
राज्य भूजल प्राधिकरण (एसजीडब्ल्यूए) के दिशा-निर्देशों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) का प्रावधान न होने के कारण केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने राज्य भूजल प्राधिकरण को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा पांच के तहत पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) लगाने का निर्देश दिया है।
पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगाते समय जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) द्वारा जारी नियमों का पालन करने की बात भी कही गई है। यह जुर्माना उन आवासीय परिसरों, कारखानों, व्यवसायों और अन्य पर लागू होगा, जो भूजल का अवैध रूप से दोहन कर रहे हैं।
ऐसा तब तक किया जाएगा जब तक कि राज्य भूजल प्राधिकरण अपने नियमों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) को शामिल करने के लिए अपडेट नहीं कर देता, जैसा कि 11 दिसंबर, 2024 के पत्र में उल्लेख किया गया है। गौरतलब है कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने क्रिकेट स्टेडियमों द्वारा भूजल के उपयोग के सम्बन्ध में 17 मार्च, 2025 को दायर अपनी रिपोर्ट में यह बातें कही हैं।
बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 26 नवंबर, 2024 को दिए अपने आदेश में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण को क्रिकेट स्टेडियमों के बारे में जानकारी एकत्र और व्यवस्थित करने का निर्देश दिया था। इसमें बोरवेल संबंधी विवरण जैसे उसकी स्थिति, अनुमति ली गई है या नहीं और कितना भूजल निकाला जा रहा है उसकी जानकारी शामिल करनी थी।
साथ ही यह भी जानकारी मांगी गई थी कि क्या सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) द्वारा साफ किए पानी का उपयोग किया जा रहा है या नहीं। साथ ही स्टेडियमों में बारिश के पानी को संजोने के लिए प्रणाली (आरडब्ल्यूएचएस) लगाई गई या नहीं। इतना ही नहीं अदालत ने भूजल के अवैध उपयोग के लिए लगाए गए जुर्माने के बारे में भी पूछा और यह भी जानकारी मांगी है कि क्या उसका भुगतान किया गया है या नहीं।
एनजीटी द्वारा दिए इस आदेश पर केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने एक रिपोर्ट सबमिट की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि असम के बरसापारा में एसीए क्रिकेट स्टेडियम को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) द्वारा 11,20,230 रुपए पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में भरने का निर्देश दिया है।
इस स्टेडियम में पांच बोरवेल है। यहां 54 केएलडी/16590 केएलवाई भूजल का उपयोग किया गया है। यहां मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की कुल क्षमता 10 केएलडी है। हालांकि रीसायकल किए गए पानी का उपयोग नहीं किया जा रहा था। पानी को संजोने के लिए एक रिचार्ज पिट का निर्माण किया गया है।
रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में तीन खोदे गए कुएं और दो बोरवेल हैं। यहां से भूजल निकासी की सीमा 65.2 घन मीटर प्रति दिन है।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्टेडियम में एसटीपी स्थापित करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। ऐसे में समाधान के तौर पर, सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने राजकोट नगर निगम (आरएमसी) के साथ साझेदारी की है, ताकि निरंजन शाह स्टेडियम के रखरखाव के लिए आरएमसी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से साफ किए पानी का उपयोग किया जा सके।
समझौते के अनुसार राजकोट नगर निगम, स्टेडियम को हर दिन साफ किया एक लाख लीटर पानी उपलब्ध कराएगा, जो मैदान और आउटफील्ड के लिए आवश्यक पानी की करीब 80 फीसदी जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा। स्टेडियम ने 9,28,431 रुपए के पर्यावरणीय मुआवजे (ईसी) का भी भुगतान किया है।
कर्नाटक में हर दिन पैदा हो रहा है 3,832 टन गीला कचरा, 3,613 टन किया जा रहा है प्रोसेस: रिपोर्ट
कर्नाटक में हर दिन करीब 3,832 टन गीला कचरा पैदा हो रहा है, जिसमें से 3,613 टन रोज प्रोसेस किया जा रहा है। इस तरह हर दिन 219 टन कचरा बिना प्रोसेस किए बच रहा है। यह जानकारी कर्नाटक सरकार ने 17 मार्च, 2025 को दाखिल अपनी रिपोर्ट में दी है।
इस बचे गीले कचरे से निपटने के लिए 218 शहरी स्थानीय निकायों में खाद संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। ये संयंत्र हर दिन 5,038 टन कचरे का प्रबंधन कर सकते हैं और इनकी कुल लागत ₹1,195.30 करोड़ रुपए है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है 5,393 परियोजनाओं में से 88 फीसदी पूरी हो चुकी हैं, 295 प्रगति पर हैं और 330 अभी शुरू होनी हैं। उम्मीद है कि यह सभी परियोजनाएं दिसंबर 2025 तक पूरी हो जाएंगी। इस बीच, गेल कर्नाटक के 16 जिलों में बायो-मीथेनेशन प्लांट लगाने की संभावना का भी अध्ययन कर रहा है।