वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जिस तरह लोगों का मोह बढ़ रहा है, वो पर्यावरण के लिहाज से बेहद सुखद है। इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति इस बढ़ते मोह की पुष्टि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) द्वारा जारी आंकड़े भी करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने अपनी नई रिपोर्ट “ग्लोबल ईवी आउटलुक 2024” में जानकारी देते हुए कहा है कि वैश्विक स्तर पर इस साल बेची जाने वाले हर पांचवी कार के इलेक्ट्रिक होने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2024 में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 1.7 करोड़ पर पहुंच सकती है।
भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री के जो आंकड़े आईईए ने साझा किए हैं उनसे पता चला है कि जहां 2019 में 680 इलेक्ट्रिक कारें बेची गई। वहीं 2023 में यह आंकड़ा 120 गुणा बढ़कर 82,000 पर पहुंच गया था।
भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ती मांग को लेकर जो रुझान सामने आए हैं वो बेहद आशाजनक है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि 2030 तक देश में सालाना बेची जा रही इलेक्ट्रिक कारों की संख्या बढ़कर 10 लाख पर पहुंच जाएगी । वहीं अनुमान है कि 2035 तक यह आंकड़ा बढ़कर 17 लाख पर पहुंच जाएगा।
यदि 2024 की पहली तिमाही में वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक कारों की हुई बिक्री को देखें तो वो 2023 में इसी अवधि के दौरान हुई बिक्री की तुलना में करीब 25 फीसदी अधिक है। इतना ही नहीं इस साल के पहले तीन महीनों में जितनी इलेक्ट्रिक कार खरीदी गई हैं वो 2020 में वैश्विक स्तर पर पूरे साल में खरीदी गई इलेक्ट्रिक कारों के बराबर है।
2030 तक चीनी सड़कों पर एक-तिहाई कारें होंगी इलेक्ट्रिक
आईईए ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इलेक्ट्रिक कारों के प्रति इस बढ़ते मोह में चीन, अमेरिका और यूरोप का बहुत बड़ा हाथ है। कुछ बाजारों में थोड़े समय के लिए आने वाली बाधाओं के बावजूद, इस बात की पूरी सम्भावना है कि 2030 तक चीनी सड़कों पर करीब एक-तिहाई कारें इलेक्ट्रिक होंगी।
ऐसा ही कुछ अमेरिका के मामले में भी देखने को मिलेगा जहां अगले छह वर्षों में सड़कों पर दौड़ने वाली हर पांचवी कार के इलेक्ट्रिक होने की पूरी सम्भावना है।
उम्मीद जताई जा रही है कि 2024 में चीन में बिकने वाली इलेक्ट्रिक कारों की संख्या बढ़कर एक करोड़ पर पहुंच सकती है। जो देश में बिक्री की जाने वाली सभी कारों का करीब 45 फीसदी है।
वहीं इस साल में अमेरिका में खरीदी जाने वाली नौ में से हर एक कार के इलेक्ट्रिक होने की उम्मीद है.हालांकि यूरोपीय बाजारों में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में सुस्ती आई है। कुछ देशों में इसको लेकर दी जा रही सब्सिडी को भी सीमित किया जा रहा है। हालांकि इसके बावजूद वहां आज भी बेचे जाने वाली हर चार में से एक कार के इलेक्ट्रिक होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि इसी तरह 2023 में भी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में रिकॉर्ड 35 लाख की वृद्धि हुई थी। 2022 की तुलना में देखें तो 2023 में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 35 फीसदी बढ़कर 1.4 करोड़ पर पहुंच गई थी। यह मांग मुख्य रूप से चीन, यूरोप और अमेरिका में केंद्रित रही थी।
हालांकि साथ ही वियतनाम और थाईलैंड जैसे उभरते बाजारों में भी इलेक्ट्रिक कारों की मांग बढ़ी है। जहां वियतनाम में 2023 के दौरान बेची गई सभी कारों में से 15 फीसदी इलेक्ट्रिक थी, वहीं थाईलैंड में यह आंकड़ा 10 फीसदी दर्ज किया गया।
रिपोर्ट में आने वाले दशक में इलेक्ट्रिक कारों की मांग में बढ़ोतरी होने की भी उम्मीद जताई है। सम्भावना जताई जा रही है कि इससे ऑटो उद्योग को नया आकार मिलेगा और सड़क परिवहन के लिए तेल की खपत और निर्भरता में उल्लेखनीय कटौती होगी।
रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह इलेक्ट्रिक वाहनों पर निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी की कीमतों में कमी आ रही है और नीतियों में भी इन वाहनों पर जोर दिया जा रहा है उसकी वजह से भविष्य में और भी महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद कर सकते हैं।
रिपोर्ट का यह भी कहना है कि यदि इनकों लेकर मौजूदा नीतियों में कोई बदलाव न भी हो तो भी 2035 में वैश्विक स्तर पर बेची जाने वाली सभी कारों में से आधी के इलेक्ट्रिक होने की पूरी उम्मीद है। वहीं यदि देश समय पर अपनी ऊर्जा और जलवायु सम्बन्धी प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हैं, तो बेची जाने वाली दो-तिहाई कारें 2035 तक इलेक्ट्रिक होंगी।
जीवाश्म ईंधन पर घटती निर्भरता से जलवायु को होगा फायदा
यदि इस परिदृश्य में देखें तो कार, वैन, ट्रक, बस, थ्री-व्हीलर और मोटरसाइकिल जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से हर दिन 1.2 करोड़ बैरल तेल की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह चीन, यूरोप के सड़क परिवहन के लिए तेल की मौजूदा मांग के बराबर है।
देखा जाए तो इससे न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटेगी, साथ ही बढ़ते प्रदूषण में भी कमी आएगी। यह जलवायु में आते बदलावों से निपटने में भी मददगार होगा।
इस बारे में आईईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए कहा है कि, "आंकड़े स्पष्ट रूप से इलेक्ट्रिक कारों में होती वृद्धि को दर्शाते हैं। हालांकि वृद्धि की यह दर अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग है।" उनके मुताबिक दुनिया इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रही है। नीतियां भी इसके पक्ष में हैं। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों का अनुपात बढ़ सकता है।
रिपोर्ट में यह ही कहा है कि वाहन निर्माताओं ने महत्वपूर्ण वित्तीय प्रतिबद्धताओं सहित सरकारों के बढ़ते ईवी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रयास किए हैं। यही वजह है कि पिछले पांच वर्षों में पर्याप्त निवेश की वजह से बैटरी उत्पादन की वैश्विक क्षमता भी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि चीन में 2023 के दौरान बेचीं गई 60 फीसदी इलेक्ट्रिक कारें, पारम्परिक कारों की तुलना में सस्ती थीं। हालांकि यूरोप और अमेरिका में अभी भी दूसरी कारों की कीमते कम हैं। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि जिस तरह से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और बैटरियां बेहतर हो रही हैं, उसकी वजह से भविष्य में इलेक्ट्रिक कारों की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
भले ही इन इलेक्ट्रिक कारों की कीमत खरीदते समय ज्यादा लगे, लेकिन इसके फायदों को देखते हुए यह दूसरी कारों की तुलना में सस्ती हैं। रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिग संबंधी बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की बात कही है। ताकि वो इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ती बिक्री के साथ तालमेल रख सके।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि 2022 की तुलना में 2023 में वैश्विक स्तर पर 40 फीसदी अधिक सार्वजनिक चार्जिंग पॉइंट थे। इसके साथ ही फास्ट चार्जर्स में भी तेजी से वृद्धि हो रही है।
हालांकि इसके बावजूद सरकारों के इलेक्ट्रिक कारों में वृद्धि को लेकर जो वादे किए हैं उनको पूरा करने के लिए, 2035 तक चार्जिंग नेटवर्क को छह गुना बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही, नीतियों और योजनाओं में यह भी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि चार्जिंग से बिजली की बढ़ती मांग ग्रिडों पर बहुत अधिक दबाव न डाले।