जबलपुर में आरक्षित वन भूमि पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर एनजीटी गंभीर, वन भूमि हड़पने का भी है आरोप

आरोप है कि सरकारी अधिकारियों की मिली भगत से जबलपुर में 20 एकड़ आरक्षित वन भूमि पर पेड़ों को काट कर बेच दिया गया है। साथ ही जमीन को हड़पने की भी कोशिश की गई है
आरक्षित वन भूमि पर पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
आरक्षित वन भूमि पर पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 21 मई को जबलपुर में आरक्षित वन भूमि पर पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई के मामले पर गौर किया गया। गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल को मध्य प्रदेश में जबलपुर के कुंडम वन रेंज में मौजूद कुंडवारा गांव में पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई को लेकर एक शिकायत मिली थी।

एनजीटी का कहना है कि इस पत्र याचिका में पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया गया है। ऐसे में अदालत ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राजू सिंह ठाकुर, संजय हल्दकर (वन रक्षक) सहित जबलपुर के जिलाधिकारी को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

इन सभी से अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब भोपाल में सेंट्रल जोनल बेंच के समक्ष दर्ज करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 19 जुलाई, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि यह आवेदन कुंडम तहसील में टिकरिया गांव के राम सुजान यादव और अन्य निवासियों द्वारा भेजी एक पत्र याचिका के आधार पर दर्ज किया गया था। इस पत्र में उन्होंने कुंडवारा गांव में करीब 20 एकड़ आरक्षित वन भूमि पर पेड़ों के काटे जाने की शिकायत की है।

आरोप है कि राजू सिंह ठाकुर नामक व्यक्ति ने वन रक्षक संजय हल्दकर से मिलकर वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। वहां उन्होंने सागौन और सतकठा के पेड़ काट दिए हैं और उस जमीन पर खेती खेती शुरू कर दी है। बताया गया है कि उनमें से एक, मध्य प्रदेश विशेष सशस्त्र बल (एसएफपी) का एक हेड कांस्टेबल है। वो भी ट्रैक्टर और डंपर का उपयोग करके की गई अवैध खुदाई में शामिल था। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने आरक्षित वन भूमि से पेड़ों को काट कर बेच दिया है। साथ ही वो 20 एकड़ जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या सुल्तानपुर के जंगलों में हो रहा है अवैध निर्माण, एनजीटी ने जांच के दिए आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिव से दिल्ली के सुल्तानपुर गांव के हरे-भरे इलाकों और जंगलों में हो रहे अवैध निर्माण की शिकायत पर गौर करने को कहा है। ट्रिब्यूनल ने ने 21 मई 2024 को डीपीसीसी से कहा है कि वो जांच करे कि क्या शिकायत सच है और यदि ऐसा है तो उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

अदालत ने डीपीसीसी से तीन महीने के भीतर रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा है। एनजीटी ने इस आदेश की एक प्रति और शिकायत पत्र डीपीसीसी के सदस्य सचिव को भी भेजने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि यह आवेदन सुल्तानपुर में रहने वाले सुशील के प्राथना पत्र के आधार पर दायर किया गया था। इस पत्र में दावा किया गया है कि अवैध निर्माण गतिविधियों के चलते वनों को काटा जा रहा है। इसकी वजह से आस-पास वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है।

पत्र के अनुसार, शिकायतकर्ता के पड़ोस में, विशेषकर हरे-भरे इलाकों और जंगलों में निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इन गतिविधियों के कारण पेड़ों और पौधों को अनधिकृत रूप से हटाया गया, पर्यावरण कानूनों को तोड़ा गया और क्षेत्र की जैव विविधता को खतरे में डाला गया। शिकायतकर्ता ने अपने दावे के समर्थन में कुछ तस्वीरें भी शामिल कीं।

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