नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 21 नवंबर, 2024 को दवा उद्योग नेक्टर लाइफ साइंसेज लिमिटेड पर पांच करोड़ रुपए का अंतरिम पर्यावरणीय मुआवजा लगाया है। कंपनी को यह राशि दो महीनों के भीतर पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीएसपीसीबी) के पास जमा करनी होगी।
अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह तय करने के लिए कहा है कि नेक्टर लाइफ साइंसेज लिमिटेड पर नुकसान की भरपाई के लिए कितना अंतिम जुर्माना लगाना चाहिए। इसके लिए उन्हें उस साल की कंपनी की आय की जांच करनी होगी, जब समस्याएं हुई थीं।
कंपनी को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा और फिर उसके बाद पीएसपीसीबी तय करेगा कि कंपनी को कितना भुगतान करना चाहिए। इस काम को दो महीनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
अदालत ने आदेश दिया है कि अंतरिम मुआवजे को अंतिम पर्यावरणीय मुआवजे में समायोजित किया जाना चाहिए, जिसकी गणना और निर्धारण पीएसपीसीबी द्वारा किया जाएगा।
इस अंतरिम और अंतिम पर्यावरणीय मुआवजे का उपयोग क्षेत्र में पर्यावरण को हुए नुकसान को ठीक और बहाल करने के लिए किया जाना चाहिए। यह संयुक्त समिति द्वारा तैयार की गई बहाली योजना पर आधारित होगा। इस समिति में पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एसएएस नगर, मोहाली के जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे।
कोर्ट के आदेशानुसार समिति को दो महीनों के भीतर बहाली योजना तैयार करनी होगी और पर्यावरण क्षतिपूर्ति के भुगतान के बाद तीन महीनों के भीतर इसे लागू करना होगा।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है कंपनी से निकलने वाला रासायनिक कचरा
पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिसंबर 2024 के पहले सप्ताह से अगले छह महीनों के लिए समय समय पर कंपनी की इकाई का निरीक्षण करने का भी आदेश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनी पर्यावरण नियमों का पालन कर रही है।
यदि यह पाया जाता है कि कंपनी अभी भी पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कर रही है, तो पीएसपीसीबी उद्योग को तब तक बंद करने का आदेश दे सकता है, जब तक कि वो समस्याओं का समाधान नहीं कर लेता और पर्यावरण कानूनों, विशेष रूप से जल अधिनियम, 1974, वायु अधिनियम, 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का पालन करने के लिए खुद को तैयार नहीं कर लेता।
गौरतलब है कि पांच नवंबर, 2022 को मोहाली में एसएएस नगर, डेराबस्सी के हैबतपुर गांव के निवासी शलभजीत सिंह द्वारा एक पत्र याचिका भेजी गई थी। इस याचिका में उस गांव में चल रही एक दवा इकाई मेसर्स नेक्टर लाइफ साइंसेज लिमिटेड के खिलाफ शिकायत की गई थी।
शिकायत में कहा गया है कि यह कंपनी बेहद प्रदूषित रासायनिक कचरा छोड़ रही है, जो गांव में फसलों और जमीन को नुकसान पहुंचा रहा है। शिकायत में सबूत के तौर पर तस्वीरें भी साझा की गई हैं, जिसमें दिख रहा है कि यह कचरा भूमि, मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।