बिजली के तारों पर बैठने से पक्षियों को करंट क्यों नहीं लगता?

बिजली का प्रवाह नहीं तो कोई झटका भी नहीं, यानी पक्षी तार का हिस्सा बन जाती है, न कि वह रास्ता जिससे बिजली गुजरना चाहती है।
जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है।
जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है। प्रतीकात्मक छवि, फोटो साभार: आईस्टॉक
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एवियन पावर लाइन इंटरेक्शन कमेटी (एपीएलआईसी) के मुताबिक, कई पक्षियां बिजली की लाइनों की ओर आकर्षित होती हैं और अक्सर बिजली के खंभों तथा टावरों पर बैठते और घोंसला भी बनाते हैं। इससे उन्हें बिजली के कुछ चीजों के संपर्क में आने पर बिजली के झटके लगने का खतरा रहता है।

1988 से लुप्तप्राय, प्रवासी और अन्य पक्षियों को बिजली के झटके से बचाने के लिए एक पक्षी-संरक्षण कार्यक्रम चलाया गया, जिससे पक्षियों के कारण होने वाली बिजली कटौती को भी रोका गया है।

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जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है।

अगर मनुष्य बिजली के तारों को छूने की कोशिश करें, तो इसका नतीजा भयानक हो सकता है। जबकि पक्षियों के बिजली के तारों पर बैठने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता आखिर उनमें क्या अंतर है?

यहां यह जानना जरूरी है कि बिजली कैसे काम करती है। बिजली धातु के तारों से होकर बहती है, ठीक वैसे ही जैसे पानी पाइप से होकर बहता है। यह उच्च वोल्टेज (विद्युत दबाव) वाली जगह से कम वोल्टेज वाली जगह पर जाती है। बिजली के प्रवाह के लिए, इसे एक पूरे रास्ते की जरूरत पड़ती है, जो एक बिजली स्रोत से, तारों के माध्यम से और फिर से वापस आती है।

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जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है।

यह आमतौर पर जमीन की ओर आसानी से गुजर सकती है, जिसमें शून्य वोल्टेज होता है। लेकिन अगर कोई चीज एक ही समय में तार और जमीन को छूती है, तो बिजली उस वस्तु से होकर बह सकती है जो खतरनाक हो सकता है।

जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है। क्योंकि उसके शरीर में वोल्टेज का कोई अंतर नहीं होता, इसलिए बिजली के उसके शरीर से प्रवाहित होने का कोई कारण नहीं है।

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जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है।

यानी बिजली का प्रवाह नहीं तो कोई झटका भी नहीं, सरल शब्दों में कहें तो पक्षी तार का हिस्सा बन जाती है, न कि वह रास्ता जिससे बिजली गुजरना चाहती है।

पक्षी केवल एक तार पर बैठने पर सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि उनके शरीर में वोल्टेज का कोई अंतर नहीं होता। लेकिन जब कोई पक्षी एक साथ दो बिंदुओं को छूती है तो चीजें बदल जाती हैं - जैसे: अलग-अलग वोल्टेज वाले दो तार, या एक तार और जमीन से जुड़ी कोई चीज, जैसे खंभा या पेड़। दोनों ही मामलों में, शरीर बिजली के प्रवाह के लिए एक पूरा रास्ता बन जाता है।

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जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है।

बिजली उच्च वोल्टेज से कम वोल्टेज या जमीन की ओर जाती है और अगर शरीर रास्ते में है, तो वह रास्ता बन जाता है। शरीर में बिजली का यह अचानक प्रवाह झटका या बिजली का झटका पैदा करता है।

इसीलिए बिजली की लाइनों को एक-दूसरे से दूर रखा जाता है और उन्हें ऊंचाई पर रखा जाता है ताकि पक्षियों और लोगों को एक ही समय में एक से अधिक बिंदुओं को छूने से रोका जा सके।

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जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठती है, तो वह अपने दोनों पैरों को एक ही तार पर रखकर बैठी होती है। इसका मतलब है कि उसका शरीर तार के समान वोल्टेज पर है।

पक्षियों के विपरीत, मनुष्य जमीन के संपर्क में रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति जमीन पर रहते हुए किसी तार को छूता है, तो इससे बिजली प्रवाहित होने का रास्ता बन जाता है। यही कारण है कि बिजली की लाइनों के पास लोगों को आसानी से झटका लग सकता है। लाइनमैन विशेष गियर पहनते हैं और सुरक्षित रहने के लिए सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं।

वन्यजीवों को बिजली की लाइनौ से बचाने के लिए प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) ने भी बिजली वितरण नेटवर्क से जुड़ी वन्यजीवों की मृत्यु दर को रोकने और कम करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं

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