सीबीडी कॉप-15: प्रकृति के साथ शांति समझौते की दिशा में कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई

ब्राजील ने अफ्रीकी महाद्वीप और भारत सहित 14 अन्य देशों की ओर से हर साल कम से कम 100 बिलियन डॉलर की वित्तीय सब्सिडी या 2030 तक विश्व सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत की मांग दोहराई।
सीबीडी कॉप-15: प्रकृति के साथ शांति समझौते की दिशा में कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई
Published on

दुनिया के पास प्रकृति के विनाश को रोकने के लिए किए जाने वाले एक ऐतिहासिक समझौते पर मुहर लगाने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। लेकिन कॉप 15 जैव विविधता वार्ता के दौरान अब तक विकासशील देशों में संरक्षण के लिए धन में वृद्धि या दुनिया की 30 प्रतिशत भूमि और समुद्रों की रक्षा करने के संकल्प की दिशा में कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई है।

कनाडा के मॉंट्रियल में तीन दिसंबर से चल रहे इस सम्मेलन में पांच हजार प्रतिनिधियों द्वारा लंबे समय तक काम करने के बावजूद, विषय निर्धारित समय से बहुत पीछे है, दर्जनों बिंदुओं पर अभी भी बातचीत चल रही है। अभी तक 22 या 23 उद्देश्यों में से केवल पांच का ही समाधान किया गया है।

आज बातचीत और कठिन हो जाएगी, जब जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) के 196 सदस्यों के पर्यावरण मंत्री मॉन्ट्रियल में अपने प्रतिनिधियों से कार्यभार संभालेंगे।

लेकिन एक महत्वाकांक्षी "प्रकृति के साथ शांति समझौते" के साथ यह 19 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। दशक के अंत तक पानी, जंगलों और जीवित चीजों के विनाश को रोकने के लिए 20 उद्देश्य जिनका मसौदा बना है। यदि समझौते का मसौदा वैसा ही रहता है जैसा कि अभी है, तो यह कमजोर हो जाएगा।

वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी (डब्ल्यूसीएस) की अल्फ्रेड डीजेमिस ने कहा, सरकारें प्रगति कर रही हैं, लेकिन इतनी तेजी से नहीं कि मंत्रियों के आगमन के लिए एक साफ मसौदा तैयार किया जा सकें।

उन्होंने कहा समय बीत रहा है, एक लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, सभी भूमि का एक तिहाई खतरनाक तरह से खराब हो गया है, मिट्टी की उर्वरता और पानी की शुद्धता से समझौता किया गया है, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से महासागरों को खतरा बढ़ गया है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल के प्रमुख मार्को लैंबर्टिनी ने कहा, हम अभी भी बहुत दूर हैं। लेकिन हम सुरंग के अंत में प्रकाश की चमक देख रहे हैं।

द इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इंटरनेशनल रिलेशन (आईडीडीआरआई) के महानिदेशक सेबेस्टियन ट्रेयर ने कहा, हम एक ऐसे बाजार को उभरता हुआ देख रहे हैं जहां दक्षिण के देश कहते हैं कि वे बिना वित्तपोषण और मजबूत महत्वाकांक्षाओं के बिना प्रतिबद्ध नहीं होंगे।

ब्राजील ने अफ्रीकी महाद्वीप, भारत और इंडोनेशिया सहित 14 अन्य देशों की ओर से हर साल कम से कम 100 बिलियन डॉलर की वित्तीय सब्सिडी या 2030 तक विश्व सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत की मांग दोहराई।

वैश्विक जैव विविधता कोष

इस वृद्धि को अमीर देशों द्वारा अवास्तविक माना जाता है, जिनकी सहायता 2020 में जैव विविधता के लिए 10 बिलियन डॉलर की राशि निर्धारित की गई थी।

कॉप 15 से संबंधित फ्रांसीसी दूत सिल्वी लेमेट ने चेतावनी देते हुए कहा अगर आज हम 10 अरब पर हैं, तो 100 अरब के बारे में बात करना अचानक बातचीत को पंगु बना देता है। क्योंकि अमीर देशों ने पिछले दशक में सहायता विकास को दोगुना करने की अपने संकल्प को बनाए रखा है। यूरोपीय संघ एक नए वैश्विक जैव विविधता कोष के निर्माण का भी विरोध करता है, तुर्की में 2024 में कॉप 16 में कई देशों द्वारा कुछ मांग की जा सकती हैं।

यह एक ऐसा समाधान है जिसे उत्तर अप्रभावी मानता है, इसके बजाय सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में वैश्विक वित्तपोषण में सुधार और राष्ट्रीय संसाधनों के बेहतर उपयोग पर जोर देना पसंद करता है।

उन्होंने अनचाही सब्सिडी को कम करने के लिए भी तर्क दिया है जो प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जैसे कि कृषि में उपयोग किए जाने वाले उर्वरक और कीटनाशक, कुछ ऐसा जो कृषि पावरहाउस ब्राजील और अर्जेंटीना के साथ जीवंत बहस का विषय रहा है।

बातचीत का हिस्सा नहीं होने के बावजूद, अमेरिका-जिसने जैव विविधता पर कन्वेंशन की पुष्टि नहीं की है, किसी भी समझौते को रोकने की संभावना वाले वित्तीय समीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अमेरिकी पर्यावरण राजदूत मोनिका मदीना ने कहा, हमने इस साल वैश्विक पर्यावरण सुविधा की भरपाई की, अमेरिका का योगदान पहले से कहीं ज्यादा बड़ा हो गया है। बाधाओं को दूर करने के लिए, सभी की निगाहें चीन की ओर मुड़ गई हैं, जो कॉप 15 का अध्यक्ष भी है, लेकिन जिसे यहां निष्क्रिय माना जा रहा है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in