
दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) दिल्ली में अवैध बोरवेलों का पता लगाने के लिए नियमित रूप से सर्वेक्षण कर रहा है। उन्हें अब तक 22,010 अवैध बोरवेल मिले हैं, जिनमें से 13,693 को सील कर दिया गया है।
यह जानकारी दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 19 मार्च, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सामने प्रस्तुत रिपोर्ट में सामने आई है। यह रिपोर्ट ट्रिब्यूनल द्वारा 28 अगस्त, 2024 और आठ जनवरी, 2025 को दिए आदेशों पर अदालत में सबमिट की गई है। मामला बोरवेलों की मदद से भूजल के अवैध दोहन से जुड़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक जिन बोरवेलों के लिए सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी (सीजीडब्ल्यूए) और दिल्ली जल बोर्ड से एनओसी नहीं ली गई है, उन्हें सील कर दिया जाएगा डीजेबी इन्हें सील करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों की मदद ले रहा है।
डीजेबी ने जिलाधिकारियों के साथ भी अवैध बोरवेलों की सूची साझा की है। साथ ही इस लिस्ट को दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया है। अवैध बोरवेलों को सील करने के काम में तेजी लाने के लिए डीजेबी के सीईओ ने सभी जिलाधिकारियों के साथ 13 मार्च, 2025 को एक ऑनलाइन बैठक भी की थी।
बुद्ध नाला के कारण प्रभावित हो रही है सतलुज की जल गुणवत्ता, प्रदूषण को लेकर बढ़ी चिंताएं
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 25 दिसंबर, 2024 को बुद्ध नाला और सतलुज नदी में बुद्ध नाला के ऊपर और नीचे दोनों ओर की जल गुणवत्ता की निगरानी की थी।
इस जांच के परिणामों से पता चला है कि बुद्ध नाला के मिलने से पहले, सतलुज नदी का जल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा स्नान के लिए निर्धारित जल गुणवत्ता मानकों पर खरा था।
हालांकि, वलीपुर में बुद्ध नाला के मिलने के बाद, सतलुज के जल में उच्च मात्रा में बीओडी, फेकल कोलीफॉर्म और फेकल स्ट्रेप्टोकोकी की मौजूदगी के कारण जल गुणवत्ता इन मानकों को पूरा करने में विफल रही।
गौरतलब है कि यह मामला पंजाब डायर्स एसोसिएशन द्वारा बुद्ध नाला में छोड़े जा रहे अपशिष्ट से जुड़ा है। पंजाब डायर्स एसोसिएशन कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से साफ किए अपशिष्ट को इस नाले में छोड़ रहा है। इस प्लांट की क्षमता 50 एमएलडी है।
हालांकि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) द्वारा 25 सितंबर, 2024 को दिए आदेश और सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले (22 फरवरी, 2017) में इस तरह के निर्वहन पर रोक लगाई गई है। यह भी उल्लेख किया गया है कि सीईटीपी को दी गई पर्यावरण मंजूरी में भी कहा गया है कि कोई भी निर्वहन बुद्ध नाला में नहीं जाना चाहिए। इस ट्रीटमेंट प्लांट को तीन मई, 2013 को पर्यावरण मंजूरी दी गई थी।
सीपीसीबी ने 19 मार्च, 2025 की अपनी रिपोर्ट में कहा कि निरीक्षण में पाया गया कि दो सीईटीपी (40 एमएलडी और 50 एमएलडी) 3 मई, 2013 की पर्यावरण मंजूरी के तहत काम कर रहे थे। 15 एमएलडी और 500 केएलडी सीईटीपी के लिए अलग-अलग मंजूरी प्राप्त की गई थी।
40 एमएलडी, 50 एमएलडी और 15 एमएलडी क्षमता वाले सीईटीपी साफ करने के बाद अपना अपशिष्ट जल बुद्ध नाला में छोड़ रहे थे, जबकि 500 केएलडी सीईटीपी ने शून्य तरल निर्वहन (जेडएलडी) को बनाए रखा है।
सीपीसीबी की यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 29 नवंबर, 2024 को दिए आदेश पर सबमिट की गई है।