सूक्ष्म रेशों का नया खतरा: क्या आपके ड्रायर से उड़ रही है प्रदूषण की धूल?

घर के ड्रायर से निकलने वाले सूक्ष्म रेशे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, नई रिसर्च से खुलासा।
इन सूक्ष्म रेशों में अक्सर रसायन और रंग होते हैं जो इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं।
इन सूक्ष्म रेशों में अक्सर रसायन और रंग होते हैं जो इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • ड्रायर से सालाना 3,543 मीट्रिक टन सूक्ष्म रेशे निकलते हैं, जो हवा के जरिए पर्यावरण में फैलते हैं।

  • प्राकृतिक (कपास) और सिंथेटिक (पॉलिएस्टर आदि) दोनों तरह के रेशे ड्रायर से बाहर निकलते हैं, जिनमें हानिकारक रसायन हो सकते हैं।

  • अमेरिकी घरों के ज्यादातर ड्रायर में माइक्रोफाइबर फिल्टर नहीं होते, जिससे ये रेशे सीधे वातावरण में चले जाते हैं।

  • साधारण बदलाव जैसे बेहतर फिल्टर लगाना या कपड़े हवा में सुखाना इस प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं।

हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले तौलिए, चादरें और कपड़े, चाहे वे प्राकृतिक कपास से बने हों या कृत्रिम सिंथेटिक रेशों से, समय के साथ धीरे-धीरे टूटते हैं और सूक्ष्म रेशों का निर्माण करते हैं। अब तक यह माना जाता था कि वॉशिंग मशीन से निकलने वाले ये रेशे जल स्रोतों में प्रदूषण फैलाते हैं, लेकिन एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि हमारे ड्रायर भी बड़ी मात्रा में ये सूक्ष्म रेशे हवा में छोड़ते हैं।

क्या कहता है अध्ययन?

यह अध्ययन अमेरिका की डेजर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (डीआरआई) और गैर-लाभकारी संस्था कीप टाहो ब्लू के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। इसके लिए लेक टाहो क्षेत्र के लोगों की मदद ली गई। उन्होंने तीन सप्ताह तक अपने घर के ड्रायर वेंट पर जालीनुमा कवर लगाया और हर ड्रायर लोड का विवरण मोबाइल ऐप के माध्यम से साझा किया।

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शोधकर्ताओं ने पाया कि केवल अमेरिका में हर साल 3,543 मीट्रिक टन सूक्ष्म रेशे ड्रायरों के माध्यम से हवा में छोड़े जा रहे हैं। यह मात्रा लगभग 30 स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के वजन के बराबर है।

प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार के रेशे

एनवायर्नमेंटल टॉक्सिकोलॉजी एंड केमिस्ट्री नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह भी सामने आया कि ड्रायर से निकलने वाले रेशों में केवल सिंथेटिक (जैसे पॉलिएस्टर, नायलॉन, स्पैन्डेक्स) ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक रेशे (जैसे कपास, ऊन, रेशम) भी शामिल हैं। 460 मीट्रिक टन सिंथेटिक रेशों के माइक्रोफाइबर में से 2,728 मीट्रिक टन प्राकृतिक रेशों से आते हैं।

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हालांकि प्राकृतिक रेशे जैविक होते हैं, लेकिन जब उन्हें रंग, रसायन, जल प्रतिरोधी पदार्थ (जैसे पीएफएएस) और झुर्रियों से बचाने के लिए फॉर्मेल्डिहाइड से उपचारित किया जाता है, तो ये भी पर्यावरण के लिए उतने ही हानिकारक हो सकते हैं।

वॉशिंग मशीन बनाम ड्रायर

जहां वॉशिंग मशीनें इन रेशों को गंदे पानी के साथ बाहर निकालती हैं, वहीं ड्रायर उन्हें हवा में छोड़ते हैं। अमेरिका में ज्यादातर घरों में ऐसे टंबल ड्रायर होते हैं जिनमें सिर्फ एक सामान्य लिंट फिल्टर होता है, लेकिन माइक्रोफाइबर फिल्टर नहीं होता। इसलिए जब कपड़े सुखाए जाते हैं, तो गर्म हवा के साथ अल्ट्रा-फाइन रेशे बाहर के वातावरण में उड़ जाते हैं।

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कैसे किया गया अध्ययन?

छह स्वयंसेवकों ने अपने ड्रायर वेंट पर जालीदार कवर लगाए। तीन हफ्तों में कुल 76 ड्रायर लोड रिकॉर्ड किए गए। सूखे गए कपड़ों में सबसे सामान्य वस्तुएं थीं: तौलिए, पैंट और चादरें शामिल थी। सबसे आम सामग्री थी कपास और पॉलिएस्टर या फ्लीस। जाल पर एकत्र रेशों की मात्रा अलग-अलग थी, जो ड्रायर के मॉडल, उम्र और कपड़ों की स्थिति पर निर्भर करती थी।

स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर

इन सूक्ष्म रेशों में अक्सर रसायन और रंग होते हैं जो इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं। कुछ रसायन, जैसे पीएफएएस और फॉर्मेल्डीहाइड, प्रजनन क्षमता, हार्मोनल संतुलन और विकास पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, हवा के माध्यम से ये रेशे मिट्टी, पानी और खाद्य श्रृंखला तक भी पहुंच सकते हैं।

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क्या किया जा सकता है?

इस रिसर्च से यह स्पष्ट होता है कि हमें अपने घरेलू उपकरणों के प्रदूषण प्रभाव को समझने और कम करने की जरूरत है। कुछ आसान कदम जो हम उठा सकते हैं:

घरेलू उपाय के तहत ड्रायर वेंट फिल्टर लगाए जाने चाहिए जो माइक्रोफाइबर को पकड़ सके। जब संभव हो, कपड़ों को हवा में सुखाया जाना चाहिए। कम तापमान पर सुखाने से कपड़ों की टूट-फूट कम होती है। सॉफ्ट फैब्रिक और कम घिसे कपड़े चुनें जो कम रेशे छोड़ते हैं।

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नीति और नवाचार

ड्रायर निर्माताओं को बेहतर फिल्टर सिस्टम विकसित करने चाहिए। कपड़ा उद्योग को ऐसे फैब्रिक डिजाइन करने चाहिए जो कम माइक्रोफाइबर छोड़ें। सरकारों को पीएफएएस जैसे रसायनों पर नियंत्रण लगाना चाहिए।

यह अध्ययन हमें याद दिलाता है कि हमारी छोटी-छोटी घरेलू गतिविधियां भी पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं। वॉशिंग मशीनों की तरह ही अब हमें ड्रायर से निकलने वाले रेशों को भी गंभीरता से लेना होगा। सिटीजन साइंस के माध्यम से ऐसे मुद्दों को उजागर करना और समाधान खोजना संभव है। थोड़े से प्रयास और जागरूकता से हम अपने वातावरण, जलस्रोतों और भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं।

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