आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन और अवैध खनन पर एनजीटी सख्त, कार्रवाई के आदेश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन और अवैध खनन पर एनजीटी सख्त, कार्रवाई के आदेश
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में अवैध मत्स्य पालन और खनन से जुड़ी गतिविधियों को विनियमित करने का आदेश दिया है। साथ ही एनजीटी द्वारा 18 जुलाई, 2022 को दिए अपने इस आदेश में आंध्र प्रदेश जलीय कृषि प्राधिकरण, मत्स्य विभाग और जिला कलेक्टरों को उन व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है, जो इस तरह की गतिविधियों में संलग्न हैं।

गौरतलब है कि यह लोग तटीय क्षेत्रों में बिना लाइसेंस या अनुमति के अवैध तरीके से जलीय कृषि फार्म संचालित कर रहे हैं। कोर्ट ने इन इकाइयों को बंद करने के साथ-साथ, बिजली कनेक्शन काटना और  पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाने के साथ-साथ उनपर मुकदमा चलाने की बात भी कही है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि खान और भूविज्ञान विभाग, आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य तटीय क्षेत्र प्राधिकरण और जिला कलेक्टर तट पर होने वाले अवैध रेत खनन की निगरानी करने के साथ ही उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे जो ऐसी गतिविधियां में संलग्न हैं।

इसके साथ ही एनजीटी ने अपने फैसले में कहा है कि निषिद्ध क्षेत्रों में किए गए अवैध रेत खनन के लिए पर्यावरणीय मुआवजे को लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा अधिकारियों द्वारा सम्बंधित खनन नियमों के तहत अभियोजन शुरू करने के साथ-साथ जुर्माना भी वसूला जाना चाहिए।

कोर्ट का कहना है कि खान और भूविज्ञान विभाग और राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण को सस्टेनेबल सैंड माइनिंग पालिसी 2016 का सख्ती से पालन करना चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्य और अतिरिक्त मुख्य सचिव को तटीय क्षेत्रों में होते मतस्य पालन और अवैध रेत खनन के नियमन और वैधानिक प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए सम्बंधित अधिकारियों को जरुरी निर्देश देने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि पूर्वी गोदावरी जिले के वेंकटपति राजा येनुमुला ने 22 जून, 2020 को एनजीटी के समक्ष एक याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने बंगाल की खाड़ी के तटीय क्षेत्र में होते अवैध रेत खनन और झींगा फार्मों के संचालन के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

गंगा नदी के किनारे होने वाली ड्रेजिंग पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे जल शक्ति मंत्रालय: एनजीटी 

एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है जिसमें उसे यह बताना है कि क्या गंगा नदी के बाएं किनारे पर अस्सी से लेकर राजघाट तक ड्रेजिंग को मंत्रालय द्वारा अधिकृत किया गया था।

इस मामले में जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को ड्रेजिंग सामग्री के उचित उपयोग/निपटान के लिए दिशा-निर्देशों के साथ इस विषय पर नीति का विवरण देते हुए एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट को दो महीनों के भीतर कोर्ट में सबमिट करना है।

एनजीटी का यह आदेश संयुक्त समिति की रिपोर्ट के जवाब में है जिसमें कहा गया था कि अस्सी से राज घाट तक गंगा नदी के तट पर कोई खनन कार्य नहीं हो रहा है। वहां केवल जल शक्ति मंत्रालय की परियोजना के तहत ड्रेजिंग की जा रही थी। 

एनजीटी ने सीपीसीबी और गुजरात एसपीसीबी को भारत रसायन में हुई दुर्घटना के मामले में जवाब दाखिल करने का दिया निर्देश

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भारत रसायन में हुई रासायनिक दुर्घटना के मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह दुर्घटना 17 मई, 2022 को मैसर्स भारत रसायन लिमिटेड के भरूच, गुजरात स्थित कारखाने में हुई थी।

इस दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि 27 श्रमिक घायल हो गए थे। कहा जाता है कि इस विस्फोट के पीछे भंडारण टैंकों का हाथ था जिसमें से हानिकारक रसायन निकल रहे थे। इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गुजरात राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भारत रसायन लिमिटेड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और गुजरात के सचिव प्रतिवादी थे, जिन्हें कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करना का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त, 2022 को होगी।

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