जल्द दाखिल की जाए स्वर्णरेखा पुनरुद्धार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

उच्च न्यायालय ने ग्वालियर नगर निगम को स्वर्ण रेखा नदी पुनरुद्धार और सीवर लाइन बिछाने के बारे में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है
स्वर्ण रेखा नदी; फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स
स्वर्ण रेखा नदी; फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स
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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ग्वालियर नगर निगम को स्वर्ण रेखा नदी पुनरुद्धार और सीवर लाइन बिछाने के बारे में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत करने को कहा है।

एमिकस क्यूरी ने 20 नवंबर 2024 के आदेश का हवाला दिया है, जिसमें नगर निगम को डीपीआर प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी। हालांकि, यह रिपोर्ट अब तक दाखिल नहीं की गई है।

इस मामले में नगर निगम की ओर से पेश वकील ने कहा है कि कंसल्टेंट द्वारा डीपीआर तैयार कर ली गई है और उसे समीक्षा के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल को भेजा गया है।

ऐसे में 26 नवंबर 2024 को अदालत ने नगर निगम को आदेश दिया है कि वो जल्द से जल्द मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से समीक्षा रिपोर्ट प्राप्त करे ताकि उसे जांच के लिए कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सके। अदालत ने इसके लिए नगर निगम को एक महीने का समय दिया है।

न्यायालय ने कहा है, नगर निगम अधिनियम, 1956 की धारा 2(54), 130-बी और 131-ए में सामाजिक अंकेक्षण की अवधारणा पर चर्चा की गई है। हालांकि, इसका उपयोग सावधानीपूर्वक और सोच-समझकर किया जाना चाहिए। यह किसी शहर या इलाके की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए योजनाओं को तैयार करने में मददगार हो सकता है।

उच्च न्यायालय ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में राज्य सरकार और नगर निगम के बीच सहयोग बेहद जरूरी है।" "पक्षों की ओर से पेश होने वाले वकीलों के साथ भी यही है। दोनों पक्षों के वकीलों को सुनवाई से पहले ही दस्तावेजों का आदान-प्रदान करना चाहिए, ताकि मामले को सूचीबद्ध करने से पहले उन्हें निर्देश प्राप्त करने का मौका मिल सके।“

वडाला में अतिक्रमण और अवैध डंपिंग का शिकार बन रही आर्द्रभूमि, एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मुंबई के जिला कलेक्टर और जिला तटीय क्षेत्र निगरानी समिति के अध्यक्ष से एनजीओ वनशक्ति और अन्य की शिकायत के संबंध में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है। यह शिकायत मुंबई के वडाला में ईस्टर्न फ्रीवे के पास अतिक्रमण और मलबा डंपिंग से जुड़ी है। 27 नवंबर, 2024 को दिए अपने निर्देश में एनजीटी की पश्चिमी बेंच ने उन्हें जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।

आवेदन में वडाला में ईस्टर्न फ्रीवे के पास साइट से सभी तरह के अतिक्रमण और मलबे को हटाने का अनुरोध किया गया है। अदालत से तय समय सीमा के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश देने की भी प्रार्थना की गई है।

साथ ही मुंबई के जिला कलेक्टर और जिला तटीय क्षेत्र निगरानी समिति के अध्यक्ष को सीआरजेड सम्बन्धी नियमों के उल्लंघन और अतिक्रमणों का पता लगाने, निगरानी करने के निर्देश जारी करने का अनुरोध भी अदालत से किया गया है।

आवेदन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि 21 अगस्त, 2019 को ईमेल के जरिए मुंबई शहर के जिला कलेक्टर/जिला तटीय क्षेत्र निगरानी समिति के अध्यक्ष के साथ-साथ ग्रेटर मुंबई नगर निगम, महाराष्ट्र पर्यावरण विभाग और महाराष्ट्र वन विभाग के मैंग्रोव सेल को शिकायत भेजी गई थी। इस शिकायत में कुछ तस्वीरें भी शामिल थीं, जिसमें मुंबई के वडाला में ईस्टर्न फ्रीवे के पास अवैध अतिक्रमण और कचरा डंपिंग को उजागर किया गया था। हालांकि, अधिकारियों द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उपग्रह से प्राप्त चित्रों से पता चलता है कि अतिक्रमण और कचरे एवं मलबे की डंपिंग दिसंबर 2019 से पहले शुरू हुई थी। इस साइट की पहचान एक आर्द्रभूमि के रूप में की गई है। इसकी पुष्टि महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय वेटलैंड एटलस (2010 और 2021) द्वारा की गई है।

आवेदन के मुताबिक ईस्टर्न फ्रीवे के एक किलोमीटर के हिस्से में बीपीटी रोड से भक्ति पार्क मोनोरेल स्टेशन तक मैंग्रोव के पास डंपिंग की जा रही है। यह भी जानकारी दी गई है कि मलबा डंपिंग के साथ जमीन तैयार की गई है, जिसका उपयोग अवैध रूप से ट्रक और टैंकरों की पार्किंग, शादियों के आयोजन और अवैध दुकानों और संरचनाओं के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

आवेदक का कहना है कि यह अंतरज्वारीय क्षेत्र है और सीआरजेड-I क्षेत्र के अंतर्गत आता है। उनके मुताबिक अधिकारियों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है, इसलिए उन्हें क्षेत्र की सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत की शरण में आना पड़ा है।

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