइक की एक पायलट योजना भी शुरू की है।
सरकार और निजी क्षेत्र के इस तरह के सहयोग से पता चलता है कि अच्छी नीतियां कैसे उभरते देशों में बड़े पैमाने पर, सतत तरीके से ईवी अपनाने की रफ्तार को तेज कर सकती हैं।
दुनिया में भी चल रही बदलाव की बयार
भले ही कुछ विकसित देशों ने हाल ही में अपनी नीतियों में बदलाव किए हों, लेकिन दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की रफ्तार लगातार बढ़ रही है। उदाहरण के लिए 2024 में दुनिया भर में बिकने वाली हल्की गाड़ियों (जैसे कार आदि) में से 18 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन थे, जो 2023 के 14 फीसदी के आंकड़े से कहीं ज्यादा हैं। यह दिखाता है कि उभरते देशों में भी इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति तेज हुई है।
फ्रांस, स्पेन और क्रोएशिया जैसे देशों ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मिलने वाले प्रोत्साहन बढ़ाए हैं, जबकि यूके और कनाडा ने अपने जीरो-एमिशन व्हीकल नियमों को और मजबूत किया है। दुनिया में चार्जिंग पॉइंट्स की संख्या भी 50 लाख के आंकड़े को पार कर गई है, जो 2022 के बाद से दोगुनी हो चुकी है।
भारत ने हल्के इलेक्ट्रिक वाहनों (लाइट-ड्यूटी ईवी) की बिक्री में लगातार बढ़त बनाए रखी है। 2023 से 2024 के बीच इन वाहनों की बिक्री 23 फीसदी बढ़ी है, और 2025 के पहले छह महीनों में ईवी की बिक्री हिस्सेदारी 2.9 फीसदी रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया को जीरो-एमिशन मोबिलिटी की ओर ले जाने में यूरोपियन यूनियन के एएफआइआर नियम, और भारत के फेम व पीएम ई-ड्राइव जैसी योजनाएं काफी कारगर साबित हो रही हैं।