दिल्ली में गायब होते जल निकाय और शहरी बाढ़: ग्राउंड वेरिफिकेशन और सैटेलाइट मैपिंग पर डीपीसीसी ने सौंपी रिपोर्ट

मुद्दा दिल्ली में बढ़ती बाढ़ की घटनाओं और जल निकायों के लुप्त होने के बीच सम्बन्ध से जुड़ा है
राजधानी दिल्ली में 19 जुलाई, 2020 को हुई भारी बारिश की वजह से मिंटो ब्रिज अंडर पास पर पानी भर गया, जिसमें एक बस डूब गई। फोटो: twitter.com/mohulsharmaa
राजधानी दिल्ली में 19 जुलाई, 2020 को हुई भारी बारिश की वजह से मिंटो ब्रिज अंडर पास पर पानी भर गया, जिसमें एक बस डूब गई। फोटो: twitter.com/mohulsharmaa
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दिल्ली वेटलैंड्स अथॉरिटी द्वारा दो दिसंबर, 2024 को साझा की गई जानकारी के मुताबिक शहर में कुल 1367 जल निकाय हैं। इनमें से 1,045 सूची में हैं, जबकि 322 का पता उपग्रहों से प्राप्त तस्वीरों से चला है।

इनमें से 674 के लिए जमीनी सत्यापन का काम पूरा हो चुका है। यह वो जल निकाय हैं जिन्हें साफ तौर पर देखा जा सकता है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पांच दिसंबर, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सौंपी रिपोर्ट में इन बातों का जिक्र किया है।

यह मुद्दा दिल्ली में बढ़ती बाढ़ की घटनाओं और जल निकायों के लुप्त होने के बीच सम्बन्ध से जुड़ा है।

18 अप्रैल, 2024 को हुई एकीकृत नाला प्रबंधन प्रकोष्ठ (आईडीएमसी) की 17वीं बैठक में कुछ निर्णय लिए गए थे। इन निर्णयों के बाद, डीपीसीसी को 20 मई 2024 को दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण से उनके निर्देशांकों के साथ 1,045 और 322 जल निकायों की दो सूचियां प्राप्त हुई थी।

अदालत को बताया गया कि इन सूचियों को जमीनी पड़ताल के लिए जिलाधिकारियों को भेज दिया गया है।

सुरेंद्रनगर में अवैध खनन को रोकने के लिए उठाए गए हैं पर्याप्त कदम: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है, अधिकारियों ने अवैध खनन को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। मामला गुजरात में सुरेंद्रनगर के मुली, सायला और थानगढ़ गांवों में हुए अवैध खनन से जुड़ा है।

चार दिसंबर, 2024 को अदालत ने यह भी कहा है कि जिला कलेक्टर ने स्थानीय अधिकारियों को अवैध खनन को रोकने के निर्देश दिए हैं। साथ ही स्थानीय लोगों लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इन गांवों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने के भी निर्देश दिए हैं। ताकि इस तरह की अवैध गतिविधियों को रोका जा सके।

गौरतलब है कि एनजीटी की पश्चिमी बेंच ने 15 जुलाई, 2024 को एक खबर के बाद इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। इस खबर में अवैध कोयला खदान में हुई तीन मौतों को उजागर किया था।

एनजीटी ने पुणे में वाघोली-भावडी-लोनीकांड रोड पर वायु प्रदूषण को रोकने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को वाहनों की आवाजाही से होने वाले धूल प्रदूषण को रोकने के लिए सड़क की कंक्रीटिंग और मरम्मत का काम तीन महीने के भीतर पूरा करने का आदेश दिया है।

एनजीटी द्वारा यह आदेश तीन  दिसंबर, 2024 को दिया गया है। मामला पुणे में वाघोली-भावड़ी-लोनीकांड रोड पर हो रहे प्रदूषण से जुड़ा है। 

अदालत को जानकारी दी गई कि वायु प्रदूषण को कम करने के संबंध में कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) की कार्रवाई रिपोर्ट में बताए उपायों को अमल में लाया जा रहा है, जैसे कि सुबह सात से 10 बजे और शाम पांच से नौ बजे के बीच डंपर, हाइवा, रेडी मिक्स कंक्रीट (आरएमसी) मिक्सर, जेसीबी, रोड रोलर की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले 2,275 वाहनों पर जुर्माना भी लगाया गया है।

स्टोन क्रशर एसोसिएशन को पांच सितंबर 2024 को आरएमसी और उत्पाद के परिवहन के दौरान हो रहे धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने का निर्देश दिया गया है।

साथ ही उनसे नियमित तौर पर सड़कों की सफाई करने के लिए भी कहा गया। ट्रिब्यूनल को बताया गया कि हाइड्रोलिक ब्रूमर मशीन से संबंधित साइट पर सफाई की जा रही है, साथ ही पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है।

एनजीटी की पश्चिमी बेंच ने एमपीसीबी की कार्रवाई रिपोर्ट में बताई सभी सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। साथ ही, एमपीसीबी को यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है कि साइट पर वायु प्रदूषण को तय समय सीमा के भीतर नियंत्रित किया जाए।

मामला पुणे के वाघोली इलाके में बिना रोक-टोक के हो रही आवाजाही से जुड़ा है, जो प्रदूषण की वजह बन रहा है। इनकी वजह से धूल प्रदूषण होता है और सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। गौरतलब है कि बावड़ी गांव से करीब 60 से 70 ट्रक गुजरते हैं, जिनसे तय सीमा से अधिक वायु प्रदूषण होता है।

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