कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त 2020 को पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के प्रकाशन पर 7 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय यूनाइटेड कन्जरवेशन मूवमेंट चेरिटेबल एंड वेलफेयर ट्रस्ट (यूसीएमसीडब्ल्यूटी) द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा था। याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना का 22 स्थानीय भाषाओं में अनुवाद होना चाहिए। ये सभी भाषाएं संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। जनहित याचिका में यह मांग भी की गई कि अधिसूचना पर आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि 31 दिसंबर तक बढ़ाई जानी चाहिए।
यूसीएमसीडब्ल्यूटी के अधिवक्ता प्रिंस ईसाक ने कहा, “न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह अधिसूचना का व्यापक प्रचार और परामर्श के लिए पर्याप्त समय दे सकती है। इसके बाद वह अधिसूचना को अंतिम रूप देने के लिए न्यायालय आ सकती है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 23 मार्च को पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना प्रकाशित की थी। इसमें लोगों को आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 30 जून तक का समय दिया गया था। इसी दिन एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आपत्तियां दर्ज कराने की समयावधि को बढ़ाकर 11 अगस्त कर दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंत्रालय को यह भी कहा था कि वह आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 स्थानीय भाषाओं में अधिसूचना का अनुवाद करे ताकि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। मंत्रालय को यह काम 10 दिन में करना था।
इस मामले से जुड़े अधिवक्ता विशाल सिन्हा कहते हैं, “अधिसूचना को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कराने को लेकर सरकार की मंशा संदिग्ध है। दूसरी सुनवाई में उसने कहा कि राज्य सरकारों को अनुवाद शुरू करने को कह दिया गया है लेकिन तीसरी सुनवाई में कह दिया कि सरकार अनुवाद के लिए बाध्य नहीं है। इसके बाद अदालत ने फैसला किया कि 5 अगस्त को मामले की सुनवाई होगी।”
ईसाक कहते हैं कि केंद्र ने 5 अगस्त को अदालत को बताया कि वह एक या दो दिन में अधिसूचना को स्थानीय भाषा में अनुवाद कराने और आपत्तियों दर्ज कराने के लिए समयावधि बढ़ाने पर निर्णय लेगा। ईसाक कहते हैं कि सरकार ने यह बात भी लिखित या ऑन रिकॉर्ड नहीं बताई है।