रामबियारा नदी पर खतरा? एनजीटी पहुंचा शोपियां का औद्योगिक एस्टेट विवाद

आरोप है कि प्रशासन, शोपियां में करीब 63 एकड़ जमीन पर औद्योगिक एस्टेट बनाने की योजना बना रहा है। यह पूरा इलाका रामबियारा नदी से महज 30 मीटर की दूरी पर है
रामबियारा नदी; फोटो: विकिपीडिया
रामबियारा नदी; फोटो: विकिपीडिया
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सारांश
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शोपियां के सोनियम गांव में रामबियारा नदी के पास प्रस्तावित औद्योगिक एस्टेट पर सुनवाई की।

  • याचिकाकर्ता का दावा है कि यह परियोजना बाढ़ के खतरे को बढ़ा सकती है।

  • एनजीटी ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन और अन्य संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी 2026 को होगी।

3 दिसंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के सोनियम गांव में रामबियारा (या रम्बी आरा) नदी के बिल्कुल पास प्रस्तावित एक औद्योगिक एस्टेट के मामले पर सुनवाई की।

अदालत ने इस मामले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ग्राम पंचायत सोनियम, ब्लॉक विकास अधिकारी लालपोरा और बारामूला के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। इन सभी से अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 फरवरी 2026 को होगी।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ता राजा मुजफ्फर भट का आरोप है कि प्रशासन, शोपियां में 500 कनाल (करीब 63 एकड़) जमीन पर औद्योगिक एस्टेट बनाने की योजना बना रहा है। यह पूरा इलाका रामबियारा नदी से महज 30 मीटर की दूरी पर है और बाढ़ के प्राकृतिक रास्ते (फ्लड प्लेन) में आता आता है।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि औद्योगिक एस्टेट नदी के बिलकुल किनारे बनाया जा रहा है, जिससे नदी का बहाव रुक सकता है और दूसरी ओर बसे गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। इससे गांव में कृषि भूमि और सेब के बगीचे पर बाढ़ का गंभीर खतरा मंडराने लगेगा।

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याचिका में यह भी बताया गया है कि रामबियारा, झेलम की सहायक नदी है, जो पीर पंजाल पर्वतमाला से निकलकर शोपियां और पुलवामा जिलों से होकर बहती है।

आपदा योजना का भी दिया हवाला

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने शोपियां जिले की ड्राफ्ट जिला आपदा प्रबंधन योजना का हवाला देते हुए बताया कि जिले का करीब एक-तिहाई हिस्सा बाढ़ या अचानक आने वाली फ्लैश फ्लड के खतरे में रहता है।

वकील ने इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के साइट प्लान का भी उल्लेख किया, जिसमें साफ दिखता है कि प्रस्तावित औद्योगिक एस्टेट नदी के ठीक किनारे, यानी फ्लड प्लेन के अंदर बनाया जा रहा है।

अब एनजीटी इस मामले की विस्तृत जांच कराएगा, जिसके बाद तय होगा कि नदी की सुरक्षा और आसपास के गांवों की सुरक्षा के लिए औद्योगिक एस्टेट की जगह उपयुक्त है या नहीं।

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