उत्तर प्रदेश में गंगा प्रदूषण: एनजीटी ने सीवेज ट्रीटमेंट व नालों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी

आवेदक ने अदालत को जानकारी दी है कि किस तरह दूषित या आंशिक रूप से साफ सीवेज को गंगा और उसकी सहायक नदियों में छोड़ा जा रहा है
गंगा में अब भी बड़े पैमाने पर अनुपचारित सीवेज सीधे डाला जा रहा है जो इसके प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है (फोटो: विकास चौधरी)
गंगा में अब भी बड़े पैमाने पर अनुपचारित सीवेज सीधे डाला जा रहा है जो इसके प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है (फोटो: विकास चौधरी)
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण सचिव को उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में नालों और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के स्थानों की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि दो मार्च 2025 को आवेदक की ओर से पेश वकील ने इन जिलों में नालों और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के स्थानों का विवरण प्रस्तुत किया था।

इस प्रस्तुतियों में दर्शाया गया है कि किस तरह से दूषित या आंशिक रूप से साफ सीवेज को गंगा और उसकी सहायक नदियों में छोड़ा जा रहा है। इसमें यह भी बताया गया है कि क्या यह जिले प्रदूषण संबंधी नियमों का पालन कर रहे हैं और इससे नदी के पानी की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ रहा है।

वहीं उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने आवेदक की प्रस्तुतियों में उल्लेखित बिंदुओं और सिफारिशों पर जवाब देने के लिए अदालत से और समय मांगा है। उन्होंने समस्या को दूर करने के लिए समयसीमा बताने और इसके लिए जिम्मेवार अधिकारी का नाम बताने पर भी सहमति जताई है।

असम सरकार ने जंगलों पर अतिक्रमण के दावों का किया खंडन, बेदखली के प्रयासों का दिया हवाला

असम सरकार वन भूमि से अतिक्रमण को हटाने के लिए नियमित रूप से कदम उठा रही है। साथ ही कामरूप मेट्रोपोलिटन जिले में वन क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं।

2022-2023 में अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए दस बेदखली अभियान चलाए गए थे। इस दौरान 35 कच्चे मकानों को हटाया गया और 1.52 हेक्टेयर वन भूमि को साफ किया गया। ये अभियान नियमित रूप से चलाए जा रहे हैं। यह बातें असम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल के प्रमुख द्वारा एनजीटी के समक्ष दायर हलफनामे में कही गई हैं।

गौरतलब है कि यह हलफनामा असम ट्रिब्यून में छह नवंबर, 2024 को वन अतिक्रमण को लेकर जारी एक खबर के मामले में अदालत के सामने प्रस्तुत किया गया है।

इस खबर के मुताबिक कामरूप मेट्रोपोलिटन में वन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा अतिक्रमण से जूझ रहा है। हालांकि छह मार्च, 2025 को प्रस्तुत रिपोर्ट में इस खबर को ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ बताते हुए खारिज कर दिया है।

कामरूप (मेट्रोपोलिटन) जिले में 12 आरक्षित वन हैं, जो 28,380.09 हेक्टेयर में फैले हैं। इनमें से लगभग 4,240.4 हेक्टेयर क्षेत्र पर अतिक्रमण हुआ है, मुख्य रूप से दक्षिण कालापहाड़, फटासिल, हेंगराबारी, गोटानगर, गरभंगा, मारकडोला, पश्चिम अप्रीकोला और मातापहाड़ के आरक्षित वनों में अतिक्रमण हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि गुवाहाटी शहर और आसपास की वन भूमि पर आमतौर पर अतिक्रमण का खतरा बना रहता है। इसको लेकर वन विभाग सतर्क रहता है और लोगों को अवैध रूप से वन भूमि पर कब्जा या अतिक्रमण करने से रोकने के लिए बेदखली अभियान चलाता रहता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत दावों पर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाती है।

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