वैज्ञानिकों ने पैंगोलिन की नई प्रजाति ढूंढ़ी, मंडरा रहा है अस्तित्व पर संकट

जीनोमिक विश्लेषण से पता चलता है कि इंडो-बर्मा पैंगोलिन लगभग 34 लाख साल पहले चीनी पैंगोलिन से अलग हो गया था, जो एक लंबे स्वतंत्र विकासवादी इतिहास की ओर इशारा है।
वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्राधिकरण, आईयूसीएन में पैंगोलिन विशेषज्ञ समूह के वर्गीकरण के प्रस्तावित इंडो-बर्मा पैंगोलिन विवरण को पैंगोलिन वर्गीकरण और संरक्षण के लिए एक रोमांचक खोज कहा गया है।
वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्राधिकरण, आईयूसीएन में पैंगोलिन विशेषज्ञ समूह के वर्गीकरण के प्रस्तावित इंडो-बर्मा पैंगोलिन विवरण को पैंगोलिन वर्गीकरण और संरक्षण के लिए एक रोमांचक खोज कहा गया है। फोटो साभार: आईस्टॉक
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आज से लगभग 34 लाख साल पहले, इंडो-बर्मा क्षेत्र में एक छुपी हुई विकासवादी कहानी सामने आई, जिसमें एक गुप्त पैंगोलिन प्रजाति चीनी पैंगोलिन (मैनिस पेंटाडाक्टाइल) से अलग हो गई। लंबे समय से एक ही प्रजाति समझी जाने वाली भारतीय वैज्ञानिक अब इसे अलग प्रजाति के रूप में देख रहे हैं, हालांकि कुछ विशेषज्ञ संशय में भी हैं।

मैमेलियन बायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के वैज्ञानिकों ने चीनी पैंगोलिन की पश्चिमी सीमा से बरामद पैंगोलिन के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (एमटीडीएनए) के विश्लेषण के बाद इंडो-बर्मा पैंगोलिन को एक नई प्रजाति, मैनिस इंडोबर्मानिका के रूप में इसका वर्णन किया।

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वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्राधिकरण, आईयूसीएन में पैंगोलिन विशेषज्ञ समूह के वर्गीकरण के प्रस्तावित इंडो-बर्मा पैंगोलिन विवरण को पैंगोलिन वर्गीकरण और संरक्षण के लिए एक रोमांचक खोज कहा गया है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया कि जीनोमिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह लगभग 34 लाख साल पहले चीनी पैंगोलिन से अलग हो गया था, जो एक लंबे स्वतंत्र विकासवादी इतिहास की ओर इशारा है। उन्होंने कहा कि विश्लेषण में मैनिस इंडोबरमैनिका और मैनिस पेंटाडैक्टाइला के बीच काफी आनुवंशिक अंतर पाया गया है, जो प्रजाति-स्तर पर अलग किया जा सकता है।

शोध के मुताबिक यदि इंडो-बर्मा पैंगोलिन को विज्ञान और संरक्षण समुदाय आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लेते हैं, तो इससे पैंगोलिन की ज्ञात प्रजातियों की कुल संख्या नौ हो जाएगी। इसमें चार अन्य एशियाई प्रजातियां शामिल हैं, चीनी, भारतीय (एम. क्रैसिकौडाटा), सुंडा (एम. जावानिका) और फिलीपीन (एम. कुलियोनेसिस) - और चार अफ़्रीकी: ब्लैक-बेलिड (फ़ैतागिनस टेट्राडैक्टाइला), व्हाइट-बेलिड (फ़ैतागिनस ट्राइकसपिस), टेमिन्क (स्मुट्सिया टेमिन्की) और विशाल ग्राउंड पैंगोलिन (स्मुट्सिया गिगेंटिया)।

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वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्राधिकरण, आईयूसीएन में पैंगोलिन विशेषज्ञ समूह के वर्गीकरण के प्रस्तावित इंडो-बर्मा पैंगोलिन विवरण को पैंगोलिन वर्गीकरण और संरक्षण के लिए एक रोमांचक खोज कहा गया है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया कि इंडो-बर्मी पैंगोलिन अन्य एशियाई पैंगोलिन, खासकर अपने सबसे करीबी रिश्तेदार, चीनी और भारतीय पैंगोलिन के साथ कई विशेषताएं साझा करता है। इनमें इसके शल्कों के बीच बाल होना शामिल हैं। इन समानताओं के बावजूद, शुरुआती अवलोकन एशियाई समकक्षों की तुलना में शल्क संरचना, शरीर के आकार और कपाल विशेषताओं में अलग-अलग हैं।

वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्राधिकरण, आईयूसीएन में पैंगोलिन विशेषज्ञ समूह के वर्गीकरण के प्रस्तावित इंडो-बर्मा पैंगोलिन विवरण को पैंगोलिन वर्गीकरण और संरक्षण के लिए एक रोमांचक खोज कहा गया है। जेडएसआई टीम के विश्लेषण आणविक डीएनए मजबूत थे।

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वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्राधिकरण, आईयूसीएन में पैंगोलिन विशेषज्ञ समूह के वर्गीकरण के प्रस्तावित इंडो-बर्मा पैंगोलिन विवरण को पैंगोलिन वर्गीकरण और संरक्षण के लिए एक रोमांचक खोज कहा गया है।

इस बात पर सहमति जताई गई कि प्रस्तावित इंडो-बर्मी पैंगोलिन एक नई “फाइलोजेनेटिक प्रजाति” के रूप में फिट बैठता है, जिसका अर्थ है कि इसे चीनी पैंगोलिन से अलग करने के लिए पर्याप्त अनुवांशिक असमानता है, भले ही शारीरिक रूप से बहुत अंतर न हो।

शोध में कहा गया है कि इस नई प्रजाति को विश्वासपूर्वक मान्य करने के लिए अभी भी कुछ सबूतों की कमी है, विशेष रूप से एम. इंडोबर्मेनिका और एम. पेंटाडाक्टाइल के बीच अतिरिक्त तुलनात्मक रूपात्मक साक्ष्य की जरूरत है, साथ ही समान प्रजातियों के सभी उपलब्ध नामों और विवरणों को एकत्रित करने के लिए प्राथमिक वर्गीकरण साहित्य की समीक्षा की भी जरूरत है।

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वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्राधिकरण, आईयूसीएन में पैंगोलिन विशेषज्ञ समूह के वर्गीकरण के प्रस्तावित इंडो-बर्मा पैंगोलिन विवरण को पैंगोलिन वर्गीकरण और संरक्षण के लिए एक रोमांचक खोज कहा गया है।

शोध पत्र में जेडएसआई के शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि सभी पैंगोलिन की तरह, इंडो-बर्मा पैंगोलिन को भी गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है, मुख्य रूप से अवैध वन्यजीव व्यापार से। इंडो-बर्मा के पैंगोलिन विशेष रूप से असुरक्षित है क्योंकि इसका निवास स्थान दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रमुख तस्करी वाले मार्गों के भीतर आता है।

आठ अन्य ज्ञात पैंगोलिन प्रजातियों को सीआईटीईएस में सूचीबद्ध किया गया है, जो कि अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार सम्मेलन है, जिसका अर्थ है कि उनका व्यावसायिक तोर व्यापार निषिद्ध है, लेकिन समग्र रूप से पैंगोलिन प्रजाति को केवल परिशिष्ट-द्वितीय में सूचीबद्ध किया गया है, जहां कुछ व्यापार की अनुमति है। इसका मतलब है कि इन नई प्रजातियों के व्यावसायिक व्यापार की अनुमति दी जा सकती है और यह एक भारी चिंता का विषय होगा।

इसके सीमित वितरण, भारी अवैध शिकार, खेती का अंधाधुंध विस्तार, बुनियादी ढांचे के विकास और जलवायु संकट के कारण आवास के नुकसान को देखते हुए, इंडो-बर्मा पैंगोलिन हो सकता है,यह प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट के मानदंडों के तहत लुप्तप्राय या गंभीर रूप से लुप्तप्राय स्थिति के लिए योग्य है।

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