प्रदूषण का शिकार यमुना; फोटो: प्रभात कुमार
प्रदूषण का शिकार यमुना; फोटो: प्रभात कुमार

एनजीटी ने डीडीए को दिया जल्द से जल्द यमुना बाढ़ क्षेत्र की बहाली का निर्देश

द हिन्दू में प्रकाशित खबरों में दावा किया गया है कि यमुना के डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण हुए हैं और दिल्ली विकास प्राधिकरण उन्हें हटाने में विफल रहा है
Published on

21 जनवरी, 2025 को, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को यमुना बाढ़ क्षेत्र की बहाली का निर्देश दिया है।

अदालत ने यह भी कहा है कि बहाली के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा गठित टीम और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के सुझावों का पालन किया जाना चाहिए। यह काम बिना किसी अनावश्यक देरी के, जितनी जल्दी हो सके, पूरा किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में अप्रैल 2024 में प्रकाशित खबर के आधार पर एनजीटी ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है।

खबरों में दावा किया गया है कि यमुना के डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण किए गए हैं और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) उन्हें हटाने में विफल रहा है। यह भी आरोप लगाया गया है कि डीडीए, एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए यमुना डूब क्षेत्र में स्थाई निर्माण करने की योजना बना रहा है।

वहीं अपने जवाब में डीडीए ने स्वीकार किया है कि यमुना, उसके मूल स्वरूप और बाढ़ के मैदानों की सुरक्षा और पुनरुद्धार की जिम्मेवारी उसकी है। साथ ही डीडीए ने बाढ़ के मैदानों की सावधानीपूर्वक सुरक्षा करने और पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी अतिक्रमण या प्रदूषण को रोकने के लिए ट्रिब्यूनल के निर्देशों का पालन करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया है।

डीडीए ने अदालत को यह भी जानकारी दी है कि वो यमुना बाढ़ क्षेत्र की पारिस्थितिकी को बेहतर बनाने और इसे आम जनता के लिए सुलभ बनाने को लेकर एक परियोजना पर काम कर रहा है।

दिल्ली में वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक नदी के 22 किलोमीटर के हिस्से को 11 छोटी परियोजनाओं में विभाजित किया गया है। इस बहाली योजना द्वारा कवर किया गया कुल क्षेत्रफल करीब 1,600 हेक्टेयर है, जिसका एक हिस्सा उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है।

अदालत ने छह स्थानों के बारे में डीडीए के स्पष्टीकरण और सीपीसीबी की टिप्पणियों की समीक्षा की है। इससे पता चला है कि कुछ अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं, और हरित क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है। हालांकि, सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार कुछ कार्रवाई अभी भी की जानी है। ऐसे में डीडीए को बाढ़ के मैदानों से शेष संरचनाओं को हटाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।

जल शक्ति मंत्रालय और एनएमसीजी द्वारा 15 अक्टूबर, 2024 को दायर एक संयुक्त हलफनामे में खुलासा किया है कि एनएमसीजी ने विचाराधीन क्षेत्रों का निरीक्षण करने के लिए एक टीम बनाई है। इस टीम ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, और अपनी टिप्पणियां साझा की हैं। साथ ही इसके लिए सुधारात्मक उपाय भी सुझाए हैं।

अदालत को जानकारी दी गई है कि गंगा नदी (पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) आदेश, 2016 के तहत प्राधिकरण एनएमसीजी ने इस मुद्दे की समीक्षा की है। एनएमसीजी द्वारा गठित टीम ने सुधार के लिए की जाने वाले कार्रवाई का सुझाव दिया है, जिसका डीडीए द्वारा पालन किया जाना चाहिए।

जल निकायों के अवैध भराव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश को लगाई फटकार

16 जुलाई और 22 नवंबर, 2024 के आदेशों के बावजूद, उत्तर प्रदेश द्वारा नियुक्त समिति ने बिजनौर में अवैध जल निकायों के भराव पर रिपोर्ट करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया है। मामला उत्तर प्रदेश में बिजनौर की नगीना तहसील का है।

17 जनवरी, 2025 को न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने टिप्पणी की कि उत्तर प्रदेश, न्यायालय के आदेशों का पालन करने के लिए अधिक समय का आवेदन न करके "बुनियादी शिष्टाचार" दिखाने में विफल रहा।

सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को 16 जुलाई 2024 के आदेश के अनुसार अब तक किए कार्यों के विवरण के साथ एक व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है।

इस मामले में उत्तर प्रदेश पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को 24 जनवरी, 2025 तक हलफनामा दाखिल करना होगा। मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी, 2025 को होगी।

Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in