एनजीटी ने स्टेडियमों को भेजा नोटिस, पूछा– कहां, कितना पानी हो रहा है खर्च?

मामला 15 अप्रैल 2021 को दिए एनजीटी के आदेश के पालन से जुड़ा है, जिसमें मैदानों के रखरखाव के लिए भूजल के उपयोग पर रोक लगाई गई थी
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 17 जुलाई 2025 को देशभर के क्रिकेट स्टेडियमों और सम्बंधित संघों को निर्देश दिया है कि वे मैदान की सिंचाई के लिए ताजा पानी और एसटीपी से शुद्ध किए गए पानी के उपयोग पर अपनी रिपोर्ट की एक प्रति केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के वकील को भी सौंपें।

अदालत ने कहा कि सभी स्टेडियमों से मिली जानकारी को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण एक सारणीबद्ध रूप में तैयार करेगा और अगली सुनवाई को पेश करेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर 2025 को होगी।

यह मामला 15 अप्रैल 2021 को दिए एनजीटी के आदेश के पालन से जुड़ा है, जिसमें मैदानों के रखरखाव के लिए भूजल के उपयोग पर रोक लगाई गई थी और एसटीपी से साफ किए जल के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।

गौरतलब है कि अदालत ने 19 मार्च 2025 को सभी स्टेडियमों को आदेश दिया था कि वे हर महीने और साल में इस्तेमाल किए जाने वाले पानी की मात्रा, उसमें ताजा पानी और एसटीपी से लिए पानी का अनुपात स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। हालांकि, अब तक केवल तीन प्रतिवादियों ने ही अपनी रिपोर्ट दाखिल की है।

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बरहामपुर में बेड़ा बंधा जलाशय का कायाकल्प शुरू, नगर निगम ने कसी कमर

बरहामपुर नगर निगम ने बेड़ा बंधा जलाशय की सफाई और संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। जलाशय में कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए सख्त उपाय किए जा रहे हैं। नगर निगम ने जलाशय और उसकी किनारों पर उचित ऊंची रेलिंग, बाड़ या दीवार बनाने का वादा किया है ताकि आगे कोई अतिक्रमण न हो। साथ ही, जलाशय के आसपास हरी-भरी घास और पौधे लगाकर एक पर्यावरण-अनुकूल पार्क बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं।

यह जानकारी 14 जुलाई 2025 को गंजाम के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी बेंच को सौंपी गई रिपोर्ट में सामने आई है। यह रिपोर्ट एनजीटी की पूर्वी बेंच के 22 मार्च 2023 को दिए आदेश पर प्रस्तुत की गई है।

जलाशय के संरक्षण के लिए उचित बांध बनाया गया है ताकि कटाव और क्षरण से बचाव हो सके। इसके अलावा, नगर निगम ने जलाशय के चारों ओर नहाने के घाट जैसे सार्वजनिक सुविधाएं भी विकसित की हैं। बरहामपुर नगर निगम नियमित रूप से जलाशय की सतह से प्लास्टिक की बोतलें, शैवाल और अन्य कचरा हटाने का काम कर रहा है ताकि जलाशय साफ और स्वस्थ बना रहे।

रिपोर्ट में बताया गया है कि तहसील बरहामपुर के राजस्व निरीक्षकों की जानकारी के अनुसार, जलाशय के पास नया जल निकाय बनाने के लिए कोई सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि, एनजीटी के पूर्व आदेश के तहत एक ऐसी जमीन पहचानी गई थी जो पानी के पौधों, झाड़ियों और गाद से ढकी थी।

कलेक्टर गंजाम और नगर निगम के निर्देश पर उस जमीन की मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्य अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत योजना) के तहत शुरू किया गया है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बरहामपुर का क्षेत्रीय कार्यालय बेड़ा बंदा से नियमित रूप से पानी के नमूने ले रहा है। इसकी जांच रिपोर्ट नगर निगम को भेजी जाती है ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। जलाशय के पुनर्निर्माण के कार्य पूरा होने के बाद नए जल के नमूने लिए जाएंगे।

गौरतलब है कि ओडिशा के गंजम जिले की बरहामपुर तहसील के अंतर्गत बेड़ा बंधा जलाशय और उसके कुछ भूखंडों और तटबंध की स्थिति की वैधता पर सवाल उठाते हुए अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था। आवेदन में कहा गया है कि अवैध अतिक्रमण और निर्माण के कारण जलाशय के एक बड़े हिस्से को नुकसान हुआ है।

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