गर्मियों में जब पानी की मांग बढ़ती है और प्रशासन पानी की आपूर्ति करने में विफल रहता है, तब देश का शायद ही कोई शहर ऐसा हो, जहां पानी का टैंकर माफिया सक्रिय न हो। डाउन टू अर्थ ने ऐसे ही कुछ बड़े शहरों की रिपोर्टिंग की और टैंकर माफिया के जाल को समझने की कोशिश की। अब तक आप ऐसी तीन रिपोर्ट पढ़ चुके हैं। जिनका लिंक आप इस स्टोरी के बीच में देख सकते हैं। आज हम बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में टैंकर संचालक किस तरह अपना कारोबार कर रहे हैं?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सड़कें भी पानी के टैंकरों से गुलजार रहती हैं, लेकिन आखिर पानी से भरे टैंकर इतनी भारी संख्या में कहाँ से आ रहे हैं? इस सवाल के जवाब की तलाश में संवाददाता लखनऊ के आशियाना सेक्टर एम के किला महोम्मदी नगर पहुंची। जहां उनकी मुलाकात हरी प्रसाद वर्मा से हुई।
अपनी दुकान पर बैठे हरी प्रसाद डाउन टू अर्थ को बताते हैं, "मेरे पास पानी के छह टैंकर हैं। मैं 15 सालों से पानी सप्लाई का काम कर रहा हूं। जब जल कल विभाग वाले पानी की आपूर्ति नहीं कर पाते हैं तब ये लोग हमसे संपर्क करते हैं और पानी हमारे यहाँ से लेकर जाते हैं। एक टैंकर का ये लोग हमें 400 रुपए देते हैं. एक टैंकर में 4000 लीटर पानी आता है।"
क्या आपके पास पानी सप्लाई करने का कोई लाईसेंस है इस सवाल के जवाब में हरी प्रसाद सकपका जाते हैं. वो कहते हैं, "मेरे पास जीएसटी नम्बर है. इसके लिए लाईसेंस की कोई जरुरत नहीं पड़ती है।
ज्येष्ठ मंगल यानि मई-जून महीने में पानी की सबसे ज्यादा डिमांड रहती हैं. जुलाई से अक्टूबर तक पानी की मांग ठप्प रहती है. इस दौरान कभी-कभार एक तो टैंकर की मांग रहती है. जबकि अप्रैल, मई और जून महीने में एक दिन में कई बार हम खुद पानी की आपूर्ति नहीं कर पाते। हमारे गाँव में करीब 50 टैंकर होंगे. 10-12 लोग अपने घर से यही पानी सप्लाई करने का काम करते हैं।"
हरी प्रसाद हमसे बात करते हुए काफी डरे हुए थे. क्योंकि किला महोम्मदी नगर करीब 10-15 लोग पानी के तै टैंकर के सप्लायर्स हैं। इन लोगों ने अपने-अपने घर में मोटर लगाकर रखी है. दो से लेकर आठ दस टैंकर इन लोगों के पास हैं। प्रति टैंकर ये 400 से 600 रुपए तक ये लोग ग्राहकों से पानी लेते हैं. एक टैंकर में 4000 लीटर पानी आता है।
यहां के पानी सप्लायर्स से बात करके एक बात समझ आयी कि ये लोग पानी की गुणवत्ता को लेकर कोई विशेष इंतजाम नहीं करते हैं। कुछ लोगों ने बताया कि वो पानी टैंकर की धुलाई करते है तो कुछ ने बताया कि वो इसमें ब्लीच पाउडर डालते हैं।
यहां पानी की मांग ज्यादातर उन इलाकों से आती हैं जहां दो तीन दिन लाईट खराब हो जाती है या फिर कुछ दिनों तक पानी ठप्प हो जाता है. पीने के पानी से लेकर भवन निर्माण के कार्य तक पानी की मांग रहती है। लखनऊ में ज्येष्ठ महीने यानि मई और जून में जब बड़े मंगल को जगह-जगह भंडारे लगते हैं तब पानी की डिमांड इनके पास ज्यादा होती है।
हरी प्रसाद की दुकान के ठीक पीछे एक दूसरे टैंकर सप्लायर्स रहते हैं। यहां सूरज राजपूत बताते हैं, "हमारे गांव में करीब 20 लोग ऐसे हैं तो पानी टैंकर के सप्लायर्स हैं। सभी के पास हमारे फोन नम्बर रहते हैं। जहां पानी की कमी होती है, वहां के लोग हमसे पानी की डिमांड करते हैं उसी डिमांड के आधार पर हम इनके यहां पानी पहुंचा देते हैं। सबसे ज्यादा डिमांड आलमबाग इलाके से आती है।"
क्या इसके लिए कोई लाइसेंस की आवश्यकता होती है? इस सवाल के जवाब में सूरज यादव कहते हैं, "अभी तक तो लोग अपने घर में ही पानी की मोटर लगा लेते हैं। एक कामर्शियल मीटर लगा लेते हैं। इसके अलावा कोई लाईलेंस बगैरह नहीं लेना पड़ता है। कई बार जब जल कल विभाग वाले पानी नहीं पहुंचा पाते हैं तो कस्टमर सीधे हमसे डिमांड करते हैं. हम प्रति टैंकर 500 रूपये लेते हैं. मौजूदा समय में हमारे पास तीन टैंकर हैं।"
सूरज यादव की दुकान से कुछ दूरी पर बेसिक विद्यालय तोदेंखेड़ा नगर क्षेत्र लखनऊ जोन-1 के ठीक बगल में 8 टैंकर खड़े थे। एक टैंकर में पानी भरा जा रहा था. पर उन्होंने हमसे बात करने से मना किया। पानी भरते हुए उन्होंने कहा, "मालिक हैं नहीं. मुझे कुछ पता नहीं।"
जल कलकल विभाग जिन इलाकों में टैंकर से जरुरत पड़ने पर पानी पहुंचाता है हमने उन इलाकों में से एक इलाका नई रहीमनगर बस्ती का भ्रमण किया।
जल कल विभाग की गाड़ी से पानी भर रहे राजेश कुमार ने हमें बताया, "यहाँ 30,000 की आबादी है लेकिन पानी सप्लाई के लिए कहीं पर टंकी नहीं लगी है। इस बस्ती में चार ट्यूबबेल लगे हुए हैं जिससे पानी सप्लाई किया जाता है। तीन दिन से हमारी बस्ती का ट्यूबबेल खराब है। हमलोगों ने जल निगम को सूचना देकर गाड़ी मंगाई है। पानी की बहुत समस्या हो जाती है जब सप्लाई का पानी नहीं आता। टैंकर का पानी बताया तो शुद्ध जाता है पर हमलोग पीते नहीं हैं।"
लखनऊ जिले में जलकल विभाग रोजाना कितने टैंकर की सप्लाई करता है? जो लोग प्राईवेट पानी सप्लाई करते हैं उन पर क्या किसी तरह की कोई नकेल कसी जाती है? ये लोग पानी कैसे सप्लाई किस नियमावली के तहत पानी की सप्लाई कर सकते हैं? इस सवाल के जवाब के लिए में हम जलकल विभाग के महाप्रबंधक मनोज कुमार आर्या से मुलाकात के लिए पहुंचें। पर इनसे हमारी मुलाकात संभव नहीं हो सकी। खबर लिखे जाने तक फोन पर भी बात संभव नहीं हो सकी।
यहां काम कर रहे लोगों ने बताया कि जो लोग प्राईवेट पानी सप्लाई करते हैं उनसे हमारा कोई कनेक्शन नहीं है. हमारे पास काफी पानी है हमें कभी किसी प्राइवेट सप्लायर्स से पानी लेने की जरूरत नहीं महसूस होती है। जिन इलाकों से डिमांड आती है वहां पानी पहुंचाया जाता है। पर रोजाना या महीना कितने टैंकर पहुंचाएं जाते हैं इसका हमारे पास कोई फिक्स आंकड़ा नहीं हैं। लखनऊ में पीने के पानी को लेकर कोई विशेष किल्लत नहीं है।