दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने दो अप्रैल, 2025 को अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि यमुना डूब क्षेत्र के करीब 1,459 एकड़ क्षेत्र को दोबारा प्राप्त कर लिया गया है। इतना ही नहीं विभिन्न पुनरुद्धार परियोजनाओं के माध्यम से इस डूब क्षेत्र की बहाली के प्रयास किए जा रहे हैं।
अदालत को यह भी बताया गया कि कुछ मामलों में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश जारी किए गए हैं, जिसके तहत अंतिम निर्णय होने तक किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा छह फरवरी, 2025 को दिए आदेश पर यह रिपोर्ट डीडीए द्वारा पेश की गई है। इसमें यमुना डूब क्षेत्र के 22 किलोमीटर के हिस्से में हुए अतिक्रमण की पहचान की गई है। यह प्रभावित क्षेत्र वजीराबाद से मदनपुर खादर तक फैला है। रिपोर्ट में इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए की गई कार्रवाई का भी ब्यौरा दिया गया है।
डीडीए की इस रिपोर्ट में यमुना डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के अदालती आदेशों का पालन करने के प्रयासों का विवरण दिया गया है। इसमें वजीराबाद से मदनपुर खादर तक 22 किलोमीटर के क्षेत्र में पाए गए अतिक्रमण और की गई कार्रवाई की जानकारी अदालत को दी गई है।
अपने इस आदेश में एनजीटी ने कहा था कि पिछले वर्षों में कई आदेशों के बावजूद, दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) जैसे प्राधिकरणों ने दिल्ली में यमुना को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए हैं।
वहीं 17 अक्टूबर, 2019 को दिए अपने आदेश में एनजीटी ने कहा था नदी के बाढ़ के मैदानों पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसकी वजह से नदी पारिस्थितिकी को नुकसान हो सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में खैर के पेड़ों को काटने की दी अनुमति
26 मार्च, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में खैर के पेड़ों को काटने से संबंधित एक आवेदन के दो खंडों को मंजूरी दे दी है।
इसमें पहला खंड 2016-2017 से 2025-2026 के बीच खैर के पेड़ों को काटने के लिए प्रबंधन योजना में संशोधन की अनुमति देता है। यह विशेष रूप से रियासी जिले के कटरा वन क्षेत्र में भागा (सिरला) गांव के सम्बन्ध में है। इसके तहत आवेदकों को पेड़ों को काटने की गतिविधियों को पूरा करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया गया है।
वहीं दूसरा खंड अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर आवश्यक प्रशासनिक प्रक्रिया (चिह्नांकन, आदि) पूरी करने का निर्देश देता है। इससे आवेदकों को अगले छह सप्ताह के भीतर पेड़ों को काटने और हटाने की अनुमति मिल जाएगी।