तमिलनाडु में डंप कचरे को हटाने के लिए एनजीटी ने केरल को दिए तीन दिन, जानिए पूरा मामला

अदालत का कहना है कि, "यह निश्चित है कि कचरा केरल से लाया जा रहा है और इसे तमिलनाडु में डंप किया जा रहा है।"
कचरे में काम की चीजे ढूंढते बच्चे; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
कचरे में काम की चीजे ढूंढते बच्चे; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की दक्षिणी बेंच ने केरल और उसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन दिनों के भीतर तमिलनाडु में डंप किए गए सभी तरह के कचरे को हटाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही 19 दिसंबर, 2024 को दिए अपने आदेश में एनजीटी ने एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा है।

इस मामले में अगली सुनवाई 23 दिसंबर, 2024 को होगी।

कई समाचार पत्रों में छपी खबर के आधार पर एनजीटी की दक्षिणी बेंच ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। खबरों में कहा गया है कि अज्ञात लोगों ने केरल से लाए गए बायोमेडिकल, खाद्य, प्लास्टिक और अन्य तरह के कचरे को कोडगनल्लूर और पलवूर गांवों में फेंक दिया था।

यह भी कहा गया कि सुथामल्ली पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं। खबरों के साथ छपी तस्वीर में जंगल में बायोमेडिकल कचरे के ढेर दिखाई दे रहे थे, जो वहां रहने वाले जानवरों और लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने अदालत को जानकारी दी है कि उन्होंने 18 दिसंबर, 2024 को केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने मिश्रित ठोस और जैव चिकित्सा कचरे को अवैध रूप से तमिलनाडु में ट्रांसपोर्ट और डंप करने के लिए त्रिवेंद्रम में क्षेत्रीय कैंसर केंद्र (आरसीसी) के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया था।

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने लीला कोवलम होटल की पहचान तमिलनाडु में अवैध कचरा ले जाने के स्रोत के रूप में की है। टीएनपीसीबी ने अदालत को यह भी जानकारी दी है कि पुलिस और परिवहन विभाग केरल और तमिलनाडु के सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं, ताकि भविष्य में कचरे को अवैध रूप से तमिलनाडु में ले जाने और डंप करने से रोका जा सके।

अदालत को यह भी बताया गया कि पप्पाकुडी के खंड विकास अधिकारी और तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तिरुनेलवेली में सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा का उपयोग करके मिश्रित ठोस कचरे और अप्रयुक्त सिरिंजों को साफ करने की व्यवस्था की है।

तमिलनाडु की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया है कि राजस्व विभाग ने उन्हें इस मामले में कार्रवाई न करने की सलाह दी है क्योंकि यह समस्या बार-बार होती रहती है। उनका तर्क है कि कचरे को हटाने और उपचार की जिम्मेवारी केरल की है, क्योंकि केरल सरकार ने स्वीकार किया है कि उनके राज्य से ले जाए जाने के बाद कचरे को तमिलनाडु में फेंक दिया गया था।

केरल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि केरल में अवैध रूप से कचरा संग्रह करने वाले इस डंपिंग के लिए जिम्मेवार हो सकते हैं। हालांकि, अदालत ने कहा है कि, "चाहे कोई भी हो, यह निश्चित है कि कचरा स्पष्ट रूप से केरल से लाया जा रहा है और तमिलनाडु में डंप किया जा रहा है।"

डोडा में चल रहे अवैध स्टोन क्रशर, एनजीटी ने जांच के जारी किए नोटिस

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों को डोडा में अवैध रूप से चल रहे दस से 12 स्टोन क्रशर की जांच के आदेश दिए हैं।

17 दिसंबर, 2024 को दिए इस आदेश में अदालत ने डोडा के डिप्टी कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, जम्मू और कश्मीर प्रदूषण समिति, भूविज्ञान खनन विभाग को जांच के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामला जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले का है।

इस मामले में एनजीटी ने जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीसीसी) के सदस्य सचिव से डोडा में चल रहे सभी वैध और अवैध स्टोन क्रशर पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। जम्मू-कश्मीर पीसीसी से चिनाब में हो रहे अवैध खनन और मलबे की डंपिंग पर भी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।

आरोप है कि यह स्टोन क्रशर डोडा से करीब पांच से छह किलोमीटर दूर चिनाब के आसपास स्थित हैं।

आवेदक का आरोप है कि डोडा-किश्तवाड़ और डोडा-जम्मू रोड पर पहाड़ों से पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है। इसके लिए अवैध स्टोन क्रशर का उपयोग किया जा रहा है। ये क्रशर कथित तौर पर चेनाब में मलबा फेंक रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। आवेदक ने यह भी कहा कि यह क्रशर वायु प्रदूषण का भी कारण बन रहे हैं और विभिन्न कारणों की वजह से पूरा डोडा क्षेत्र डूब रहा है।

आवेदक राजा मुजफ्फर भट ने यह भी दावा किया है कि इन स्टोन क्रशरों के पास स्थापना और संचालन के लिए आवश्यक सहमति और पर्यावरण मंजूरी नहीं है।

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