खतरे की घंटी: गुरुग्राम के शहरी इलाकों में रिचार्ज क्षमता से तीन गुणा अधिक भूजल का हो रहा है दोहन: सीपीसीबी

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने एनजीटी में बताया है कि गुरुग्राम में हर साल 43,263 हैक्टेयर मीटर (एचएएम) भूजल का दोहन हो रहा है, जबकि जिले में उपलब्ध वार्षिक भूजल संसाधन महज 20,333 हैक्टेयर मीटर ही हैं। मतलब कि जिला अपनी क्षमता से करीब दोगुणा भूजल निकाल रहा है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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सारांश
  • गुरुग्राम में भूजल का अत्यधिक दोहन चिंता का विषय बन गया है।

  • केंद्रीय भूजल बोर्ड ने एनजीटी में बताया है कि गुरुग्राम में हर साल 43,263 हैक्टेयर मीटर (एचएएम) भूजल का दोहन हो रहा है, जबकि जिले में उपलब्ध वार्षिक भूजल संसाधन महज 20,333 हैक्टेयर मीटर ही हैं।

  • मतलब कि जिला अपनी क्षमता से करीब दोगुणा भूजल निकाल रहा है

  • रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि गुरुग्राम शहरी क्षेत्र में भूजल दोहन का स्तर 326.52 फीसदी तक पहुंच चुका है। इसका अर्थ है कि शहर में भूजल रिचार्ज की तुलना में तीन गुना से अधिक पानी निकाला जा रहा है, जो बेहद खतरनाक संकेत है।

गुरुग्राम में भूजल के गिरते स्तर पर गंभीर चिंता जताते हुए केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडबल्यूए) ने एनजीटी में अपना जवाब दाखिल किया है।

6 नवंबर 2025 को दाखिल इस जवाब में बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को जानकारी दी है कि गुरुग्राम में हर साल 43,262.85 हैक्टेयर मीटर (एचएएम) भूजल का दोहन हो रहा है, जबकि जिले में उपलब्ध वार्षिक भूजल संसाधन महज 20,333.39 हैक्टेयर मीटर ही हैं। मतलब कि जिला अपनी क्षमता से करीब दोगुणा भूजल निकाल रहा है।

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रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि गुरुग्राम शहरी क्षेत्र में भूजल दोहन का स्तर 326.52 फीसदी तक पहुंच चुका है। इसका अर्थ है कि शहर में भूजल रिचार्ज की तुलना में तीन गुना से अधिक पानी निकाला जा रहा है, जो बेहद खतरनाक संकेत है।

केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध भूजल दोहन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी राज्य सरकार, हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण और जिला प्रशासन की है। बोर्ड की भूमिका तकनीकी और सलाहकारी है, यह भूजल का आकलन, योजना और सतत प्रबंधन से जुड़ा काम करता है। प्रवर्तन राज्य के हाथ में है, जबकि केंद्रीय भूजल बोर्ड आंकड़े और तकनीकी सहयोग देता रहेगा।

मामला गुरुग्राम में तेजी से घटते भूजल स्तर से जुड़ा है। गौरतलब है कि एनजीटी ने 5 अगस्त 2025 को अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के आधार पर इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है।

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जयपुर में कचरा जलाने की शिकायत पर एनजीटी सख्त, जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की केंद्रीय पीठ ने जयपुर में ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के उल्लंघन की शिकायत को गंभीरता से लिया है। 11 नवंबर 2025 को अदालत ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं।

इस समिति में जयपुर शहरी विकास और आवास विभाग, जयपुर के कलेक्टर और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति को छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट और की गई कार्रवाई का ब्योरा अदालत के सामने प्रस्तुत करना होगा।

यह मामला सचिन धाका द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है। याचिका में कहा गया है कि जयपुर में ठोस कचरे का निपटान नियमों के अनुसार नहीं किया जा रहा, बल्कि उसे खुले में जलाया जा रहा है। एनजीटी के इस कदम से उम्मीद है कि शहर में कचरा प्रबंधन की स्थिति में सुधार आएगा और जिम्मेदार एजेंसियों पर आवश्यक कार्रवाई का दबाव बनेगा।

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