जानिए क्यों विदेशी जानवरों की सुरक्षा के लिए दायर जनहित याचिका को त्रिपुरा हाईकोर्ट ने किया खारिज

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
जानिए क्यों विदेशी जानवरों की सुरक्षा के लिए दायर जनहित याचिका को त्रिपुरा हाईकोर्ट ने किया खारिज
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त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की रिट जारी करने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। मामला विदेशी जानवरों के संरक्षण से जुड़ा है। इस मामले में कानून के विद्यार्थी अद्वैतिया चक्रवर्ती ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने प्रतिवादियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की मांग की थी।  साथ ही उन्होंने कोर्ट से 'परमादेश' रिट जारी करने की मांग की थी।

साथ ही उन्होंने कोर्ट से 'परमादेश' रिट जारी करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि विदेशी जानवरों को रखना अवैध है और ऐसे जानवरों को रखने वाले लोगों पर  वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

त्रिपुरा में विदेशी वन्यजीवों के व्यापार में इजाफा हो रहा है, इसे दर्शाने के लिए याचिकाकर्ता ने समाचार लेखों का हवाला दिया है। इस बारे में त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती की पीठ ने कहा है अदालत न तो इस मामले में कानून बना सकती है और न ही सरकार को कानून बनाने के लिए निर्देश दे सकती है।

साथ ही कोर्ट ने अपने 21 सितम्बर को दिए आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि न्यायालय न तो मौजूदा प्रावधानों के विपरीत जब्ती का निर्देश दे सकता है जिससे विदेशी जानवरों/पक्षियों के ऐसे अघोषित स्टॉक से संबंधित सभी व्यक्तियों की गिरफ्तारी कर उनपर मुकदमा चलाया जा सके। 

भोपाल गैस पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजा: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा स्टैंड

भोपाल गैस पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से उसका स्टैंड पूछा है। गौरतलब है कि 2010 में भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन से अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर एक क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया गया था। फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को 11 अक्टूबर, 2022 तक के लिए टाल दिया है।

गौरतलब है कि 1984 में 3 और 4 दिसम्बर की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने में गैस का भीषण रिसाव हुआ था, जिसमें हजारों लोगों प्रभावित हुए थे। इस हादसे का असर अब तक दिखाई देता है।

कानपुर देहात क्रोमियम डंप निपटान मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सबमिट की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने 21 सितंबर, 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कानपुर देहात में डंप किए गए क्रोमियम कचरे के वैज्ञानिक और सुरक्षित निपटान के लिए प्रति किलोग्राम 11.583 रुपए की दर को अंतिम रूप दिया गया है। मामला कानपूर देहात के खानचंदपुर, रानिया का है, जहां क्रोमियम कचरे को डंप किया गया है। गौरतलब है कि इस दर को उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव द्वारा 26 मई, 2022 को गठित समिति ने तय किया है।

जानकारी मिली है कि खानचंदपुर में लगभग 85,008 मीट्रिक टन क्रोमियम कचरे को डंप किया गया है, जिसके निपटान की कुल लागत करीब 98.5 करोड़ रुपए है। इस कार्य के लिए यूपीपीसीबी ने राज्य सरकार से 13 सितंबर, 2022 को एक पत्र के माध्यम से धनराशि का प्रावधान करने का अनुरोध किया था। इसके लिए राज्य सरकार ने 48.44 करोड़ रुपए का फण्ड भी जारी किया है।

जानकारी मिली है कि इस बारे में एमओयू और कार्य के लिए आदेश जारी किए जा रहे हैं। वहीं 15 अक्टूबर, 2022 से बारिश का मौसम थमने के बाद क्रोमियम कचरे का हटाने और उसके वैज्ञानिक निपटान का काम शुरू किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार रानिया में क्रोमियम डंप 1976 से अस्तित्व में है और इसके परिणामस्वरूप भूजल दूषित हो गया है। जानकारी मिली है कि इस काम में कम से कम छह महीनों का समय लगेगा। फिलहाल पूरा इलाका पॉलीथिन की चादर से ढका हुआ है। 

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