जम्मू-कश्मीर: चिनाब में अवैध रूप से डाला जा रहा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का मलबा, एनजीटी ने मांगी सफाई

आरोप है कि चिनाब के किनारे अवैध रूप से मलबा डाला जा रहा है, जिससे नदी के प्रवाह, आकार और पारिस्थितिकी को नुकसान हो रहा है
हिमालय के ऊंचे पहाड़ों के बीच बहती चेनाब; फोटो: आईस्टॉक
हिमालय के ऊंचे पहाड़ों के बीच बहती चेनाब; फोटो: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए रैटल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के परियोजना डेवलपर्स को दो सप्ताह का समय दिया है।

अदालत द्वारा तीन दिसंबर, 2024 को दिया यह आदेश जम्मू कश्मीर में किश्तवाड़ के द्राबशल्ला में बन रहे रैटल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट और उसके द्वारा पैदा हो रहे कचरे से जुड़ा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 25 नवंबर, 2024 को संयुक्त समिति की रिपोर्ट अदालत के सामने प्रस्तुत की थी। परियोजना डेवलपर्स ने इस रिपोर्ट पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए अदालत से करीब एक महीने का समय मांगा था।

अदालत का कहना है कि नदी किनारे मलबा डाला जा रहा है, जिससे नदी के प्रवाह, आकार और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं इसकी वजह से वनस्पतियों और जीवों पर भी इसका असर पड़ रहा है। यह एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही इन गतिविधियों के लिए जिम्मेवार लोगों को ऐसा करने से तुरंत रोका जाना चाहिए।

अदालत के मुताबिक ऐसे मामलों में लम्बी तारीखें केवल पर्यावरण के विनाश को बढ़ावा देगी और इसे जारी रखेगी, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। विशेष रूप से, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि संबंधित क्षेत्र हिमालय का एक नाजुक हिस्सा है, जहां का पारस्थितिकी तंत्र बेहद संवेदनशील है।

पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए लम्बी तारीख देने से किया इंकार

ऐसे में अदालत ने परियोजना डेवलपर्स को संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर कोई भी आपत्ति दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय देने का फैसला किया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें जवाब देने का उचित अवसर मिले।

गौरतलब है कि 25 नवंबर, 2023 को इस मामले में जम्मू कश्मीर के डोडा में नगर समिति थाथरी के अध्यक्ष द्वारा एक पत्र याचिका भेजी गई थी।

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शिकायतकर्ता का कहना है जम्मू कश्मीर में किश्तवाड़ के द्राबशल्ला में रैटल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट का निर्माण मेसर्स मेग्गा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। आरोप है कि कंपनी किश्तवाड़ राजस्व विभाग द्वारा प्रदान किए गए निर्दिष्ट स्थान पर मलबा और कचरा डालने के बजाय उसे चिनाब में डाल रही है।

बरसात के मौसम में चिनाब में अवैध रूप से मलबा डाले जाने के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी। इसकी वजह से थाथरी में रहने वाले लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। थाथरी कस्बा चिनाब के किनारे बेहद पास स्थित है।

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