एसटीपी निर्माण अटका: जमीन की देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

अदालत ने पूछा, नोएडा की दी जमीन जल निगम को क्यों नहीं मिली? दो सप्ताह में 8 एसटीपी के ताजा नमूने लेने और 21 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश
एसटीपी निर्माण अटका: जमीन की देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब
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सारांश
  • सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से खोडा-मकनपुर में एसटीपी निर्माण के लिए जमीन सौंपने में देरी पर जवाब मांगा है।

  • अदालत ने स्पष्ट समयसीमा भी मांगी है कि एसटीपी कब तक तैयार होगा।

  • रिपोर्ट के अनुसार, खोडा नगर पालिका का गंदा पानी दिल्ली से होकर गुजरता है, लेकिन जमीन अब तक जल निगम को नहीं सौंपी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह अफिडेविट दाखिल कर बताए कि खोडा-मकनपुर में प्रस्तावित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने के लिए नोएडा द्वारा दी गई जमीन क्या उत्तर प्रदेश जल निगम को सौंप दी गई है या नहीं। अदालत ने इस बात की भी स्पष्ट समयसीमा मांगी है कि यह एसटीपी कब तक तैयार हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिसंबर 2025 का यह निर्देश उस रिपोर्ट के आधार पर दिया है, जिसमें बताया गया कि खोडा नगर पालिका का पूरा गंदा पानी दिल्ली से होकर गुजरता है और अंत में कोंडली ड्रेन में मिल जाता है। रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि खोडा-मकनपुर में एसटीपी बनाने के लिए जमीन अब तक उत्तर प्रदेश जल निगम को नहीं सौंपी गई है, जिसके कारण प्लांट का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।

नोएडा प्राधिकरण की ओर से अदालत को बताया गया है कि जमीन खोडा-मकनपुर नगर पालिका को दे दी गई है, लेकिन उसे अब तक उत्तर प्रदेश जल निगम को नहीं सौंपा गया है, जिससे एसटीपी का निर्माण अटका हुआ है।

एसटीपी मानकों पर भी सवाल

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 15 अक्टूबर 2025 को लिए गए नमूनों की जांच रिपोर्ट कम्प्लायंस एफिडेविट के रूप में अदालत में दाखिल की है। यह नमूने श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च द्वारा लिए गए थे।

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हालांकि अदालत ने पाया कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि ये परिणाम प्रदूषक मानकों के अनुरूप हैं या नहीं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी को निर्देश दिया कि वह एक बेहतर और स्पष्ट शपथपत्र दाखिल करे, जिसमें बताया जाए कि श्रीराम इंस्टीट्यूट द्वारा जांचे गए नमूनों के आंकड़े तय मानकों को पूरा करते हैं या नहीं।

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि 15 अक्टूबर 2025 को नमूने उस समय लिए गए बरसात का मौसम था, जो लंबा खिंच गया था। ऐसे में सामने आए परिणाम वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शा सकते।

अदालत ने पानी की जांच के दिए आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी को निर्देश दिया कि वह अगले दो हफ्तों के भीतर नोएडा के सभी आठों एसटीपी और वेटलैंड के इनलेट/आउटलेट से तीजे नमूने फिर एकत्र करे।

इसी तरह, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) को भी अगले दो सप्ताह के भीतर सभी आठों एसटीपी और उनके वेटलैंड्स (इनलेट/आउटलेट) से नमूने लेने होंगे। सीपीसीबी और एसपीसीबी दोनों को इन नमूनों की जांच रिपोर्ट तैयार कर अगली सुनवाई तक अदालत में पेश करनी होगी। इस मामले में अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी।

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साथ ही, इन नमूनों को दिल्ली जल बोर्ड और नोएडा प्राधिकरण के साथ भी साझा करने का निर्देश दिया गया है, ताकि वे अपनी स्वतंत्र जांच कर सकें। अगली सुनवाई तक दिल्ली जल बोर्ड को भी इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।

अदालत के समक्ष यह भी दोहराया गया कि खोडा नगर पालिका का पूरा सीवेज दिल्ली से होकर बहता है और सीधे कोंडली/नोएडा ड्रेन में जाकर मिल जाता है। लेकिन खोडा-मकनपुर में एसटीपी बनाने के लिए जमीन अब तक जल निगम को नहीं मिली है, जिससे स्थिति लगातार बिगड़ रही है।

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