प्रतीकात्मक तस्वीर
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सुवर्णनदी में गिर रहे हैं 18 नालें, अधिकारी नहीं कर रहे एनजीटी के आदेश का पालन

सुवर्णरेखा नदी में गिर रहे 18 नालों से हर दिन 12.2 करोड़ लीटर (एमएलडी) सीवेज निकलता है
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को जानकारी दी गई है कि अधिकारियों ने जमशेदपुर और उसके आसपास सुवर्णरेखा नदी के प्रदूषण के बारे में अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।

गौरतलब है कि अदालत ने 11 अक्टूबर, 2023 को इस मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। मामला झारखंड में जमशेदपुर और उसके आसपास सुवर्णरेखा नदी में हो रहे प्रदूषण से जुड़ा है।

कोर्ट ने पूर्वी सिंहभूम के जिला मजिस्ट्रेट, कपाली नगर परिषद, जुगसलाई नगर परिषद और आदित्यपुर नगर निगम को नोटिस भेजने का आदेश दिया है। उन्हें चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब देना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई 17 दिसंबर, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि सुवर्णरेखा नदी प्रदूषण को लेकर एवेन्यू मेल में छपी एक खबर के आधार पर अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया था। इस खबर में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए एक सर्वेक्षण का भी हवाला दिया गया है।

इसके मुताबिक नदी जल में पीएच के उच्च स्तर के साथ-साथ डीओ और सीसा की भी उच्च मात्रा पाई गई है। रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि नदी 19.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है।

सुवर्णरेखा रांची के पास से शुरू होती है, जिसके बाद ओडिशा और पश्चिम बंगाल से होकर 450 किलोमीटर का सफर तय करते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यह भी जानकारी मिली है कि मानगो और मऊभंडार जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति और भी बदतर है।

गौरतलब है कि इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 11 अक्टूबर, 2023 को दर्ज मूल आवेदन का निपटारा किया है। इसमें विभिन्न नगर परिषदों और निगमों को सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करने और उन्हें 15 अप्रैल, 2024 तक चालू करने का आदेश दिया गया था।

2023 के आदेश में उल्लेख किया गया है कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति ने जानकारी साझा की है कि 18 सीवेज नाले सुवर्णरेखा नदी में गिरते हैं। इनमें हर दिन 12.2 करोड़ लीटर (एमएलडी) सीवेज बहता है। इसका मतलब है कि वहां पैदा हो रहा सारा सीवेज बिना उपचार के सुवर्णरेखा नदी में छोड़ा जा रहा है।

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