अरुणाचल प्रदेश के जंगल में मिला सींग वाला मेंढक, वैज्ञानिकों ने नाम रखा

मेंढक की इस प्रजाति का नाम राज्य की अपतानी जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो जेनोफ़्रीस अपतानी है।
मेंढक की प्रजाति का नाम अरुणाचल प्रदेश की अपातानी जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश की निचली सुबनसिरी घाटी में रहती है और जहां टेल वन्यजीव अभयारण्य स्थित है।
मेंढक की प्रजाति का नाम अरुणाचल प्रदेश की अपातानी जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश की निचली सुबनसिरी घाटी में रहती है और जहां टेल वन्यजीव अभयारण्य स्थित है।फोटो साभार: भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई)
Published on

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने हाल ही में एक लाख से अधिक जीवों की प्रजातियों की पहली सूची तैयार की है। वहीं जेडएसआई के शोधकर्ता लगातार नई प्रजातियों के खोज को आगे बढ़ा रहे हैं। इसी क्रम में अरुणाचल प्रदेश के टेल वन्यजीव अभयारण्य (डब्ल्यूएलएस) में जंगल में रहने वाले सींग वाले मेंढक की एक नई प्रजाति की खोज की गई है। इस खोज को शिलांग में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने अंजाम दिया है।

जेडएसआई की अगुवाई में किए गए इस शोध में बताया गया है कि मेंढक की इस प्रजाति का नाम राज्य की अपतानी जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो जेनोफ्रीस अपतानी है। यह खोज भारत की सरीसृप-जीव विविधता में एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी को दर्शाती है।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, यह खोज भारत में माओसन सींग वाले मेंढक (जेनोफ्रीस माओसोनेसिस) के बारे में 2019 में जेडएसआई, शिलांग के शोधकर्ताओं द्वारा दी गई एक गलत रिपोर्ट में सुधार करती है। प्रजाति की पहचान के बारे में संशोधित निष्कर्ष आगे के विश्लेषण के बाद किए गए थे, जिसमें भारतीय नमूने और वियतनाम और चीन के एक्स. माओसुनेसिस के बीच पर्याप्त आनुवंशिक असमानताएं सामने आई थीं, जिससे इसका पुनर्मूल्यांकन करने में मदद मिली।

शोध के अनुसार, जेनोफ्रीस अपतानी की खोज भारत की समृद्ध जैव विविधता को सामने लाती है और देश की प्राकृतिक विरासत को समझने में कठोर वर्गीकरण और अध्ययन के महत्व पर प्रकाश डालती है।

शोधकर्ता ने शोध में कहा, नए मेंढक की प्रजाति का नाम अरुणाचल प्रदेश की अपातानी जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश की निचली सुबनसिरी घाटी में रहती है और जहां टेल वन्यजीव अभयारण्य स्थित है। जंगली वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण में उनकी सरलता को मान्यता देते हुए यह नाम रखा गया है।

शोधकर्ताओं ने भारत में जेनोफ्रीस प्रजातियों के जैव-भौगोलिक वितरण के बारे में भी जानकारी दी, जो पूर्वी हिमालय और इंडो-बर्मा जैवविविधता हॉटस्पॉट के साथ फैली है। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि ये निष्कर्ष भविष्य के संरक्षण प्रयासों को दिशा देंगे और इलाके में उभयचर विकास के बारे में जानकारी बढ़ाएंगे।

टेल डब्ल्यूएलएस अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें विविध उभयचर प्रजातियां शामिल हैं। जेनोफ्रीस अपतानी की खोज पूर्वी हिमालय में उभयचर संरक्षण के लिए एक हॉटस्पॉट के रूप में अभयारण्य के महत्व को उजागर करती है।

संयोग से, यह टेल डब्ल्यूएलएस से हाल के दिनों में शोधकर्ताओं के द्वारा खोजी गई मेंढकों की पांचवीं नई प्रजाति है। 2017 में, उन्होंने ओडोराना अरुणाचलेंसिस की खोज की थी और 2019 में उन्होंने इस संरक्षित क्षेत्र से लिउराना मेंढकों की तीन नई प्रजातियों की खोज की थी और उन्हें लिउराना हिमालयाना, लिउराना इंडिका और लिउराना मिनुटा नाम दिया था।

टेल के अलावा शोधकर्ताओं ने 2022 में पश्चिमी अरुणाचल से कैस्केड मेंढकों की तीन नई प्रजातियों की खोज की थी। ये पश्चिमी कामेंग जिले के सेसा और दिरांग से अमोलोप्स टेराओर्किस और अमोलोप्स चाणक्य और तवांग जिले के जंग-मुक्तो रोड से अमोलोप्स तवांग थे।

वर्तमान शोध के निष्कर्ष भारतीय प्राणी सर्वेक्षण पत्रिका के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुए हैं, जो भारत की अनोखे जैव विविधता को सूचीबद्ध करने और संरक्षित करने के चल रहे प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in