नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों से उन आरोपों का जवाब देने को कहा है जिनमें कहा गया है कि गंगा नदी के अगुआनी घाट पर पुल के मलबे से डॉल्फिन मछलियों को खतरा है। मामला बिहार के सुल्तानगंज का है।
इस मामले में 12 अगस्त, 2024 को ट्रिब्यूनल की पूर्वी ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भागलपुर के जिला मजिस्ट्रेट, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, पर्यावरण, वन और मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। इन सभी से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।
आवेदक हेमंत कुमार के मुताबिक सुल्तानगंज में अगुआनी घाट पर गंगा नदी पर बन रहा निर्माणाधीन पुल चार जून, 2024 को क्षतिग्रस्त हो गया था। हालांकि यह क्षति कैसे हुई इसके कारणों की अभी जांच रही है, लेकिन इसकी वजह से नदी में रहने वाली डॉल्फिन मछलियों की आबादी खतरे में पड़ गई है।
यह भी बताया गया है कि इस नुकसान की वजह से भारी मात्रा में मलबा गंगा नदी में फेंका गया है, जिससे डॉल्फिन मछलियों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। डॉल्फिन संरक्षण के लिए भारत का एकमात्र विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य, बिहार के भागलपुर में है, जो सुल्तानगंज से कहलगांव तक नदी के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है।
कोलकाता की हाउसिंग सोसायटी में बिना अनुमति के खुद रहा बोरवेल, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 12 अगस्त 2024 को पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय भूजल बोर्ड और अन्य पक्षकारों से अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामला कोलकाता की इमामी सिटी में बिना अनुमति के की जा रही बोरवेल की खुदाई से जुड़ा है।
आरोप है कि इमामी सिटी अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के कहने पर बोरवेल की खुदाई और निर्माण गतिविधियां चल रही हैं।
वहीं आवेदक को डीएलजीडब्ल्यूआरए, उत्तर 24 परगना के सदस्य सचिव और भूवैज्ञानिक उप-मंडल III-डी के भूविज्ञानी ने सूचित किया है कि बोरवेल की खुदाई के लिए कोई परमिट नहीं दिया गया है।
इस मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर 2024 को होगी।