सभी परियोजनाओं के साथ वनीकरण की योजना भी बनाए एनएचएआई: एनजीटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
सभी परियोजनाओं के साथ वनीकरण की योजना भी बनाए एनएचएआई: एनजीटी
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एनजीटी ने निर्देश दिया है कि नेशनल हाईवे -352डब्लू के गुरुग्राम-पटौदी-रेवाड़ी खंड के 4/6 लेन के निर्माण के लिए वन मंजूरी इस आधार पर होनी चाहिए कि जहां से पेड़ काटे गए हैं, उस स्थान से 10 किलोमीटर के दायरे में वनीकरण किया जाए। कोर्ट का कहना है कि यह परियोजना प्रस्तावक यानी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की जिम्मेवारी है कि वो इस उद्देश्य के लिए वन विभाग के अनुमोदन के अधीन उपयुक्त भूमि का पता लगाए।

कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस अनिवार्य शर्त का पालन नहीं किया जाता, तो इस परियोजना को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इस मामले में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और सुधीर अग्रवाल की पीठ का कहना है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को योजना स्तर पर ही अपनी भविष्य की सभी परियोजनाओं के लिए सड़क किनारे वनारोपण की योजना बनानी चाहिए, जिससे सड़क की धूल और प्रदूषण को कम किया जा सके।

एनजीटी ने मसूरी झील से जल निकासी को विनियमित करने के दिए निर्देश

यह सुनिश्चित करने के लिए मसूरी झील जलग्रहण क्षेत्र से पानी की निकासी को विनियमित किया गया है, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच सदस्यीय संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। इस समिति की अध्यक्षता उत्तराखंड पेय जल संस्थान के अध्यक्ष द्वारा की जाएगी।

इस मामले में कोर्ट ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि उसे वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए मंजूरी देनी चाहिए। साथ ही कोर्ट जल संचयन या वेस्ट वाटर के पुनः उपयोग और जल संस्थान द्वारा आपूर्ति किए गए पानी के इस्तेमाल की बात कही है।

अदालत ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि कोई भी होटल सख्त नियमों के बिना झील में गिरने वाले झरनों से पानी नहीं ले सकता। यह निर्णय निवासियों के लिए पीने के पानी की उपलब्धता और प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

अमरनाथ गुफाओं के पास हादसों से बचने के लिए नदी तल को अतिक्रमण मुक्त होना चाहिए

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव और जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वो अमरनाथ के पास सूखी नदी के तल में तीर्थयात्रियों के लिए लगाए जाने वाले टेंटों को रोकने के लिए कार्य योजना के बारे में अपना जवाब दाखिल करे।

इस मामले में वृंदा मिश्रा ने 1 जुलाई, 2022 को एनजीटी में दायर अपने आवेदन में कहा था कि अमरनाथ गुफाओं के आसपास अचानक आई बाढ़ के कारण 16 लोगों की जान चली गई थी। उनके अनुसार ऐसे हादसों से बचने के लिए नदी तल और बाढ़ के मैदान को पर्यावरणीय कार्यों के लिए मुक्त रखा जाना चाहिए।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 2020 के तहत होना चाहिए ऊंटों का परिवहन: दिल्ली उच्च न्यायालय

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि भविष्य में ऊंटों को गणतंत्र दिवस परेड या किसी अन्य उद्देश्य में हिस्सा लेने के परिवहन करते समय पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में 2020 में हुए संशोधन का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि ऊंटों का परिवहन करते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में निहित वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

इस मामले में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने भारत सरकार, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल को ऊंटों का परिवहन करते समय इस सम्बन्ध में जारी नियमों के साथ-साथ पठित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि इस मामले में स्काउट्स एंड गाइड्स फॉर एनिमल्स एंड बर्ड्स नामक ट्रस्ट ने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उच्च न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया गया था कि ऊंटों को राजस्थान से दिल्ली ले जाया गया था, जो कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत निहित वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन था। याचिकाकर्ता ने कहा है कि हर साल स्वतंत्रता दिवस परेड के लिए, बड़ी संख्या में ऊंटों को मालवाहक जहाजों से ले जाया जाता है, जिसके लिए उन्हें क्रूरता का शिकार होना पड़ता है।

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