सोनाली नदी प्रदूषण मामला: अदालत ने उत्तराखंड सरकार से मांगी आम जनता की राय

मामला सोनाली नदी पर बड़े पैमाने पर हो रहे अतिक्रमण के साथ-साथ सीवेज की वजह से बढ़ते प्रदूषण से जुड़ा है
नदी में मिलता सीवेज; प्रतीकात्मक तस्वीर
नदी में मिलता सीवेज; प्रतीकात्मक तस्वीर
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि वह उत्तराखंड फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट, 2012 पर हितधारकों और आम जनता से प्राप्त प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी प्रस्तुत करे। यह निर्देश 15 अक्टूबर, 2024 को दिया गया है। इसके साथ ही मामले से जुड़े मुद्दों को कितने समय में हल कर लिया जाएगा, इसके बारे में अदालत ने समयसीमा भी पूछी है।

हालांकि इस मामले में 8 अगस्त, 2024 को दिए आदेश के बावजूद, सोनाली नदी के बाढ़ क्षेत्र के पहचान और सीमांकन का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। अब तक उत्तराखंड बाढ़ मैदान क्षेत्रीकरण अधिनियम, 2012 की धारा 8 के तहत चार अक्टूबर, 2024 को केवल एक अंतरिम अधिसूचना जारी की गई है।

उत्तराखंड की ओर से पेश वकील का कहना है कि कानून प्रभावित पक्षों और आम जनता को अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए 60 दिनों की अनुमति देता है। इसकी समीक्षा के बाद आपत्तियों को अंतिम रूप दिया जाएगा और फिर, अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में सोनाली नदी के क्षेत्र के संबंध में अदालत को जानकारी दी गई है कि सहारनपुर में सोनाली नदी क्षेत्र का सर्वेक्षण 15 नवंबर 2024 तक और मुजफ्फरनगर में 15 दिसंबर 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद अगली सुनवाई से कम से कम दो दिन पहले प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत कर दी जाएगी। इस मामले में अगली सुनवाई 23 दिसंबर, 2024 को होनी है।

गौरतलब है कि यह मामला वी के त्यागी से प्राप्त एक पत्र याचिका के आधार पर दर्ज किया गया है, वो उत्तराखंड के जिला हरिद्वार में रूड़की के रहने वाले हैं। उनकी शिकायत थी कि सोनाली नदी पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहा है, साथ ही सीवेज को बिना साफ किए सीधे ही नदी में छोड़ा जा रहा है, इसकी वजह से नदी दूषित हो रही है।

गंगा की ही एक सहायक नदी है सोनाली

बता दें कि सोनाली, गंगा की ही एक सहायक नदी है। इस नदी की कुल लम्बाई 133 किलोमीटर है, जिसमें से महज 61 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में है, जबकि बाकी हिस्सा उत्तराखंड में है।

गौरतलब है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता ने अपने हलफनामे में कहा था कि उत्तर प्रदेश में सोलानी नदी के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने बाढ़ के मैदानी क्षेत्र की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण किया है। उन्होंने बाढ़ के मैदानी क्षेत्र का निर्धारण करने में मदद करने के लिए जल विज्ञान खंड को नदी के क्रॉस-सेक्शन के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान किए हैं।

सिंचाई अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, सहारनपुर खंड में सोलानी नदी के प्रवाह से जुड़े आंकड़ों को एकत्र किया गया है, और इस क्षेत्र में बाढ़ के मैदानी क्षेत्र के निर्धारण एवं सीमांकन का काम 15 नवंबर, 2024 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।

वहीं मुजफ्फरनगर खंड में सर्वेक्षण का काम जारी है, जहां बाढ़ के मैदानी क्षेत्र सीमांकन 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा हो जाने की संभावना है। पूरे उत्तर प्रदेश में इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए जल विज्ञान खंड और सिंचाई अनुसंधान संस्थान, रुड़की मिलकर प्रयास कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में सोलानी नदी के बाढ़ क्षेत्र का निर्धारण करने का काम प्रगति पर है। इसके तहत हर 25 साल और 100 साल में आने वाली बाढ़ के आधार पर बाढ़ क्षेत्रों की सटीकता सुनिश्चित होगी। यह काम 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।

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