हिंडन में जहर घोल रही लापरवाही, एनजीटी ने लगाया 21.5 करोड़ का जुर्माना

ट्रिब्यूनल ने पाया कि जल निगम ने न तो सीवेज उपचार की कोई पुख्ता व्यवस्था की है और न ही अपनी कानूनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाया है
प्रदूषण की मार झेलती हिंडन नदी; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
प्रदूषण की मार झेलती हिंडन नदी; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 11 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश जल निगम पर 21.5 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है। अदालत ने यह कार्रवाई गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में सीवेज के समुचित प्रबंधन में पूरी तरह विफल रहने के चलते की गई है। ट्रिब्यूनल ने पाया कि जल निगम ने न तो सीवेज उपचार की कोई पुख्ता व्यवस्था की है और न ही अपनी कानूनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाया है।

इसका नतीजा यह हुआ कि पूरे लोनी क्षेत्र में दूषित सीवेज खुले में बहाया जा रहा है, जिससे हिंडन नदी बुरी तरह प्रदूषित हो रही है।

क्या है मामला

लोनी क्षेत्र में हर दिन 108 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवेज पैदा हो रहा है, लेकिन मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) महज 30 एमएलडी ही साफ कर पा रहा है। बाकी 78 एमएलडी सीवेज बिना उपचार के सीधे नालों में छोड़ा जा रहा है, जो हिंडन को प्रदूषित कर रहा है।

इस मामले में लोनी नगर पालिका परिषद पर भी 2.25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

अदालत ने निर्देश दिया है कि पूजा कॉलोनी में जल निकासी और नाले के निर्माण और ढकने का काम एक साल के भीतर पूरा हो जाना चाहिए। साथ ही इस मामले में एक रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जानी चाहिए। साथ ही लोनी क्षेत्र में 108 मिलियन लीटर क्षमता वाला नया सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम तैयार किया जाए और मौजूदा 30 एमएलडी क्षमता वाले ट्रीटमेंट प्लांट को भी अपग्रेड किया जाना चाहिए। इसके लिए अदालत ने एक साल का समय दिया है।

अदालत ने कनेक्टिंग सीवर लाइन बिछाने के साथ-साथ उसे ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही जब तक नई व्यवस्था नहीं बनती, तब तक अस्थाई उपायों से सफाई और सीवेज का निपटान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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अदालत ने यह भी आदेश दिया कि वसूला गया जुर्माना प्रदूषित पर्यावरण की सफाई, पुनरुद्धार और पुनर्स्थापन के लिए खर्च किया जाना चाहिए। इससे जुड़ी योजना एक संयुक्त समिति द्वारा तैयार की जाएगी। इस समिति में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), जिला अधिकारी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

स्थानीय निवासियों की शिकायत पर हुई कार्रवाई

गौरतलब है कि लोनी की अंसल ईस्ट एंड और ट्रांस दिल्ली सिग्नेचर सिटी के निवासियों ने एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उनका आरोप था कि लोनी नगर पालिका द्वारा सीवेज और कचरा ग्रीन बेल्ट में डाला जा रहा है। उनका आरोप है कि यह सब अवैध गतिविधियां लोनी नगर पालिका परिषद की कार्यपालक अधिकारी शालिनी गुप्ता के निर्देश पर किया जा रहा है।

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21 नवंबर 2022 को बनी संयुक्त समिति की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पूजा कॉलोनी में ड्रेनेज सिस्टम और जल निकासी की व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण वहां से लगातार सीवेज बह रहा है। यह भी पाया गया कि नगरपालिका द्वारा ग्रीन बेल्ट पर भी कचरा डाला गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इलाके में लंबे समय से जल भराव की समस्या बनी हुई है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 7 जुलाई, 2020 के हिंडन प्रदूषण पर अपने आदेश में हिंडन को “व्यवहारिक रूप से मृत” बताया। ट्रिब्यूनल ने जोर दिया कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में हिंडन को स्वच्छ और बहाल करने की जरूरत है। एनजीटी ने अपने आदेश में ये जिक्र भी किया, “यह नदी और उसकी सहायक नदियां 1980 से मरना शुरू हो गईं, जब उनके किनारे कागज, चीनी, डिस्टिलरी, रसायनों और बूचड़खानों सहित लगभग 316 अलग-अलग प्रकार के उद्योगों की स्थापना हुई।”

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