
देश में प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 08 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कल (सात मार्च 2025) से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 46 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
इसके साथ ही साफ हवा वाले शहरों की गिनती घटकर महज सात रह गई है।
मतलब की देश के महज तीन फीसदी शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में झांसी, करूर, मैहर, प्रयागराज, रामनाथपुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं। वहीं देश में आज मैहर की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 28 दर्ज किया गया है।
वहीं दूसरी तरफ देश में परभनी की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां एक्यूआई 335 रिकॉर्ड किया गया है। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' बनी हुई है।
ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर परभनी की तुलना मैहर से करें तो वहां स्थिति 15 गुणा ज्यादा खराब है।
प्रदूषण के मामले में तालचेर दूसरे स्थान पर है, जहां सूचकांक 279 रिकॉर्ड किया गया है। वहीं 272 अंकों के साथ हाजीपुर तीसरे, जबकि श्रीगंगानगर (271) चौथे स्थान पर है। पांचवें स्थान पर मौजूद अंगुल में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 250 दर्ज किया गया है।
प्रदूषण के मामले में ब्यासनगर, छठे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 248 दर्ज किया गया है। तिरुवनंतपुरम में भी एक्यूआई 238 पर बना हुआ है। आठवें स्थान पर मौजूद नलबाड़ी में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 236 है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में 18 शहरों की वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है। इन शहरों में अंगुल, बालासोर, ब्यासनगर, चरखी दादरी, गाजियाबाद, गोरखपुर, गुवाहाटी, हाजीपुर, हनुमानगढ़, नलबाड़ी, नांदेड़, पटना, समस्तीपुर, श्रीगंगानगर, तालचेर, तिरुवनंतपुरम, तुमकुरु, वातवा शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है।
दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही वहां वायु गुणवत्ता का स्तर 'खराब' से मध्यम श्रेणी में पहुंच गया है। दिल्ली की तरह ही देश के 122 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में भी हुई है।
इन शहरों में कटक, दौसा, देहरादून, दिल्ली, देवास, धनबाद, डिंडीगुल, दुर्गापुर, गांधीनगर, गया, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, हैदराबाद, इंफाल, जयपुर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, किशनगंज, कोहिमा, कोलकाता, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंबई आदि शहर शामिल हैं।
कल से देखें तो इन शहरों की संख्या में मामूली उछाल आया है।
दिल्ली के पड़ोसी शहर फरीदाबाद की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में 15 अंकों की गिरावट आई है, जिसके साथ ही वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 88 पर पहुंच गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता मध्यम से संतोषजनक श्रेणी में पहुंच गई है।
फरीदाबाद की तरह ही देश के 89 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में जैसलमेर, जालंधर, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, करौली, कटिहार, खन्ना, कोलार, कोल्हापुर, कोल्लम, कोप्पल, कोटा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागपट्टिनम, नागपुर, नोएडा, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रायपुर आदि शामिल हैं।
अच्छी खबर यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब दस फीसदी का इजाफा हुआ है।
रुझानों के मुताबिक देश के महज तीन फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं दूसरी तरफ 59 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। इसी तरह 38 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 239 में से महज सात शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 90 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 07 मार्च 2025 को यह आंकड़ा 82 दर्ज किया गया।
123 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में परभनी (335) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 350 के करीब पहुंच गया। वहीं कल बर्नीहाट में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 316 दर्ज किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में अच्छी खासी गिरावट आई है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 44 अंकों की गिरावट के साथ 158 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘खराब’ से 'मध्यम' श्रेणी में पहुंच गया है।
गौरतलब है कि जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज श्रीगंगानगर चौथे स्थान पर है, वहीं तालचेर (279) दूसरे, जबकि हाजीपुर (272) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 88, गाजियाबाद में 210, गुरुग्राम में 200, नोएडा में 98, ग्रेटर नोएडा में 96 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 126 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 118, चेन्नई में 101, चंडीगढ़ में 94, हैदराबाद में 101, जयपुर में 141 और पटना में 215 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन सात शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, बेलगाम, झांसी, करूर, मैहर, प्रयागराज, रामनाथपुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, आगरा, अजमेर, अलवर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, अरियालूर, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भोपाल, बीदर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, एलूर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, ग्रेटर नोएडा, हापुड, हावेरी, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जालंधर, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, करौली, कटिहार, खन्ना, कोलार, कोल्हापुर, कोल्लम, कोप्पल, कोटा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागपट्टिनम, नागपुर, नोएडा, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, ऋषिकेश, रूपनगर, सागर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सिवान, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, उज्जैन, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर आदि 90 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।