
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित संयुक्त समिति ने 17 मार्च, 2025 को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा समय में सीवेज केवल चांपा के घोगरा नाला से सीधे हसदेव नदी में मिल रहा है।
गौरतलब है कि 10 फरवरी 2025 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर एक संयुक्त समिति का गठन किया गया था। इस समिति में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड, नगर पालिका जांजगीर-चांपा और जांजगीर-चांपा के जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधि शामिल थे।
समिति को दो सप्ताह के भीतर बैठक करने के साथ साइट का दौरा करने के लिए कहा गया था। सात मार्च, 2025 को समिति ने चांपा में 5.3 एमएलडी क्षमता के निर्माणाधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का दौरा किया था। समिति ने पाया कि इस प्लांट का काम करीब 90 फीसदी पूरा हो चुका है। मौजूदा समय में, चांपा में हर दिन करीब 2.5 मिलियन लीटर सीवेज पैदा हो रहा है।
समिति ने हसदेव नदी पर बने एनीकट और शनि मंदिर के पास नालों का भी निरीक्षण किया, जहां पाया गया कि दोनों नालों को बंद कर दिया गया है और उन्हें एक पाइप से जोड़ा गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पहले 22 स्थानों पर नाले सीधे हसदेव नदी में गिरते थे। अब उनमें से 21 को एक पाइप से जोड़ दिया गया है जो सीवेज को एसटीपी तक ले जाएगी। वर्तमान में, यह पाइप जिसमें इन सभी 21 ड्रेनेज प्वाइंट का सीवेज बह रहा है, वो सीवेज को बैरियर चौक के पास एक बिंदु पर ले जाता है। यह स्थान मुक्तिधाम चौक के पास है।
इस स्थान पर चांपा नगर पालिका परिषद द्वारा फिटकरी और ब्लीच की मदद से सीवेज के पानी का आंशिक रूप से उपचार किया जाता है, इसके बाद इस पानी को हसदेव नदी में छोड़ दिया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रेनेज के निर्माण के दौरान नदी में प्राकृतिक चट्टानों की संरचना प्रभावित हुई है, लेकिन इसके प्रवाह पर असर नहीं पड़ा है। फिलहाल हसदेव नदी में कोई अवैध खनन नहीं हो रहा है।
ऐसे में समिति ने चांपा नगर पालिका परिषद को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरा होने तक आंशिक रूप से सीवेज का उपचार जारी रखने की सलाह दी है। साथ ही यह भी कहा है कि नालियों की नियमित सफाई की जानी चाहिए ताकि किसी भी तरह की रुकावट को रोका जा सके। समिति ने हसदेव नदी में सीवेज के किसी भी आकस्मिक रिसाव को रोकने के लिए नालियों के निरीक्षण किए जाने की भी बात कही है।
टेढ़ी नदी को अतिक्रमण से बचाने की कवायद जारी, जल्द किया जाएगा डूब क्षेत्र का सर्वे
गोंडा के जिला मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है टेढ़ी नदी के बाढ़ क्षेत्र को चिह्नित करने का काम शुरू हो गया है। इससे डूब क्षेत्र में अतिक्रमण की पहचान और आकलन करने में मदद मिलेगी। मामला उत्तर प्रदेश के गोंडा का है।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच), रुड़की से डूब क्षेत्र को चिह्नित करने के लिए तकनीकी सहायता और विशेषज्ञता प्रदान करने का अनुरोध किया गया था। एनआईएच के मुताबिक जून 2025 तक अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद है।
बाढ़ क्षेत्र का मानचित्रण करने के लिए, एनआईएच ने हाई-रिजॉल्यूशन डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) डेटा का उपयोग करने की सिफारिश की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस परियोजना के लिए 134.64 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं, जो सिंचाई विभाग को मिल चुके हैं।
यह भी जानकारी दी गई है कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग डीईएम आंकड़ों को एकत्र करने के लिए टेढ़ी नदी क्षेत्र का क्षेत्रीय सर्वेक्षण करेगा।
यह भी जानकारी दी गई है कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग डीईएम आंकड़ों को एकत्र करने के लिए टेढ़ी नदी क्षेत्र का क्षेत्रीय सर्वेक्षण करेगा। गोंडा सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने सर्वेक्षण शुरू करने और एक मीटर डीईएम डेटा को एकत्र करने के लिए पत्र जारी कर दिया है।
उत्तर प्रदेश भू-स्थानिक निदेशालय, लखनऊ ने घोषणा की है कि सर्वेक्षण तीन मार्च, 2025 से शुरू होगा। इसके लिए एक समर्पित सर्वेक्षण टीम का गठन कर दिया गया है।