कॉप-16: कोलंबिया के कैली में आज से शुरू हो रहा है जैव विविधता का सबसे बड़ा महाकुम्भ

इस बैठक में कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (केएमजीबीएफ) के लक्ष्यों की दिशा में हो रही प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (कॉप-16) आज से कोलंबिया के कैली में शुरू हो रहा है। यह सम्मेलन 21 अक्टूबर से एक नवंबर 2024 तक चलेगा। इस दौरान कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (केएमजीबीएफ) के लक्ष्यों की दिशा में हो रही प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा। देखा जाए तो अगले दो सप्ताह तक चलने वाले इस विचार-विमर्श से दुनिया में जैव विविधता का भाग्य तय होगा।

गौरतलब है कि कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क को अपनाए जाने के बाद यह पहला मौका है जब पक्षकार इसपर चर्चा के लिए एकजुट हो रहे हैं। बता दें कि इस फ्रेमवर्क के तहत 23 लक्ष्यों को अपनाया गया है, जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है। इसके साथ ही 2050 तक चार व्यापक लक्ष्यों को भी हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

इसके एजेंडे में शामिल कई महत्वपूर्ण मुद्दों में आनुवंशिक संसाधनों के बारे में जानकारी से होने वाले लाभों को कैसे साझा किया जाए यह भी शामिल है। इसमें पौधों और दूसरे जीवों से जुड़ी आनुवंशिक जानकारी और आंकड़े शामिल हैं।

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क का लक्ष्य 13 यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि आनुवंशिक संसाधनों और उनके विषय में डिजिटल रूप में उपलब्ध क्रमिक जानकारी के साथ-साथ स्थानीय समुदायों से प्राप्त पारंपरिक ज्ञान और उनके लाभों को कैसे निष्पक्ष रूप से साझा किया जाए।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए देशों को न केवल नीतियां, नियम, योजनाएं और प्रणालियों के निर्माण की आवश्यकता है, साथ ही आवश्यक कौशल और क्षमता निर्माण जैसे उपायों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

डिजिटल रूप से उपलब्ध जेनेटिक आंकड़ों के उपयोग से होने वाले लाभों को साझा करने के मुद्दे पर एड हॉक ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप की दो बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में बहुपक्षीय तंत्र और एक वैश्विक कोष को क्रियान्वित करने की योजना को अंतिम रूप देना था।

हालांकि यह ड्राफ्ट अब भी अधूरा है। इसके साथ ही कई मुद्दे ऐसे हैं जिनपर अब भी सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में कॉप-16 के दौरान पक्षकारों को इस ड्राफ्ट पर सहमत होने और इसे अंतिम रूप देने की आवश्यकता होगी।

विकसित और विकासशील देशों के विचारों में है गहरी खाई

हालांकि यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि विकसित और विकासशील देशों के विचारों में इसको लेकर काफी अंतर है। जहां विकसित देश वैश्विक कोष में स्वैच्छिक योगदान के बदले आनुवंशिक सामग्री तक अप्रतिबंधित पहुंच चाहते हैं। दूसरी ओर, विकासशील देश एक ऐसी प्रणाली चाहते हैं जिसमें सीबीडी के तीनों मुख्य सिद्धांतों के बीच कहीं बेहतर तालमेल हो।

इस बैठक के दौरान पक्षकार सभी लक्ष्यों की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा करेंगे। दुर्भाग्य की बात है कि इस फ्रेमवर्क को अपनाए जाने के बाद से करीब दो वर्षों में बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ है।

उदाहरण के लिए, केवल 100 देशों ने अपने राष्ट्रीय लक्ष्य साझा किए हैं, वहीं महज 30 ने अपनी जैव विविधता संबंधी कार्य योजनाओं और रणनीतियों को अपडेट किया है। इनके बिना, यह जानना मुश्किल है कि देश लक्ष्यों को हासिल करने की योजना कैसे बना रहे हैं।

लक्ष्य 3, जिसे 30x30 लक्ष्य के रूप में जाना जाता है। इस लक्ष्य के तहत 2030 तक 30 फीसदी भूमि, जल और महासागरों को संरक्षित करना है। हालाँकि, दुनिया अभी भी इस लक्ष्य से बहुत दूर है।

आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में भूमि के महज 17.5 फीसदी, महासागरों के 8.4 फीसदी हिस्से को संरक्षित किया गया है। यहां तक कि ये संरक्षित क्षेत्र भी बहुत अधिक प्रभावी नहीं हैं, क्योंकि अध्ययनों से पता चलता है कि वे संरक्षण के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

लक्ष्य 19 एक और महत्वांकांक्षी लक्ष्य है, जिसके तहत विकसित देशों को 2025 तक हर साल कम से कम 2,000 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराना है। हालांकि, यह लक्ष्य भी हासिल होने से काफी दूर है।

गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लॉन्च किए गए “20 बिलियन ट्रैकर” से पता चला है कि सितंबर 2024 तक, अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता निधि के माध्यम से केवल 820 करोड़ डॉलर देने को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है। जो 2,000 करोड़ डॉलर के लक्ष्य का महज 40 फीसदी ही है। यह वादे 2021 से 2025 के बीच के लिए किए गए हैं।

कॉप-16 में, और भी घोषणाएं हो सकती हैं, लेकिन इस पर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है कि '20 बिलियन डॉलर' का लक्ष्य हासिल होगा या नहीं।

कॉप-16 से ठीक पहले, देशों ने कार्यान्वयन पर हुई पांचवी सहायक निकाय बैठक में भाग लिया। इस दौरान दो सिफारिशों को मंजूरी दी गई। इसमें एक राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करने और जैव विविधता कार्य योजनाओं को अपडेट करने को लेकर थी। वहीं दूसरी देशों द्वारा स्वैच्छिक रूप से समीक्षा करने से जुड़ी पायलट फोरम को लेकर थी। हालांकि कुछ मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in