भूस्खलन के खतरे तथा कटाव को नियंत्रित करने के लिए देशी पेड़ लगाएं: शोधकर्ता

शोध के अनुसार, स्टील की जाली या स्प्रेड कंक्रीट जैसे कृत्रिम तरीकों की तुलना में पौधे ढलान की मजबूती के लिए एक स्थायी, प्राकृतिक तरीका प्रदान करते हैं।
शोध के मुताबिक, पेड़ों की सभी प्रजातियों में से एंगोफोरा और ब्लूबेरी ऐश ढलान को मजबूती देने में सबसे अच्छे पाए गए हैं। फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, पीटर वुडार्ड
शोध के मुताबिक, पेड़ों की सभी प्रजातियों में से एंगोफोरा और ब्लूबेरी ऐश ढलान को मजबूती देने में सबसे अच्छे पाए गए हैं। फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, पीटर वुडार्ड
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भूस्खलन की घटनाएं आम तौर पर भारी बारिश के दौरान होती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण अचानक बारिश में वृद्धि और ला नीना की वापसी के साथ देशी पेड़ों और झाड़ियों के साथ ढलानों को मजबूती प्रदान करना एक प्रभावी, किफायती और टिकाऊ समाधान हो सकता है।

शोध के मुताबिक, यदि लोग ढलान पर या उसके निकट घर और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना चाहते हैं, उन्हें पेड़ों को काटने या भूस्खलन और फिसलन के खिलाफ ऊर्ध्वाधर इलाके को सहारा देने के लिए कृत्रिम ढलान के उपयोग को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए।

शोध के हवाले से सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता का कहना है कि उन्हें इसके बजाय देशी पेड़ और झाड़ियां लगानी चाहिए। शोधकर्ता इस बात पर शोध कर रहे हैं कि कैसे देशी पेड़ और झाड़ियां ढलान वाले इलाके को मजबूत बनाने और गीली परिस्थितियों में भूस्खलन और मिट्टी के कटाव के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।

एक्टा जियोटेक्निका में प्रकाशित शोध के अनुसार, स्टील की जाली या स्प्रेड कंक्रीट जैसे कृत्रिम तरीकों की तुलना में पौधे ढलान की मजबूती के लिए एक स्थायी, प्राकृतिक नजरिया प्रदान करते हैं। वे महत्वपूर्ण आवास भी बनाते हैं और उन्हें लगातार बनाए रखते हैं।

नमी या ला नीना स्थितियों में संभावित वापसी और बढ़ती चरम मौसम की घटनाओं के साथ विशेष रूप से उपयोगी है। भूस्खलन आम तौर पर भारी बारिश के कारण होता है और इसमें घरों को नष्ट करने की क्षमता होती है। भूस्खलन और कटाव को रोकने के लिए कौन से पेड़ सबसे अच्छे होते हैं?

शोध में कहा गया है कि सभी प्रजातियों में से एंगोफोरा और ब्लूबेरी ऐश ढलान को मजबूती देने में सबसे अच्छे पाए गए। शोध में शोधकर्ता ने बताया कि एंगोफोरा की मजबूत जड़ प्रणाली, जो मिट्टी को जकड़े रखती है, कटाव के खिलाफ सहारे का काम करती है। इसकी लोचदार जड़ें कड़ी मिट्टी में प्रवेश करने में भी मदद करती हैं, जिससे यह चट्टानी स्थलों या गहरे भूजल वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हो जाती है। ये स्थितियां इसे गहरी जड़ें जमाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं जो कटाव नियंत्रण को मजबूत करने में मदद करती हैं।

शोध के मुताबिक, ब्लूबेरी ऐश के पेड़ों की जड़ें मोटी, ऊर्ध्वाधर, दिल के आकार की होती हैं, उन्हें आसानी से उखाड़ा नहीं जा सकता है। वे रीजेंट बोवरबर्ड जैसे देशी पक्षियों के लिए फल भी प्रदान करते हैं।

जबकि उथली ढलानों पर मिट्टी को स्थिर करने के लिए पेड़ों का उपयोग करने को लंबे समय से प्रभावी माना जाता है। जियोसाइंस के ऑस्ट्रेलिया से संबंधित आंकड़ों के अनुसार, 1990 से 2003 की अवधि की तुलना में 2004 और 2017 के बीच की अवधि में भूस्खलन और भारी कटाव की घटनाओं में 190 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

प्रायोगिक स्थिति में बारिश की भूमिका को समझना भी मुश्किल हो सकता है। शोध में कहा गया है कि क्षेत्रीय अध्ययनों में गीली स्थितियों को दोहराना बहुत कठिन हो सकता है क्योंकि पानी की मात्रा को नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन भारी बारिश के दौरान भूस्खलन के आसार अधिक होते हैं

सबसे अधिक खतरे वाले क्षेत्र

भारी बारिश के दौरान टूटी हुई सड़कों, पुराने खदान वाले गड्ढों और नदी तटों पर कटाव और भूस्खलन का सबसे अधिक खतरा देखा गया है। शोध में कहा गया है कि राज्य सरकारों को राज्य के स्वामित्व वाली संपत्तियों और प्रमुख नदी प्रणालियों के साथ-साथ पेड़ों के साथ ढलानों को मजबूत करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही सार्वजनिक भूमि पर और देशी प्रजातियों के साथ घरों के आसपास के इलाके को इन पेड़ों से भरना चाहिए।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, कभी-कभी, प्रकृति सबसे अच्छा समाधान प्रदान करती है। देशी प्रजाति के वृक्षारोपण को प्राथमिकता देने से हरियाली के लिए फिर से नई जगहें खुलेंगी जो सीधे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, घरों और महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों को फायदा पहुंचाएंगी।

शोध में कहा गया है कि मकान मालिकों को भी अपनी संपत्तियों को भूस्खलन के खतरे से बचाने के लिए इन देशी पेड़ों और झाड़ियों को लगाने पर विचार करना चाहिए और जहां संभव हो उन्हें काटने पर लगाम लगानी चाहिए।

शोध के हवाले से शोधकर्ता ने कहा कि शोध महत्वपूर्ण निष्कर्ष प्रदान करता है जो इंजीनियरों को सार्वजनिक सुरक्षा चिंता का समाधान करने में मदद करेगा। साथ ही हमारे रोजमर्रा के बुनियादी ढांचे की मजबूती पर बुरा असर डालने वाले कारणों की जानकारी प्रदान करता। मिट्टी और पौधों के बीच होने वाली जटिल क्रियाओं और निर्णय निर्माताओं को अपरंपरागत इंजीनियरिंग समाधानों में अधिक विश्वास देने के लिए व्यावहारिक सलाह, जिनकी आज और भविष्य की  समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यकता होगी।

शोध में कहा गया है कि भूस्खलन और कटाव से निपटने के लिए देशी प्रजातियों का उपयोग करने पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। देशी पौधे लगाने से पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ होता है। स्थानीय प्रजातियां बड़े पैमाने पर हैं और इन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह छोटा कदम हमारे शहरों के आसपास की प्राकृतिक वनस्पति से जोड़ता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अहम हो जाता है।

शोध में यह भी पाया गया कि एक बड़ी जड़ अतिरिक्त मजबूती में योगदान देती है और कटाव नियंत्रण इस बात तक सीमित हो सकता है कि जड़ें कितनी दूर तक जमीन के नीचे जा सकती हैं। अलग-अलग प्रजातियां अलग-अलग परिस्थितियों में सबसे अच्छा काम कर सकती हैं।

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