गंगा फ्लड प्लेन की हद तय करेगी उत्तर प्रदेश सरकार, 2026 तक लगेंगे 7,350 पिलर

18 दिसंबर 2025 को दाखिल इस रिपोर्ट में गंगा और उसकी सहायक नदियों की बाढ़भूमि को परिभाषित और सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया गया है
फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा नदी की बाढ़भूमि को सुरक्षित करने के लिए 2026 तक 7,350 पिलर लगाने की योजना बनाई है।

  • सिंचाई विभाग ने उन्नाव से बलिया तक 710 किलोमीटर क्षेत्र में सीमांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम नदियों को अतिक्रमण से बचाने और बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए उठाया गया है।

उत्तर प्रदेश में गंगा नदी की बाढ़भूमि (फ्लड प्लेन) को चिन्हित करने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने उन्नाव से बलिया तक करीब 710 किलोमीटर लंबे हिस्से में गंगा फ्लड प्लेन के भौतिक सीमांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी जिलों में इस काम को पूरा करने के लिए 31 मार्च 2026 तक का लक्ष्य रखा गया है।

यह जानकारी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सौंपी रिपोर्ट में सामने आई है। यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 19 मई 2025 को दिए आदेश पर अदालत में सौंपी गई है। 18 दिसंबर 2025 को दाखिल इस रिपोर्ट में गंगा और उसकी सहायक नदियों की बाढ़भूमि को परिभाषित और सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया गया है।

इसमें गंगा (पुनर्जीवन, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016 के तहत बाढ़भूमि की रक्षा के लिए उठाए कदमों का भी उल्लेख है।

मानकों के आधार पर पूरा हो चुका है बाढ़भूमि का निर्धारण

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में गंगा के फ्लड प्लेन की सीमा तय करने के लिए कुल 7,350 स्तंभ (पिलर) लगाए जाएंगे। सभी जिलों में तय तकनीकी मानकों के आधार पर बाढ़भूमि का निर्धारण पूरा हो चुका है। 10 जिलों में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर काम सौंप दिया गया है, जबकि 3 जिलों में टेंडर अंतिम चरण में हैं।

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सिंचाई विभाग ने कहा है कि सेगमेंट-बी, फेज-II (उन्नाव से बलिया) में सीमांकन कार्य समय पर पूरा करने के लिए विभागीय स्तर पर नियमित निगरानी की जा रही है, ताकि एनजीटी के आदेश का पूरी तरह पालन हो सके।

रिपोर्ट में यमुना नदी की बाढ़भूमि के सीमांकन की स्थिति का भी जिक्र किया है। इसमें बताया गया है कि यमुना के लिए बाढ़भूमि का निर्धारण पूरा हो चुका है, परियोजना तैयार कर मंजूर की जा चुकी है और लागत का आकलन भी पूरा कर लिया गया है।

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि इस परियोजना को उत्तर प्रदेश की बाढ़ नियंत्रण परिषद की तकनीकी ऑडिट समिति से भी मंजूरी मिल चुकी है। अब इसे स्टीयरिंग कमेटी के सामने रखा गया है और इसके बाद गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग को भेजा जाएगा।

योजना के तहत यमुना के किनारे उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में 21,582 पिलर लगाए जाएंगे। आयोग से मंजूरी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा, जिसे 31 मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

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गंगा और यमुना फ्लड प्लेन का स्पष्ट सीमांकन नदियों को अतिक्रमण से बचाने, बाढ़ के खतरे को कम करने और उनके प्राकृतिक प्रवाह व पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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