थाली पर असर: जुलाई में क्यों बढ़ा खाने का खर्च, एफएओ ने बताई वजह

वैश्विक खाद्य कीमतों में 1.6 फीसदी की तेजी, तेल मांस महंगा, अनाज, दूध, चीनी से मिली राहत
फोटो: आईस्टॉक
फोटो: आईस्टॉक
Published on

जब थाली महंगी होती है, तो यह संकट महज रसोई तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका असर न केवल आम आदमी की जेब पर बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। ऐसा ही कुछ जुलाई 2025 में भी देखने को मिला जब खाने-पीने की चीजों के दाम एक बार फिर चढ़ गए।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि जुलाई में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक में फिर तेजी आई है, और इस बार बढ़ती कीमतों की वजह खाद्य तेल और मांस की कीमतों में लगी आग है।

एफएओ द्वारा जारी रुझानों से पता चला है कि जुलाई 2025 में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक (फूड प्राइस इंडेक्स) 130.1 अंक रहा, जो जून के मुकाबले 1.6 फीसदी अधिक है। यह बढ़त मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल और मांस की कीमतों में आए उछाल से हुई है। हालांकि राहत की बात यह है कि इंडेक्स अभी भी मार्च 2022 के अपने शिखर से 18.8 फीसदी नीचे है, लेकिन जुलाई 2024 के मुकाबले सूचकांक 7.6 फीसदी बढ़ गया है।

बता दें कि एफएओ का यह खाद्य मूल्य सूचकांक दुनिया भर में व्यापार किए जाने वाले प्रमुख खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, तेल, मांस, डेयरी और चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आने वाले मासिक बदलाव को मापता है। यह वैश्विक स्तर पर खाद्य महंगाई को समझने का एक अहम पैमाना है।

कहां बढ़े दाम, किन चीजों में रही नरमी

एफएओ के मुताबिक, जुलाई 2025 में वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक 166.8 अंकों पर पहुंच गया, जो जून के मुकाबले 7.1 फीसद अधिक है। देखा जाए तो पिछले तीन वर्षों में यह पहला मौका है जब सूचकांक इस ऊंचाई पर पहुंचा है। इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह पाम, सोया और सूरजमुखी तेल की कीमतों में तेजी रही, जिसने रेपसीड तेल की गिरती कीमतों की भरपाई कर दी।

पाम तेल की कीमतों में लगातार दूसरे महीने बढ़ोतरी हुई, जिसका कारण रहा इसकी अन्य तेलों की तुलना में बेहतर कीमत और मजबूत वैश्विक मांग। वहीं अमेरिका में बायोफ्यूल सेक्टर से उम्मीदों के चलते सोया तेल की कीमतें बढ़ गई। इसी तरह ब्लैक सी क्षेत्र से आपूर्ति घटने सूरजमुखी तेल की कीमतों में उछाल देखा गया। वहीं यूरोप में नई फसल की आवक से आपूर्ति बढ़ गई जिसके वजह से रेपसीड तेल की कीमतों में नरमी देखी गई।

यह भी पढ़ें
वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में आई गिरावट, दूध मांस हुआ महंगा
फोटो: आईस्टॉक

जुलाई 2025 में तेल की तरह ही मांस की कीमतों में उछाल देखा गया, जब मांस मूल्य सूचकांक 1.2 फीसदी के उछाल के साथ 127.3 अंकों पर पहुंच गया। यह अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।

रुझानों के मुताबिक जुलाई 2025 में वैश्विक अनाज मूल्य सूचकांक 0.8 फीसदी फिसलकर 106.5 अंकों पर आ गया, जो जुलाई 2024 के मुकाबले 3.8 फीसदी कम है। इस दौरान गेहूं और ज्वार की कीमतों में गिरावट रही, जबकि मक्का और जौ के दाम बढ़े। उत्तरी गोलार्ध में गेहूं की फसल आने से कीमतों पर दबाव रहा, हालांकि अमेरिका में खराब मौसम और यूरोप व काला सागर क्षेत्र में किसानों की धीमी बिक्री ने कीमतों को कुछ समर्थन दिया।

गेहूं की तरह ही चावल के दामों में भी 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जिसका कारण पर्याप्त निर्यात आपूर्ति और कमजोर वैश्विक मांग रही।

डेयरी कीमतों में मामूली गिरावट, पनीर हुआ महंगा

जुलाई 2025 में डेयरी मूल्य सूचकांक 155.3 अंक रहा, जो जून से 0.1 फीसदी कम है, लेकिन यह अभी भी पिछले साल जुलाई की तुलना में 21.5 फीसदी अधिक है। अप्रैल 2024 के बाद यह पहला मौका है जब इसकी कीमतों में महीने दर महीने गिरावट आई है।

रिपोर्ट से पता चला है कि मक्खन और मिल्क पाउडर की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। मक्खन की कीमतों में इस दौरान 1.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। खासतौर पर ओशिनिया में उत्पादन बढ़ने और स्टॉक अधिक होने के कारण ऐसा हुआ। हालांकि यूरोप में क्रीम की कमी और मजबूत मांग ने गिरावट को थामे रखा। इसी तरह फुल और स्किम मिल्क पाउडर की कीमतें भी घटीं, क्योंकि ओशिनिया से आपूर्ति बढ़ी और एशिया, खासकर चीन में मांग कमजोर रही।

दूसरी ओर, पनीर की कीमतों में इजाफा दर्ज किया गया, जिसका कारण एशिया और पश्चिम एशिया में अच्छी मांग और यूरोप से कम निर्यात रहा।

यह भी पढ़ें
खाद्य मूल्य सूचकांक में गिरावट, लेकिन घट सकता है वैश्विक उत्पादन
फोटो: आईस्टॉक

चीनी में लगातार पांचवें महीने रही मंदी

रुझानों के अनुसार, जुलाई 2025 में चीनी मूल्य सूचकांक 103.3 अंक रहा, जो जून के मुकाबले 0.2 फीसदी कम है। यह लगातार पांचवां महीना है जब चीनी की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जुलाई के मुकाबले कीमतें अभी भी 13.5 फीसदी कम हैं।

इस गिरावट की प्रमुख वजह 2025-26 में वैश्विक चीनी उत्पादन के बढ़ने की उम्मीदें हैं, खासकर भारत, थाईलैंड और ब्राजील में बेहतर मौसम की वजह से उत्पादन और पैदावार बढ़ सकती है। हालांकि, वैश्विक आयात मांग में सुधार के संकेतों ने गिरावट को कुछ हद तक सीमित कर दिया।

कुल मिलकर देखें तो जुलाई 2025 में वैश्विक खाद्य कीमतों में हल्की तेजी आई है, खासकर तेल और मांस की बढ़ती कीमतें इसके लिए जिम्मेवार रही। वहीं अनाज, डेयरी और चीनी के दामों में गिरावट दर्ज की गई।

यह संकेत है कि वैश्विक बाजार में खाद्य आपूर्ति और मांग की स्थिति अब भी अस्थिर बनी हुई है, जिसका असर आम लोगों की थाली पर पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें
जून में अनाज, चीनी की कीमतों में आई मंदी, दूध, मांस, तेल ने महंगी की थाली
फोटो: आईस्टॉक

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in