
पेरू के कॉर्डिलेरा डे हुआनकाबाम्बा की चोटियां जो 4000 मीटर से अधिक ऊंचाई तक फैली हुई हैं, जो अक्सर बादलों से ढकी रहती हैं, यहां वैज्ञानिकों की एक टीम ने तीन रहस्यमयी मेंढकों को गुमनामी से बाहर निकालकर वैज्ञानिक रिकॉर्ड में शामिल किया है।
शोध में प्रिस्टिमांटिस चिंगुएलस, पी. नुनेजकोर्टेजी और पी. योन्के नामक मेंढकों के बारे में वर्णन किया गया है। ये उत्तर-पश्चिमी पेरू के ऊबड़-खाबड़ और ऊंचे इलाकों में खोजी गई तीन नई प्रजातियां हैं।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि वे छोटे और शांत हैं, लेकिन ये मेंढक इस बात की याद दिलाते हैं कि अभी भी एंडीज के बारे में कितना कुछ नहीं जानते हैं।
साल 2021 से 2024 के बीच, शोधकर्ताओं ने कई कठिन अभियान चलाए, खड़ी पगडंडियों पर चढ़ाई की और उभयचर जीवन के संकेतों के लिए काई वाले जंगलों और गीले पैरामो की तलाशी ली। ऐसा वातावरण जो बहुत कठोर और मनमोहक भी था, जहां शोधकर्ताओं का सामना नई प्रजाति से हुआ।
हर मेंढक की एक अलग कहानी
इवोल्यूशनरी सिस्टमैटिक्स पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक, पेरू के सेरो चिंगुएलास की चट्टान पर खोजा गया पी. चिंगुएलास नामक मेंढक, इसका एक ऐसा शरीर है जिसके दोनों ओर बड़े-बड़े ट्यूबरकल हैं। इसकी ऊंची आवाज को उमस भरी रातों में सुना जा सकता है।
पी. नुनेजकोर्टेजी नामक मेंढक एक पुनर्जीवित जंगल में एक ठंडी पहाड़ी धारा के पास रहता है। कमर पर बड़े काले धब्बों के साथ, इसका नाम पक्षी विज्ञानी एलियो नुनेज-कोर्टेज के सम्मान में रखा गया था, जो इस क्षेत्र में संरक्षण के अग्रदूत थे।
तीनों में से सबसे छोटा पी. योन्के नामक मेढक, लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई पर ब्रोमेलियाड में बसा हुआ पाया गया था। इसका नाम "योन्के" से लिया गया है, जो स्थानीय लोगों द्वारा हाइलैंड की ठंड से बचने के लिए पी जाने वाली गन्ने की एक शराब है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि इस क्षेत्र की खोज करना फील्डवर्क से कहीं अधिक है, यह जंगल, संस्कृति और लचीलेपन में डूब जाने जैसा है। इनमें से कई पर्वत श्रृंखलाएं अलग-अलग हैं, जहां सड़कें नहीं हैं और इलाके बहुत ही कठिन हैं। मौसम मिनटों में बदल जाता है और खड़ी चट्टानें हर कदम को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पहले बहुत कम वैज्ञानिकों ने यहां काम किया है। लेकिन यही कारण है कि अभी भी बहुत कुछ खोजना बाकी है।
इस रोमांच खोज के बावजूद, मेंढकों का भविष्य अनिश्चित है। शोधकर्ताओं ने आवास के नुकसान, आग से होने वाले नुकसान और अंधाधुंद खेती के कारण गायब होते जंगल देखे हैं। फिलहाल, प्रजातियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के मानदंडों के तहत आंकड़ों की कमी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन कार्रवाई का आह्वान स्पष्ट है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि कॉर्डिलेरा डी हुआनकाबाम्बा केवल एक दूरस्थ क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत संग्रह है।अभी तक यहां बहुत कम शोध अध्ययन की गए हैं।