मिर्जापुर: पर्यावरण नियमों को ताक पर रख चल रहा स्टोन क्रशर, जांच में सामने आई खामियां

मिर्जापुर में चल रहे इस स्टोन क्रशर पर ग्रीन बेल्ट, धूल नियंत्रण और सीटीओ की शर्तों के उल्लंघन से जुड़े गंभीर आरोप लगे हैं
स्टोन क्रशर टोटल सस्पेंडेड पार्टिकल्स (टीएसपी) और सूक्ष्म कणों (पीएम 10) के साथ-साथ पीएम2.5 जैसे महीन कणों को भी पैदा करते हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
स्टोन क्रशर टोटल सस्पेंडेड पार्टिकल्स (टीएसपी) और सूक्ष्म कणों (पीएम 10) के साथ-साथ पीएम2.5 जैसे महीन कणों को भी पैदा करते हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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सारांश
  • मिर्जापुर के सोनपुर गांव में पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड का स्टोन क्रशर पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रहा है। एनजीटी ने कंपनी को दो सप्ताह का समय दिया है ताकि वह 'कंसेंट टू ऑपरेट' की शर्तों के पालन पर जवाब दाखिल कर सके।

  • संयुक्त समिति ने निरीक्षण में कई खामियां पाईं हैं। समिति ने पाया कि निरीक्षण के दौरान क्रशर की मशीनें जैसे प्राइमरी व सेकेंडरी जॉ क्रशर, वाइब्रेटिंग स्क्रीन, कन्वेयर बेल्ट महज आंशिक रूप से ढंके हुए थे।

  • साथ ही वहां उड़ रही धूल को रोकने के लिए पर्याप्त वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम नहीं था।

  • आरोप है कि उद्योग बिना उचित एयर पॉल्यूशन कंट्रोल सिस्टम के चल रहा है, जो वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 का उल्लंघन है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 दिसंबर 2025 को पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड को दो सप्ताह का समय दिया है, ताकि वह मिर्जापुर जिले के सोनपुर गांव में चल रहे अपने स्टोन क्रशर प्लांट के लिए जारी ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ (सीटीओ) की शर्तों के पालन पर अपना जवाब दाखिल कर सके।

पीएनसी इंफ्राटेक ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा है। इस शपथपत्र में कंपनी को यह बताना होगा कि बोरवेल करने और उसके लिए उत्तर प्रदेश ग्राउंडवाटर अथॉरिटी से मिली अनुमति का क्या अपडेट है। इसके साथ ही कंपनी को पानी की खरीद व उपयोग का पूरा रिकॉर्ड साझा करना होगा।

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परिसर में कैमरे लगाने का काम, तीन कतारों में ग्रीन बेल्ट विकसित करने का काम कितना पूरा हुआ। उन्हें यह भी बताना होगा कि धूल और हवा को रोकने के लिए उपयुक्त ऊंचाई वाली दीवारों के निर्माण की स्थिति, तथा उपयोग की गई खनन सामग्री का क्या स्रोत है।

परियोजना पक्ष को यह भी निर्देश दिया गया है कि यदि कोई ऑडिट हुआ हो, तो उससे संबंधित सभी बयान और ऑडिट रिपोर्ट की प्रतियां भी जमा की जाएं। ट्रिब्यूनल ने हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और निर्देश दिया कि अतिरिक्त हलफनामा, साथ में फोटो, वीडियो और अन्य आवश्यक दस्तावेज, दो सप्ताह के भीतर दाखिल किए जाएं।

इस मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी 2026 को होगी।

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गांवों में प्रदूषण और अवैध खनन की शिकायत

यह मामला भगौती देई, सोनपुर, बियाहुर और चकजटा गांवों के पहाड़ी इलाकों में खनन और ब्लास्टिंग से फैल रहे गंभीर प्रदूषण से जुड़ा है। यह क्षेत्र उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले की चुनार तहसील का है। पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड यहां बोल्डरों को तोड़कर स्टोन ग्रिट तैयार करती है।

एनजीटी के आदेश पर बनी संयुक्त समिति ने निरीक्षण में कई खामियां पाईं हैं। समिति ने पाया कि निरीक्षण के दौरान क्रशर की मशीनें जैसे प्राइमरी व सेकेंडरी जॉ क्रशर, वाइब्रेटिंग स्क्रीन, कन्वेयर बेल्ट महज आंशिक रूप से ढंके हुए थे। साथ ही वहां उड़ रही धूल को रोकने के लिए पर्याप्त वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम नहीं था।

परिसर में ग्रीन बेल्ट का विकास नहीं किया गया था, और न ही अंदर धूल रोकने के लिए धातु (मेटैलिक) की सड़क बनाई गई थी।

यह भी सामने आया है कि उद्योग ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 11 जुलाई 2022 को जारी “कंसेंट टू ऑपरेट” की शर्तों के पालन से जुड़ी रिपोर्ट भी नहीं दी है। जबकि यह अनुमति 31 जुलाई 2026 तक ही वैध है।

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साथ ही, उद्योग बिना उचित एयर पॉल्यूशन कंट्रोल सिस्टम के चल रहा है, जो वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 का उल्लंघन है।

एनजीटी के निर्देश के बाद अब पूरा मामला कंपनी द्वारा दाखिल की जाने वाली अनुपालन रिपोर्ट पर टिका है। 12 जनवरी की सुनवाई में स्पष्ट होगा कि पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन में कंपनी ने कितनी प्रगति की है।

आवासीय क्षेत्र के पास बायोगैस प्लांट पर उठे सवाल, एनजीटी ने दिए कड़े निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 9 दिसंबर 2025 को निर्देश दिया है कि हरियाणा के फतेहाबाद के काजल हेरी गांव में बन रहा बायोगैस प्लांट किसी भी हाल में पर्यावरण सम्बन्धी मानकों का उल्लंघन न करे। यह मानक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा मार्च 2022 में कम्प्रेस्ड बायो-गैस (सीबीजी) और बायो-सीएनजी प्लांट्स के लिए जारी किए थे।

गौरतलब है कि इस मामले में याचिकाकर्ता एनजीटी द्वारा 3 अक्टूबर 2023 को दिए आदेश के पालन की कर रहा था। उनकी शिकायत थी कि बायोगैस प्लांट का निर्माण आवासीय इलाके, जल कार्यों और दो जलाशयों के बहुत पास हो रहा है।

याचिकाकर्ता के वकील की दलील है कि इससे जुड़ी निर्माण गतिविधियां पर्यावरण नियमों को ताक पर रख चल रही हैं।

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